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  • ‘लव जिहाद’ के बाद ‘वोट जिहाद’ चुनाव के बीच चर्चा में आया एक और जिहाद

    ‘लव जिहाद’ के बाद ‘वोट जिहाद’ चुनाव के बीच चर्चा में आया एक और जिहाद

    नई दिल्ली, 2 मई (The News Air): देश में चुनावी माहौल अपने चरम पर है। दो चरणों के चुनाव हो चुके हैं और तीसरे चरण के लिए प्रचार जोरों शोरों से चल रहा है। सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर खूब शब्दों के बाण छोड़ रहे हैं। चुनावी समर के बीच एक शब्द ने फिर सुर्खियां बंटोरनी शुरू कर दी हैं। नाम है जिहाद। यह ऐसा शब्द है जिसे किसी दूसरे शब्द के पीछे लगाकर उसकी परिभाषा गढ़ी जाती है। आपने अब तक लव जिहाद और लैंड जिहाद तो सुना होगा, लेकिन इस बार एक और शब्द की उत्पत्ति हुई है, नाम है ‘वोट जिहाद’। हर बार इस तरह की शब्दावली के लिए भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाए जाते थे, लेकिन इस बार यह शब्द कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद की भतीजी की ओर से उछाला गया है। भतीजी समाजवादी पार्टी में हैं और एक खास समुदाय के लोगों से वोट जिहाद करने की अपील कर रही हैं। उनके इस वीडियो के बाद देश की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। बीजेपी लगातार हमलावर है, विपक्ष ने एक बार फिर सत्तासीन पार्टी को एक मौका दे दिया है। क्या है ये वोट जिहाद वाली अपील और इसका मतलब, सब तफ्शील से समझाते हैं।

    वोट जिहाद वाला बयान क्या है जिसपर छिड़ा विवाद?

    कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद की भतीजी मारिया आलम खान ने वोट जिहाद की अपील कर राजनीति में नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है। मारिया आलम फर्रुखाबाद लोकसभा सीट के लिए चुनाव प्रचार करने पहुंची थीं। उन्होंने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि संघी सरकार को हटाने के लिए बहुत अक्लमंदी के साथ एकजुट होकर, बहुत खामोशी से वोटों का जिहाद करो, क्योंकि हम सिर्फ वोटों का जिहाद कर सकते हैं। आरोप है कि मारिया ने यह बयान मुसलमानों को लामबंद करने के लिए कहा था। इससे वोटों का ध्रुवीकरण हो रहा है। इस बयान पर समाजवादी पार्टी बचाव कर रही है तो वहीं बीजेपी इसपर हमलावर है।

    अखिलेश यादव ने किनारा किया तो बीजेपी करने लगी अटैक

    समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव से भी मारिया आलम के बयान पर प्रतिक्रिया मांगी गई लेकिन उन्होंने इससे किनारा कर लिया। उन्होंने बयान का बचाव करते हुए कहा कि कभी-कभी चुनाव में मतदाताओं को वोट देने के वास्ते उत्साहित करने के लिए भारी शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। अखिलेश ने आगे कहा कि मुझे लगता है कि मारिया आलम के बयान का मतलब वह नहीं था, जिसके लिए कार्रवाई शुरू की गई। इरादा यह था कि अधिक से अधिक संख्या में वोट पड़ें और सभी लोग मतदान करें।

    बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े ने कहा कि झूठ फैलाने वाले विपक्षी दलों ने अब ‘वोट जिहाद’ अभियान शुरू कर दिया है। इससे पता चलता है कि वे हताश और निराश हैं। तावड़े ने कहा कि एक तरफ वे ओबीसी का आरक्षण मुसलमानों को दे रहे हैं, दूसरी तरफ वे चुनाव के दौरान ‘वोट जिहाद’ की बात कर रहे हैं। तावड़े ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी नेता राहुल गांधी से पूछा कि क्या यह अभियान पार्टी आलाकमान के निर्देश पर शुरू किया गया है?

    बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि पिछले 24 घंटे में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और सलमान खुर्शीद की भतीजी और समाजवादी पार्टी नेता मारिया आलम खान के दो ऐसे सांप्रदायिक बयान आए हैं, जो हमारे देश के कानून के साथ ही मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट का भी उल्लंघन है। इंडी गठबंधन के नेताओं के बयान से साफ हो गया है कि घमंडिया गठबंधन लोकतंत्र के महापर्व के दौरान नफरत और जहर की खेती कर रहा है। ये हिंदुओं के खिलाफ वोट के जिहाद की बात कर रहे हैं। भाटिया ने कहा कि एक तरफ ये कहते हैं कि मुसलमानों एकजुट होकर वोट जिहाद कर दो और दूसरी तरफ कांग्रेस के रिमोट कंट्रोल अध्यक्ष खरगे हिंदुओं को बांटने और भगवान शिव को भगवान राम से लड़ाने की बात कर रहे हैं। SP मुखिया अखिलेश यादव भी वोट जिहाद के बयान की आलोचना नहीं कर रहे हैं। इससे स्पष्ट हो गया है कि उनके पीडीए का मतलब ‘प्रहार धर्म और आस्था पर’ है। बीजेपी प्रवक्ता ने इसे विचारधारा की लड़ाई बताते हुए कहा कि विपक्षी गठबंधन की सोच ही संविधान विरोधी और तालिबानी है।

    क्या होता है वोट जिहाद सब समझिए

    वोट जिहाद को समझने से पहले आपको जिहाद शब्द को समझना होगा। जिहाद का शाब्दिक अर्थ होता है किसी काम को पूरा करने के लिए पूरा जोर लगाना। राजनीति में इसका उपयोग वोटों के ध्रुवीकरण के लिए होता है। मारिया आलम खान के वोट जिहाद का मतलब है कि एक खास समुदाय के लोग जोर लगाकर ऐसी वोटिंग करें जिससे सत्ता में बैठी मोदी सरकार हार जाए। इस शब्द का यह मतलब भी है कि मुसलमान बीजेपी उम्मीदवारों और उनकी जनसभाओं का बहिष्कार करें। उनके इस बयान पर केस भी दर्ज हो गया है।

    लव जिहाद और लैंड जिहाद भी समझ लीजिए

    क्या है लव जिहाद: लव जिहाद एक विवादास्पद शब्द है जिसका इस्तेमाल कुछ लोगों की ओर से यह आरोप लगाने के लिए किया जाता है कि मुस्लिम पुरुष हिंदू महिलाओं को प्यार में फंसाकर उनका धर्म परिवर्तन कराते हैं। यह आरोप अक्सर इसलामोफोबिया से प्रेरित होता है और इसका समर्थन करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है। भारत में लव जिहाद को कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त नहीं है और कई अदालतों ने इसे एक अप्रमाणित साजिश सिद्धांत करार दिया है। बीजेपी शासित राज्यों में तो इसके खिलाफ कानून भी लाए गए हैं

    क्या है लैंड जिहाद: यह साल 2017 में उछाला गया था। इसका मतलब था कि एक खास समुदाय के लोग हिंदू बहुल क्षेत्रों में बसने और वहां मस्जिद या मदरसे का निर्माण कराते हैं। उत्तराखंड में लोगों ने आरोप लगाया था कि उनके घरों, जमीनों में एक विशेष समुदाय के लोग कब्जा कर रहे हैं। तभी से यह टर्म लोगों के बीच चर्चा में आया था।

  • 29 सीटों पर मतपेटियों को लूटने से मचा कोहराम तब भारत में आई ईवीएम,

    29 सीटों पर मतपेटियों को लूटने से मचा कोहराम तब भारत में आई ईवीएम,

    नई दिल्ली, 27 अप्रैल (The News Air): अमेरिका को आजाद हुए 235 साल हो गए और आज उसे दुनिया का सबसे शक्तिशाली लोकतंत्र माना जाता है। वहीं, ब्रिटेन की तो एक समय पूरी दुनिया में हुकूमत चलती थी और आज वह भी लोकतांत्रिक और विकसित देश है। इन देशों में आज भी पुराने तरीके से ही चुनाव कराए जाते हैं। इन देशों में आज भी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग की कोई व्यवस्था नहीं बन पाई। ये देश तकनीकी रूप से इतने ताकतवर और सक्षम हैं, फिर भी वो भारत जैसी हिम्मत नहीं जुटा पाए। भारत जैसे विशाल देश में आज पूरी तरह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से चुनाव कराए जाते हैं।

    हाल ही में ईवीएम मशीनों की विश्वसनीयता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। याचिकाओं में ईवीएम के बजाय बैलेट पेपर से मतदान कराए जाने की अपील की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिल ट्रेल यानी वीवीपैट के 100 फीसदी मिलान की मांग करने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि ईवीएम के सोर्स कोड का खुलासा नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इससे दुरुपयोग की आशंका बनी सकती है।

    अमेरिका-इंग्लैंड में बैलेट पेपर से होता है मतदान

    अमेरिका और इंग्लैंड में बैलट पेपर से वोटिंग कराने का चलन है। वहां के नागरिकों को ये संदेह है कि ईवीएम की हैकिंग की जा सकती है। अमेरिका पोस्टल बैलेट के अलावा ई-वोटिंग का सिस्टम है जो ई-मेल या फैक्स से होता है। तकनीकी रूप से वोटर को एक बैलेट फॉर्म भेजा जाता है। वह उसे भरकर ई-मेल या फैक्स से लौटा देता है। इसमें वह बैलेट पर अपनी पसंद के प्रत्याशी को मार्क करता है और उसकी डिजिटल फोटो को ई-मेल या फैक्स से भेज देता है।

    दुनिया के इन देशों में होता है ईवीएम का इस्तेमाल

    ईवीएम को लेकर दुनिया कई हिस्सों में बंटी हुई है। यूरोप और उत्तरी अमेरिका में जहां ईवीएम से मतदान नहीं कराए जाते हैं, वहीं दक्षिण अमेरिका और एशिया में ईवीएम से चुनाव कराने में भरोसा बढ़ा है। अनुमानित रूप से दुनिया के 31 देश ऐसे हैं, जहां ईवीएम का इस्तेमाल होता है या ईवीएम से चुनाव कराने को लेकर अध्ययन हो रहा है। केवल 4 देश ऐसे हैं, जहां ईवीएम का इस्तेमाल राष्ट्रीय स्तर पर होता है। 11 देश ऐसे हैं, जहां ईवीएम का इस्तेमाल कुछ हिस्सों में ही होता है। 5 देशों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में ईवीएम का इस्तेमाल कर रहे हैं। 3 देशों में इसे बंद कर दिया गया है। 11 देश ऐसे हैं, जहां पायलट प्रोजेक्ट के रूप में ईवीएम का इस्तेमाल किया गया था, उन्होंने इसका इस्तेमाल बंद कर दिया है।

    दुनिया के बड़े लोकतांत्रिक और विकसित देशों में ईवीएम पर भरोसा नहीं

    सुरक्षा, सटीकता, विश्वसनीयता और प्रमाणिकता के बारे में गभीर संदेह होने की वजह से दुनिया के कई विकसित और लोकतांत्रिक देशों में ईवीएम अपना भरोसा नहीं जीत पाई है। जैसे कि अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, नार्वे और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में या तो ईवीएम पूरी तरह से बैन है या सीमित इस्तेमाल है। अक्टूबर, 2006 में नीदरलैंड और 2009 में आयरलैंड और इटली ने ईवीएम के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी। 2009 में ही जर्मनी के सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम से चुनाव कराने को असंवैधानिक ठहरा दिया था। कोर्ट का मानना था कि चुनाव में पारदर्शिता लोगों का संवैधानिक अधिकार है।

    राष्ट्रीय स्तर पर ईवीएम का इस्तेमाल बस 4 देशों में

    भारत, भूटान, ब्राजील और वेनेजुएला जैसे देशों में ईवीएम का इस्तेमाल राष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है। इसके अलावा, बेल्जियम, एस्टोनिया, यूनाइटेड अरब अमीरात,जॉर्डन, मालदीव, नामीबिया, मिस्र, नेपाल में इसका इस्तेमाल होता है। ब्राजील में 1995 से तो भूटान में 2017 से ईवीएम का इस्तेमाल शुरू हुआ। वहीं, वेनेजुएला में 2004 से यह शुरू हुआ।

    इन देशों में कुछ हिस्सों में ईवीएम का प्रयोग

    अमेरिका, फ्रांस, अमेरिका, कनाडा, मेक्सिको, पेरू, अर्जेंटीना और जापान जैसे देशों में ईवीएम का सीमित प्रयोग होता है, वह भी महज कुछ हिस्सों में ही। वहीं, रूस, मंगोलिया, बांग्लादेश, इंडोनेशिया और इक्वाडोर जैसे देशों में ईवीएम का इस्तेमाल पायलट प्रोजेक्ट के रूप में किया जाता है। जापान में पहले ईवीएम का इस्तेमाल होता है, मगर 2018 से इस पर बैन लगा दिया गया।

    इन देशों में ईवीएम पूरी तरह बैन

    जर्मनी, नीदरलैंड और पराग्वे में ईवीएम के इस्तेमाल पर पूर्ण रूप से पाबंदी है। वहीं, कुछ देशों ने पहले पायलट प्रोजेक्ट चलाया और फिर ईवीएम पर पाबंदी लगा दी। ये देश हैं फिलीपींस,ऑस्ट्रेलिया, ग्वाटेमाला, आयरलैंड, इटली, कजाखिस्तान, नॉर्वे और ब्रिटेन। कुछ संदेहों और शिकायतों के बाद इन देशों में इसके इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी गई।

    भारत में आपातकाल के बाद 1977 से शुरू हुआ ईवीएम का सफर

    1977 में आम चुनाव हुए, जिसमें देश के करीब 29 लोकसभा सीटों पर जबरन बूथ कैप्चरिंग की गई और मतपेटियों को लूट लिया गया। पूरा देश हैरान रह गया। तब चुनाव आयोग ने पहली बार हैदराबाद में इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड(ECIL) से वोटिंग मशीन का एक प्रोटोटाइप डेवलप करने को कहा। उस वक्त के मुख्य चुनाव आयुक्त रहे शकधर ने सरकार से चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक मशीनों के इस्तेमाल पर बात की। 1980 में ECIL ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का पहला प्रोटोटाइप बनाकर चुनाव आयोग को सौंप दिया। उस वक्त इस इलेक्ट्रॉनिक मशीन में 6 बटन लगे थे, जो 6 चिप से जुड़े थे। हरेक बटन एक चुनाव उम्मीदवार से संबंधित था। हालांकि, इस मशीन में प्रत्याशियों के नाम सीमित ही दर्ज हो पाते थे। तब चुनाव आयोग ने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) से वोटिंग मशीन बनाने को कहा, जिसमें एकसाथ 64 प्रत्याशियों के नाम दर्ज रहते थे। अप्रैल, 1981 में चुनाव आयोग के सामने इस मशीन का प्रदर्शन इतना बेहतरीन रहा कि आयोग ने BEL को ऐसी मशीनों को बनाने की मंजूरी दे दी।

    भारत में पहली बार 50 बूथों पर ईवीएम का इस्तेमाल, आज 55 लाख ईवीएम चुनाव मैदान में

    केरल की एक विधानसभा सीट थी पेरावायुर, जिसने तब मीडिया का ध्यान अपनी ओर खींचा। यहां मई, 1982 में चुनाव कराए गए। इसके 123 पोलिंग बूथों में से 50 पर परंपरागत बैलेट पेपर की जगह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का इस्तेमाल किया गया। यहां मतदान बेहद शांतिपूर्ण और ईवीएम का ट्रायल पूरी तरह सफल रहा। इस ट्रायल के बाद 10 और उपचुनावों में ईवीएम का इस्तेमाल हुआ। इसी के साथ चुनावों में ईवीएम मशीन के सफर की शुरुआत हो गई। चुनाव में पहली बार नगालैंड की नोकसेन विधानसभा सीट पर 4 सितंबर, 2013 को हुए उपचुनाव में वीवीपैट का इस्तेमाल हुआ।

    अभी जो ईवीएम मशीन, उसमें अधिकतम 2000 वोट रिकॉर्ड

    भारत में जो ईवीएम इस्तेमाल की जा रही है, उसमें एक बार में अधिकतम 2000 वोट रिकॉर्ड किए जा सकते हैं। इलेक्शन कमीशन की टेक्निकल एक्सपर्ट कमेटी और दो सरकारी कंपनियों भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, बेंगलूरू और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, हैदराबाद ने ईवीएम को खास तरह से डिजाइन किया है। ईवीएम की सबसे अच्छी बात यह है कि इसे चलाने के लिए बिजली की जरूरत नहीं है। क्योंकि इसमें पहले से ही बैटरी लगी होती है, जो इसे बैकअप देतीहै। यही वजह है कि इन ईवीएम से वहां भी चुनाव कराए जा सकते हैं, जहां बिजली की व्यवस्था नहीं है।

    एकसाथ 384 प्रत्याशियों के लिए कराया जा सकता है मतदान

    ईवीएम की 1 बैलेट यूनिट में 16 प्रत्याशियों का प्रावधान होता है। अगर प्रत्याशियों की संख्या 16 से ज्यादा है तो एकसाथ ज्यादा बैलेट यूनिट्स इसमें लगाए जा सकते हैं। पहले 4 बैलेट यूनिट्स जोड़कर अधिकतम 64 प्रत्याशियों को एकसाथ जोड़ा जा सकता था। मगर, अब ऐसी 24 बैलेटिंग यूनिट एकसाथ जोड़ी जा सकती हैं, जिससे नोटा समेत अधिकतम 384 उम्मीदवारों के लिए मतदान करवाया जा सकता है।

    करीब 35 हजार रुपए तक की लागत आती है एक ईवीएम मशीन की

    वोटिंग मशीन के तीन मुख्य हिस्से होते हैं- कंट्रोल यूनिट (CU), बैलेटिंग यूनिट (BU) और वीवीपैट। सरकार की प्राइस नेगोसिएशन कमेटी ने इन हिस्सों के दाम तय करती है। चुनाव आयोग के मुताबिक, BU की कीमत है 7991 रुपए, CU की कीमत 9,812 रुपए और सबसे महंगा वीवीपैट, जिसका दाम 16,132 रुपए। एक वीवीपैट समेत एक ईवीएम मशीन की कुल लागत करीब 35 हजार रुपए बैठती है। एक ईवीएम कम से कम 15 साल तक चलती है। इससे चुनाव प्रक्रिया के सस्ता होने का भी दावा किया जाता है।

    भारत में 2009 में पहली बार उठे थे ईवीएम पर सवाल

    भारत में 2009 में पहली बार ईवीएम पर सवाल उठाए गए थे। सुब्रमण्यम स्वामी ने इस पर आपत्ति जताई थी। हालांकि राजनीतिक पार्टियों के ईवीएम बैन करने की मांग पर बाद में उन्होंने इस मुद्दे से किनारा कर लिया। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में जो याचिकाएं लगी थीं, उनमें भी बैलेट पेपर से वोटिंग कराए जाने की बात कही गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने यह कहा कि यह चुनाव सुधार से पीछे लौटने जैसा होगा।

    क्या ईवीएम को हैक या उसकी रीप्रोग्रामिंग की जा सकती है

    चुनाव आयोग के अनुसार, ईवीएम चिप आधारित मशीन है, जिसे बस एक बार प्रोग्राम किया जा सकता है। उसी प्रोग्राम से तमाम डेटा स्टोर किए जा सकते हैं। इन डेटा की कहीं से किसी तरह की कनेक्टिविटी नहीं है। ऐसे में ईवीएम में किसी तरह की हैकिंग या रीप्रोग्रामिंग मुमकिन ही नहीं है। यह पूरी तरह सुरक्षित है। ईवीएम में वोट सीरियल नंबर से स्टोर होता है। यह पार्टी के आधार पर स्टोर नहीं किया जाता है।

  • भाजपा ने घाटे वाली कंपनियों से बड़े पैमाने पर लिया चंदा : आप सांसद संजय सिंह

    भाजपा ने घाटे वाली कंपनियों से बड़े पैमाने पर लिया चंदा : आप सांसद संजय सिंह

    नई दिल्ली, 8 अप्रैल (The News Air) आम आदमी पार्टी (आप) ने आरोप लगाया है कि सात साल में करीब एक लाख करोड़ रुपये का घाटा उठाने वाली 33 कंपनियों ने टैक्स में छूट हासिल करने के लिए चुनावी बाॅन्ड के जरिए या अन्य तरीके से भाजपा को 450 करोड़ रुपये का चंदा दिया। राष्ट्रीय राजधानी में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि मोदी सरकार ने चुनावी बाॅॅन्ड व टैक्स में छूट देने के नाम पर भ्रष्टाचार किया और उसे जनता से छुपाया।

    चुनावी बॉन्ड का डेटा जनता के सामने लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद देते हुए संजय सिंह ने कहा कि सात साल में एक लाख करोड़ की घाटे वाली 33 कंपनियाें ने भाजपा को दान में 450 करोड़ रुपये दिए। इसका उन्होंने सिलसिलेवार ब्यौरा दिया। संजय सिंह ने कहा कि 17 कंपनियों ने या तो एक पैसा भी टैक्स नहीं दिया या टैक्स में छूट प्राप्त की। छह कंपनियों ने भाजपा को 600 करोड़ रुपये का चंदा दिया। एक कंपनी ने अपने मुनाफे से तीन गुना ज्यादा दान दिया। एक अन्य कंपनी ने अपने मुनाफे से 93 गुना ज्यादा दान दिया। तीन कंपनियों ने 28 करोड़ रुपये का दान दिया और एक भी पैैैसा टैक्स नहीें दिया।

    आप नेता ने कहा, “भारती एयरटेल ने भाजपा को 200 करोड़ रुपये का चंदा दिया, जबकि 2017-23 के दौरान उसे 77 हजार करोड़ रुपये का घाटा हुआ। कंपनी को टैक्स में 8,200 करोड़ रुपये की छूट मिली। कुछ छूट अदालत के आदेश पर मिली थीं।”

    सिंह ने कहा,“डीएलएफ ने भाजपा को 25 करोड़ रुपये दिए, लेकिन सात साल में उसे 130 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। उसे 20 करोड़ रुपये की टैक्स छूट मिली। स्टील स्टेटिक इंजीनियरिंग ने दान में 12 करोड़ रुपये दिए। सात वर्षों में उसे 150 करोड़ रुपये का घाटा हुआ और 160 करोड़ रुपये की टैक्स छूट प्राप्त की।”

    सिंह ने आगे दावा किया, “धालीवाल इंफ्रास्ट्रक्चर ने 115 करोड़ रुपये के बाॅन्ड खरीदे और भाजपा को 25 करोड़ रुपये दिए। लेकिन टैक्स एक पैैसा भी नहीं दिया। सात वर्षों में उसे 299 करोड़ रुपये का घाटा हुआ।”

    आप सांसद ने कहा,“पीआरएल डेवलपर्स ने 20 करोड़ रुपये के बाॅन्ड में से 10 करोड़ रुपये भाजपा को दिए, 4.7 करोड़ रुपये की टैक्स छूट प्राप्त की और कंपनी को 1,550 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसी तरह शरत रेड्डी की कंपनी उज्वला फार्मा ने भाजपा को 15 करोड़ रुपये का चंदा दिया। कंपनी को 28 करोड़ रुपये का घाटा हुआ और 7.20 करोड़ की टैक्स छूट प्राप्त की।”

    उन्होंने कहा कि मैत्रा एनर्जी ने भाजपा को 19 करोड़ रुपये के बाॅन्ड में से लगभग 10 करोड़ रुपये दिए। लेकिन सात साल में उसे 86 करोड़ रुपये का घाटा हुआ और 126 करोड़ रुपये की टैक्स छूट मिली।

  • सुनीता केजरीवाल से मिलकर बोले ‘‘आप’’ विधायक, ‘‘हम केजरीवाल के साथ, जेल से चलाएं सरकार’’

    सुनीता केजरीवाल से मिलकर बोले ‘‘आप’’ विधायक, ‘‘हम केजरीवाल के साथ, जेल से चलाएं सरकार’’

     

    – सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद पहली बार उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल से मुलाकात कर ‘‘आप’’ विधायकों ने दिखाई एकजुटता

    – सीएम केजरीवाल को इस्तीफा देने के लिए भाजपा कैंपेन चलाएगी और जब इस्तीफा दे देंगे तब कहेगी कि वो भाग गए- सौरभ भारद्वाज

    – केजरीवाल दिल्ली के सीएम थे, हैं और रहेंगे, विधायकों का यह संदेश सीएम केजरीवाल तक उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल पहुंचाएंगी- सौरभ भारद्वाज

    – रामलीला मैदान में विशाल रैली की सफलता पर जेल से सीएम केजरीवाल ने भेजा संदेश, मुझे आप सब पर बहुत गर्व है- सौरभ भारद्वाज

    – सीएम ने कार्यकर्ताओं से कहा है कि मेरी चिंता न करें, मैं ठीक हूं, मजबूत हूं और मेरे इरादे पहले से ज्यादा मजबूत हैं- सौरभ भारद्वाज

    – भाजपा 25 साल से दिल्ली की सत्ता पाने की कोशिश कर रही है, मगर वो आज भी उतनी ही दूर है, जितनी 25 साल पहले थी- सौरभ भारद्वाज

    नई दिल्ली, 2 अप्रैल (The News Air):  आम आदमी पार्टी के सभी विधायकों और मंत्रियों ने मंगलवार को सीएम अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल से मुलाकात की। सीएम की गिरफ्तारी के बाद उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल से एक साथ विधायकों की यह पहली मुलाकात है। सीएम आवास पर मुलाकात के दौरान सभी विधायकों ने उन्हें भरोसा दिया कि वो सभी अरविंद केजरीवाल के साथ एकजुट खड़े है। दिल्ली की दो करोड़ जनता भी उनके साथ है। इसलिए उनको मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देना चाहिए। भाजपा तो चाहती है कि सीएम केजरीवाल इस्तीफा दें। इसके लिए भाजपा कैंपेन भी चलाएगी, लेकिन जब वो इस्तीफा दे देंगे तो यही भाजपा कहेगी कि वो भाग गए। अरविंद केजरीवाल दिल्ली के सीएम थे, हैं और आगे भी रहेंगे। सुनीता केजरीवाल विधायकों का यह संदेश अरविंद केजरीवाल तक पहुंचएंगी। उन्हांेने कहा कि जेल से सीएम अरविंद केजरीवाल ने ‘‘आप’’ के सभी कार्यकर्ताओं और समर्थकों को संदेश भेजा है कि मेरी चिंता न करें। मैं ठीक हूं, मजबूत हूं और मेरे इरादे पहले से ज्यादा मजबूत हैं।

    आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद से कई विधायक अरविंद केजरीवाल की धर्मपत्नी सुनीता केजरीवाल से मिलना चाहते थे, लेकिन परिस्थितियां ठीक नहीं थीं। केवल कुछ लोग ही उनसे मिल पा रहे थे। सभी केंद्र सरकार के खिलाफ लगातार धरना प्रदर्शन में व्यस्त थे। इसके बाद सभी विधायक 31 मार्च को रामलीला मैदान में आयोजित महारैली की तैयारियों में लग गए। इसलिए मंगलवार को आम आदमी पार्टी के सभी विधायक सीएम आवास पर सुनीता केजरीवाल से मुलाकात करने आए थे।

    उन्होंने बताया कि करीब दो दर्जन विधायकों ने अपनी बात सुनीत केजरीवाल के सामने रखी। विधायकों ने उनसे कहा कि बीजेपी बहुत दबाव बनाएगी, अलग-अलग तर्क-कुतर्क दिए जाएंगे कि अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दें। भाजपा की तरफ से एक पूरा कैंपेन चलाया जाएगा कि वो अपने पद से इस्तीफा दें। जिस तरह से लोकपाल बिल के समय पर जब वो पास नहीं हो पाया था, तब सीएम पर इस्तीफे का दबाव बनाया गया था। जब उन्होंने इस्तीफा दे दिया तो कहा गया कि वो भाग गए। बीजेपी की यह पॉलिसी है कि इस्तीफा लेने के लिए एक जाल बिछाया जाए।

    “आप” के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि अब जब केवल सुनीता केजरीवाल ही जेल में सीएम अरविंद केजरीवाल से मुलाकात कर पाएंगी। सुनीता केजरीवाल ही पार्टी का संदेश सीएम केजरीवाल के पास पहुंचा सकती हैं और उनका संदेश पार्टी को दे सकती हैं। इसलिए सभी विधायकों ने उनसे कहा कि जब भी आपकी सीएम से मुलाकात हो या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात हो तो आप हम सभी विधायकों का संदेश उन तक पहुंचाएं कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री थे, हैं और आगे भी वहीं मुख्यमंत्री रहेंगे। सभी लोगों ने उनसे ये बात स्पष्ट तौर पर कही है।

    उन्होंने बताया कि सुनीता केजरीवाल ने सीएम अरविंद केजरीवाल का संदेश सभी विधायकों को दिया, जिसमें सीएम ने कहा है कि उन्हें इस बात पर बहुत गर्व है कि उनके जाने के बाद भी उनके विधायकों, पार्षदों और संगठन के लोगों ने मिलकर रामलीला मैदान में इतनी बड़ी रैली का आयोजन किया। जिसमें लाखों की संख्या में लोग शामिल हुए। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ये बात हम सबको समझ आ रही है कि जब तक वो जेल में रहेंगे, बीजेपी के लिए मुश्किलें और बढ़ती जाएंगी। विधायकों ने सुनीता केजरीवाल से सीएम के स्वास्थ्य के बारे में भी पूछा। जिसपर पर सीएम ने कहा है कि विधायक मेरी चिंता न करें, मैं ठीक हूं, मजबूत हूं और मेरे इरादे पहले से भी ज्यादा मजबूत हैं। अगली वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में वो सीएम अरविंद केजरीवाल को विधायकों के संदेश देंगी।

    मीडिया के सवालों पर सौरभ भारद्वाज ने कहा कि एक बहुत पुरानी कहावत है कि जब गांव में दही से मक्खन निकाला जाता था तो मां उसको हांडी में बांध देती थी कि बच्चे उसमें से मक्खन न निकाल लें। तब बिल्ली उस हांडी को देखती रहती थी, उसको लगता था कि हांडी अपने आप टूट जाएगी और मक्खन अपने आप नीचे गिर जाएगा। आज बीजेपी रूपी बिल्ली भी दिल्ली की सत्ता को 25 साल से ऐसे ही देख रही है। मगर ये सत्ता उससे उतनी ही दूर है, जितनी 25 साल पहले थी। ये हांडी न टूटेगी और न ये मक्खन बीजेपी को मिलेगा।

  • पहले अतीक और अब मुख्तार, सालभर में बाहुबली माफियाओं से मुक्त हो गया पूर्वांचल

    पहले अतीक और अब मुख्तार, सालभर में बाहुबली माफियाओं से मुक्त हो गया पूर्वांचल

    नई दिल्ली, 29 मार्च (The News Air) यूपी की बांदा जेल में बंद बाहुबली मुख्तार अंसारी की गुरुवार को मौत हो गई। मुख्तार की मौत कार्डियक अरेस्ट की वजह से हुई। मुख्तार की मौत के साथ ही पूर्वांचल में अपराध के एक युग का अंत हो गया। पूर्वांचल के दो सबसे बड़े बाहुबली अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी का सालभर में मारे गए। पिछले साल अतीक अहमद को पुलिस हिरासत में बदमाशों ने गोलियों से भून दिया, तो वहीं मुख्तार अंसारी के परिवार का आरोप है कि उन्हें जेल में धीमा जहर देकर मारा गया। अतीक और मुख्तार पूर्वांचल के दो ऐसे नाम से जो दशकों से राजनीतिक संरक्षण में कई काले कारनामों को अंजाम देते रहे। दोनों के खिलाफ कई गंभीर मामले चल रहे थे। दोनों बाहुबलियों ने पूर्वांचल में गाजीपुर से प्रयागराज तक अपना दबदबा चलाया। उन पर हत्या, जमीन हथियाना, सुपारी लेकर हत्या करना, अपहरण और वसूली जैसे गंभीर अपराधों के आरोप थे। उनके गुर्गे इन सब गलत कामों को अंजाम देते थे। दोनों का रौब ऐसा था जैसे ये कोई असली नहीं बल्कि वेब सीरीज ‘मिर्जापुर’ या फिल्म ‘गैंग्स ऑफ़ वासेपुर’ की कहानी हो

    राजनीतिक संरक्षण ने बढ़ाया दोनों अपराधियों को कद

    मुख्तार अंसारी हो या अतीक अहमद दोनों अपराधी तो थे ही, लेकिन इनका कद बढ़ाने के पीछे राजनीतिक पार्टियों का हाथ था। सपा और बसपा दोनों पार्टियों ने अतीक और अंसारी का इस्तेमाल चुनाव जीतने के लिए किया। पूर्वांचल ऐसे माफियाओं और संगठित अपराध के लिए बदनाम हो गया था। मुख्तार अंसारी 1995 से 2022 तक लगातार पांच बार मऊ से विधायक रहे। बिना किसी सजा के वो लगभग 27 साल विधायक रहे। हालांकि 2014 के बाद, खासकर 2017 में केंद्र और फिर राज्य में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से सब बदल गया। सीएम योगी खुद भी पूर्वांचल के गोरखपुर से ही आते हैं, ऐसे में उनका फोकस पूर्वाचंल की छवि बदलने पर रहा।

    जब चला ‘बाबा का बुलडोजर’

    माफियाओं के खिलाफ योगी सरकार का बुलडोजर ऐक्शन बहुत तेजी से चला। इस ऐक्शन के तहत अतीक और मुख्तार दोनों की अवैध संपत्तियों को या तो जब्त कर लिया गया या जमींदोज कर दिया गया। इसी तरह से उत्तर प्रदेश में ‘बाबा का बुलडोजर’ मॉडल फेमस हुआ। योगी सरकार ने अतीक और मुख्तार के लंबे समय से पेंडिग मामलों को अदालत में तेजी से आगे बढ़ाया, जिससे उन्हें आखिरकार सजा मिली। उनकी आर्थिक और कानूनी सुरक्षा दोनों खत्म हो गई। योगी के शासन में ही अतीक और अंसारी को पहली बार सजा सुनाई गई।

    मुख्तार अंसारी के खिलाफ 66 मामले थे दर्ज

    अंसारी 2005 से पिछले 18 सालों से जेल में था, उस पर 66 मामले दर्ज हैं, लेकिन अब तक वो किसी मामले में सजायाफ्ता नहीं था। मगर 2017 के बाद से उसे आठ बार सजा सुनाई जा चुकी है। पिछले साल मई में 32 साल पुराने अवधेश राय मर्डर केस में अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। इस मामले में गवाही प्रभावित करने या कोर्ट की कार्यवाही में रूकावट डालने की उसकी चालों का अंत हो गया। राय हत्याकांड में 32 साल बाद उसे सजा मिली। इसी तरह 2021 में वाराणसी के भेलूपुर थाने में 1997 में दर्ज एक मामले में (24 साल बाद) उसके खिलाफ आरोप तय किए गए। 2022 में आगरा के जगदीशपुर थाने में 1999 में दर्ज एक अन्य मामले में भी (23 साल बाद) आरोप तय किए जा सके। साथ ही लखनऊ के आलमबाग थाने में 2000 में उसके खिलाफ दर्ज एक मामले में भी (21 साल बाद) 2021 में आरोप तय किए गए। इससे पहले पुलिस और न्यायिक व्यवस्था पर उसके प्रभाव का पता चलता है।

    अतीक अहमद पर भी हुआ था ऐक्शन

    इससे पहले, मुख्तार अंसारी के एक खास गुर्गे और शूटर मुन्ना बजरंगी को भी 2018 में बागपत जेल में ही मार दिया गया था। अतीक अहमद के खिलाफ भी 2017 से ही लगातार पुलिस कार्रवाई होती रही, पिछले साल उन्हें उनके भाई के साथ गोली मार दी गई थी। अतीक अहमद की मौत से कुछ दिन पहले ही उसके बेटे असद अहमद की भी पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई। पुलिस ने अतीक की 1400 करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त कर लिया और करीब 50 बेनामी कंपनियों को सील कर दिया गया, जिनका इस्तेमाल अतीक वसूली से कमाए काले धन को सफेद करने के लिए करता था।

    2017 से पहले, अतीक के खिलाफ 100 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज थे, लेकिन वो हमेशा जमानत पर छूट जाता था और बाहर रहता था। पहला मामला तो 1979 में ही दर्ज हो गया था, लेकिन यूपी की किसी भी सरकार को उसे किसी मामले में सजा नहीं दिला पाई। ऐसा इसलिए होता था क्योंकि गवाह या तो मुकर जाते थे या फिर गायब हो जाते थे। योगी सरकार ने ही उमेश पाल नाम के मुख्य गवाह के अपहरण के मामले में मजबूत पैरवी की, जिसकी वजह से अतीक को पहली बार उम्रकैद की सजा हुई।

    पूर्वांचल में बाहुबली का दौर खत्म

    वहीं यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने सदन में कहा था कि ‘हम माफिया को मिट्टी में मिला देंगे’ और कुछ ऐसा ही अतीक और मुख्तार के मामले में हुआ लगता है, हालांकि उनकी मौत विवादों में घिरी हुई है। मुख्तार के परिवार का हाल ही में ये आरोप था कि जेल में उन्हें धीरे-धीरे जहर दिया जा रहा है। उनकी मौत के बाद अब इन आरोपों की गहन जांच हो सकती है। लेकिन, बड़ी बात ये है कि पूर्वांचल अब अपने दो सबसे बड़े माफियाओं से मुक्त हो गया है और इसी के साथ बाहुबली और गुंडे से नेता बनने वालों का दौर भी खत्म हो गया है।

  • सदानंद गौड़ा बोले- नहीं छोड़ेंगे बीजेपी, कर्नाटक में खत्म होना चाहिए भाई-भतीजावाद

    सदानंद गौड़ा बोले- नहीं छोड़ेंगे बीजेपी, कर्नाटक में खत्म होना चाहिए भाई-भतीजावाद

    बेंगलुरु, 21 मार्च (The News Air) पूर्व केंद्रीय मंत्री डी वी सदानंद गौड़ा को भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बेंगलुरु उत्तर सीट से टिकट नहीं दिया है। सदानंद गौड़ा ने कहा है कि वह पार्टी नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने भाजपा की कर्नाटक इकाई से भाई-भतीजावाद खत्म कर शुद्धिकरण करने का आह्वान किया।

    गुरुवार को मीडिया से बात करते हुए गौड़ा ने कहा कि मेरे बारे में बातें फैलाई गई कि भाजपा छोड़ रहा हूं और कांग्रेस में शामिल हो जाऊंगा। यह गलत है। मैं कांग्रेस में शामिल नहीं होऊंगा। मैं भाजपा नहीं छोड़ रहा हूं। दरअसल गौड़ा को कांग्रेस में शामिल कराए जाने को लेकर कर्नाटक कांग्रेस नेताओं के विचार नहीं मिल रहे थे। कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डी के शिवकुमार को गौड़ा के पार्टी में आने पर आपत्ति नहीं थी, लेकिन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया इसके खिलाफ थे।

    पिछले साल नवंबर में गौड़ा ने की थी संन्यास की घोषणा : गौड़ा ने पिछले साल नवंबर में अपने राजनीतिक संन्यास की घोषणा की थी। हालांकि बाद में उन्होंने कहा था कि कुछ भाजपा नेताओं ने उनसे फैसले पर फिर से विचार करने की अपील की है। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री गौड़ा ने कहा, “मैंने फिर से चुनाव लड़ने का फैसला किया, लेकिन अंत में मुझे खाली हाथ छोड़ दिया गया।”

    गौड़ा ने नाम लिए बिना भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली राज्य भाजपा इकाई पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “राज्य इकाई की जिम्मेदारी लेने वाले लोग स्वार्थी हो गए हैं। सड़क पर चर्चा है कि पार्टी एक व्यक्ति, उसके बच्चों, परिवार और चेलों (चेलों) तक सिमट कर रह गई है। राज्य इकाई को इस तरह की व्यवस्था से छुटकारा पाना चाहिए।”

    गौड़ा ने कहा कि कर्नाटक बीजेपी का शुद्धिकरण होना चाहिए। शुद्धिकरण में प्रमुख कदम भाई-भतीजावाद को समाप्त करना है। बता दें कि येदियुरप्पा के दूसरे बेटे बी वाई विजयेंद्र भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं। उनके बड़े बेटे बी वाई राघवेंद्र शिवमोग्गा लोकसभा क्षेत्र से तीसरी बार सांसद बनने की कोशिश कर रहे हैं।

  • पंजाब पुलिस द्वारा अपनी तरह की पहली आर्टिफिशियल इंटेलीजैंस लर्निंग लैब की जाएगी स्थापित

    पंजाब पुलिस द्वारा अपनी तरह की पहली आर्टिफिशियल इंटेलीजैंस लर्निंग लैब की जाएगी स्थापित

    -डीजीपी पंजाब ने पंजाब पुलिस के आधुनिकीकरण में पूर्ण समर्थन के लिए मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान का किया धन्यवाद

    – ए.आई. और एम.एल. लैब पुलिस को आपराधिक गतिविधियों का पता लगाने, आपराधिक व्यवहार को समझने में मदद करेगी: डीजीपी गौरव यादव

    चंडीगढ़, 24 जनवरी (The News Air) मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की दूरदअंदेशी सोच के तहत, राज्य में पंजाब पुलिस के काम को अधिक आधुनिक और नवीनतम आर्टिफिशियल इंटेलीजैंस (ए.आई.) तकनीको से लैस करने की दिशा में पहला कदम उठाते हुए, पंजाब पुलिस ने अपनी तरह का पहला इन-हाउस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (ए.आई.) और मशीन लर्निंग (एम.एल.) लैब स्थापित करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई.आई.टी.) रोपड़ के साथ एक एम.ओ.यू. (समझौता) किया है।
    यह जानकारी पंजाब के डायरैक्टर जनरल आफ पुलिस (डीजीपी) गौरव यादव ने बुधवार को यहां दी।

    यह एम.ओ.यू एडीजीपी तकनीकी सेवाएं, पंजाब राम सिंह और आई.आई.टी. रोपड़ के डायरैक्टर प्रोफेसर राजीव आहूजा ने डीजीपी, पंजाब गौरव यादव की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए। इसी बीच एस.पी टैक्निकल सर्विसेज़ पंजाब, संदीप कौर संधू और आई.आई.टी. रोपड़ के सहायक प्रोफेसर डा. संतोष कुमार विपार्थी भी उपस्थित थे।

    डीजीपी गौरव यादव ने पंजाब पुलिस को आधुनिक बनाने में पूर्ण सहयोग के लिए मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान को धन्यवाद दिया और कहा कि यह सहयोग न केवल विभिन्न तकनीकी अविष्कारों का मार्ग साफ करेगा, बल्कि भविष्योन्मुखी पुलिसिंग, अपराध की जड़ तक जाकर उसका अध्ययन भी करेगा। फेशियल रिकोगनाईजेशन और इंटेलीजैंस डिसीजन मेकिंग लेने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करने में भी मदद करेगा।

    उन्होंने कहा कि जहां ए.आई. बड़े पैमाने पर डेटा में पैटर्न और रुझानों की पहचान करके पुलिस को आपराधिक गतिविधियों और धोखाधड़ी का पता लगाने में मदद मिल सकती है, जबकि एम.एल एल्गोरिदम आपराधिक व्यवहार को समझने और उसके अनुसार स्त्रोतों की बांट करने में मदद कर सकता है। उन्होंने कहा कि प्रयोगशाला रियल टाईम डेटा के आधार पर जनशक्ति तैनाती को अनुकूलित करने में भी मदद करेगी।

    इस संबंध में अधिक जानकारी सांझा करते हुए ए.डी.जी.पी. राम सिंह ने कहा कि मौजूदा दौर में मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजैंस में तेजी से हो रही प्रगति कानून इनफोर्समैंट एजेंसियों के काम करने के तरीके को बदलने की क्षमता रखती है।

    उन्होंने कहा कि यहल अत्याधुनिक टैक्नालाजी का लाभ उठाने के लक्ष्य के साथ शुरू किए लक्षयों के तौर पर चलाई गई है। कानून लागू करने की क्षमताओं को बढ़ाने, सार्वजनिक सुरक्षा में सुधार करने और एआई-संचालित सुरक्षा समाधानों में अविष्कारों को बढ़ावा देने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि यह पहल पूरे पंजाब में कानून प्रवर्तन प्रथाओं में क्रांति लाने और सुरक्षा उपायों को बढ़ाने के लिए एम.एल. और ए.आई. में प्रगति की वचनबद्धता को दर्शाती है।

    विशेष रूप से, यह लैब रिपोर्ट और कागजी कार्रवाई के स्वचालन के परिणामस्वरूप अधिकारियों और प्रशासकीय कर्मचारियों के समय की बचत सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। एआई-संचालित डैशबोर्ड कानून लागू करने वाली एजेंसियों को रीयल टाईम विश्लेषण ,चल रहे संचालन और घटनाओं की अंतर्दृष्टि संबंधी जागरूकता में सुधार कर सकते है।

  • भाजपा ने ईडी के सामने पेश नहीं होने पर दिल्ली सीएम से पूछा, ‘किस बात का डर है’

    भाजपा ने ईडी के सामने पेश नहीं होने पर दिल्ली सीएम से पूछा, ‘किस बात का डर है’

    नई दिल्ली, 3 जनवरी (The News Air) दिल्ली में हुए शराब घोटाले के मामले में जांच एजेंसी ईडी द्वारा जारी किए गए तीसरे नोटिस पर भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जांच एजेंसी के सामने पेश होने को तैयार नहीं हैं। भाजपा ने आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री के रवैये पर सवाल उठाते हुए पूछा है, “आखिर अरविंद केजरीवाल को किस बात का डर है? क्या उन्होंने शराब उत्पाद शुल्क घोटाले में जेल में बंद मनीष सिसौदिया और संजय सिंह को छोड़ दिया है ?”

    दरअसल, शराब घोटाले के मामले में जांच एजेंसी ईडी ने अरविंद केजरीवाल को तीसरा नोटिस जारी कर 3 जनवरी को पेश होने के लिए कहा था, लेकिन बताया जा रहा है कि केजरीवाल आज भी जांच एजेंसी के सामने पेश होने को तैयार नहीं है।

    भाजपा ने केजरीवाल के रवैये पर सवाल उठाते हुए एक्स पर पोस्ट कर कहा, “अरविंद केजरीवाल को किस बात का डर है ? क्या उन्होंने शराब उत्पाद शुल्क घोटाले में जेल में बंद मनीष सिसौदिया और संजय सिंह को छोड़ दिया है।”

    भाजपा ने केजरीवाल के साथ-साथ विपक्षी गठबंधन में शामिल अन्य दलों पर भी भ्रष्टाचार को लेकर हमला बोलते हुए आगे कहा, “केजरीवाल को ईडी के समन को नजरअंदाज करने के बजाय, आई.एन.डी.आई.गठबंधन के नेताओं के भ्रष्टाचार के बारे में सबक लेना चाहिए, जो उनके अनुभव से खुद को समृद्ध भी कर सकते हैं।”

  • राजनाथ ने भारतीय जहाजों पर ड्रोन से हमला करने वालों को…

    राजनाथ ने भारतीय जहाजों पर ड्रोन से हमला करने वालों को…

    मुंबई, 26 दिसंबर (The News Air) रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने खुले समुद्र में दो जहाजों पर हाल ही में हुए ड्रोन हमलों पर कड़ा रुख अपनाते हुए मंगलवार को चेतावनी दी कि हमलावरों को कड़ी सजा दी जाएगी, क्योंकि भारत संपूर्ण हिंद महासागर क्षेत्र के लिए एक नेट सुरक्षा प्रदाता की भूमिका निभा रहा है।

    सिंह ने कहा, “भारतीय नौसेना ने समुद्र की निगरानी बढ़ा दी है… भारत ने अरब सागर में ‘एमवी केम प्लूटो’ और लाल सागर में ‘एमवी साईं बाबा’ पर हाल ही में हुए ड्रोन हमलों को बहुत गंभीरता से लिया है। जिस किसी ने भी इन हमलों को अंजाम दिया है, हम उन्हें ढूंढ लेंगे, भले ही वे समुद्र तल में छिपे हों।”

    नौसेना स्टाफ के प्रमुख, एडमिरल राधाकृष्णन हरि कुमार ने कहा कि भारत ने व्यापारी जहाजों पर समुद्री डकैती और ड्रोन हमलों का मुकाबला करने के लिए चार नवीनतम युद्धपोत तैनात किए हैं, इसके अलावा पी8आई विमान, डोर्नियर्स, सी गार्डियन, हेलीकॉप्टर और भारतीय तट रक्षक जहाज भी इन खतरों का मुकाबला करने में शामिल हो रहे हैं।

    रक्षामंत्री ने नवीनतम और सबसे शक्तिशाली युद्धपोत, ‘इंफाल’ का जलावतरण करते हुए हमलों के लिए समुद्र में बढ़ती अशांति को जिम्मेदार ठहराया। उन्‍होंने कहा, “भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत और रणनीतिक शक्ति के कारण कुछ ताकतों में ईर्ष्या और नफरत भर गई है।”

    सिंह ने आश्‍वासन दिया, “हम पूरे आईओआर के लिए एनएसपी की भूमिका में हैं… हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इस क्षेत्र में समुद्री व्यापार समुद्र से आसमान तक पहुंचे। इसके लिए हम अन्य मित्र देशों के साथ मिलकर समुद्री वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए समुद्री मार्गों को सुरक्षित रखेंगे।”

    मंत्री ने कहा कि पहले देश को ज्यादातर भूमि आधारित खतरों का सामना देश की पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर करना पड़ता था और भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना पर ध्यान दिया जाता था।

    हालांकि, समुद्र और महासागरों की सुरक्षा के महत्व को रेखांकित करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के तहत, भारतीय नौसेना पर भी उतना ही ध्यान दिया जा रहा है।

    सिंह ने बताया, “अगर हम भौगोलिक दृष्टिकोण से अंतरराष्ट्रीय वस्तुओं की आवाजाही पर विचार करें, तो उत्तर में हिमालय और पश्चिम में शत्रुतापूर्ण पाकिस्तान के कारण, वहां सीमित व्यापार संभव है, और हमारा अधिकांश सामान समुद्र के माध्यम से आता है।”

    उन्होंने कहा कि नव नियुक्त युद्धपोत, आईएनएस इम्फाल भारत की बढ़ती समुद्री शक्ति को दर्शाता है, और यह पोत ‘जलमेव यस्य, बलमेव तस्य’ या जो पानी पर शासन करता है, के सिद्धांत को और मजबूत करेगा, यह भारत-प्रशांत क्षेत्र में सबसे शक्तिशाली है। .

    इस अवसर पर नौसेना प्रमुख एडमिरल राधाकृष्णन हरि कुमार ने कहा कि ‘आईएनएस इंफाल’ न केवल समुद्र से उत्पन्न होने वाले भौतिक खतरों से निपटेगा, बल्कि राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करने वाले नापाक मंसूबों को रोकने में भी मदद करेगा।

    एडमिरल कुमार ने कहा, “एक बार चालू होने के बाद जहाज के चालक दल में हमारे समाज के हर वर्ग, हमारे जनसांख्यिकी रूप से समृद्ध देश के हर क्षेत्र और राज्य के कर्मी शामिल होंगे – सभी एक मजबूत टीम में शामिल होंगे जो एक दूसरे के लिए और हमारे लिए अपना जीवन दांव पर लगाने के लिए तैयार हैं। पवित्र तिरंगा भारत की अंतर्निहित अखंडता को दर्शाता है।”

    इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए भारतीय नौसेना को देश के प्रत्येक जिले, ब्लॉक और गांव से – भारत के हर कोने से – पुरुष और महिला दोनों – कम से कम एक अग्निवीर को शामिल करने की उम्मीद है।

    एडमिरल कुमार ने कहा, “हम सेवा में रहते हुए उन्हें कौशल प्रदान करेंगे, शैक्षणिक संस्थानों के माध्यम से उनकी क्षमताओं को प्रमाणित करेंगे, उनमें राष्ट्रवाद की भावना पैदा करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि वे अमूल्य संपत्ति के रूप में नागरिक क्षेत्र में फिर से शामिल हों। हमारा उद्देश्य पूरे देश में ऐसे राष्ट्रवादी कार्यबल को फैलाना है।“

    इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि आईएनएस इंफाल का भारतीय नौसेना, मणिपुर राज्य, पूरे उत्तर-पूर्व और भारत में एक विशेष स्थान है।

    उन्होंने कहा कि नया युद्धपोत दुश्मन पर ‘आग बरसाएगा’ जैसा कि ड्रैगन हेड और शेर के शरीर वाले कांगला-सा जहाज के शिखर में परिलक्षित होता है, और प्रतिकूल परिस्थितियों के सामने अदम्य संकल्प का प्रदर्शन करेगा।

    एडमिरल ने गर्व से कहा, “यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि इंफाल पहला युद्धपोत है, जिसने सतह से सतह तक मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।”

    भारतीय नौसेना ने तीन युद्धपोतों को चालू किया है, 2021 में विशाखापत्तनम, 2022 में मोर्मोगोआ, 2023 में इंफाल और 2024 में ‘सूरत’ के शामिल होने की उम्मीद है, जिससे यह चार वर्षों में लगातार चार हो जाएगा, जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

  • बिटकॉइन माइनर्स को 2023 में लेनदेन राजस्व में 400 प्रतिशत की वृद्धि की उम्‍मीद

    बिटकॉइन माइनर्स को 2023 में लेनदेन राजस्व में 400 प्रतिशत की वृद्धि की उम्‍मीद

    नई दिल्ली, 25 दिसंबर (The News Air) लेनदेन शुल्क के रूप में बिटकॉइन माइनर्स द्वारा एकत्र किया गया राजस्व 2023 में प्रति दिन औसतन लगभग 2 मिलियन डॉलर था, जिसमें अगले साल-400 प्रतिशत की वृद्धि की संभावना है।

    बिटकॉइन सेल्फ-कस्टडी प्लेटफॉर्म कासा के सह-संस्थापक जेम्सन लोप के अनुसार, बिटकॉइन माइनर्स ने 2023 में 10 बिलियन डॉलर से अधिक की कमाई की।

    उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया,“बिटकॉइन माइनर्स ने 2023 में 10 बिलियन डॉलर से अधिक की कमाई की, जो 15 वर्षों में कुल 57 बिलियन डॉलर की तुलना में महत्वपूर्ण उछाल है।”

    क्रिप्टो.न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार, बिटकॉइन माइनर्स ने ब्लॉक पुरस्कारों में 44 मिलियन डॉलर से अधिक कमाए, भले ही खनन कठिनाई 3.55 प्रतिशत बढ़कर अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई।

    क्रिप्टो बाजार खुफिया उत्पादों के अग्रणी प्रदाता मेसारी ने पोस्ट किया कि बीटीसी माइनर्स ने नवंबर में महत्वपूर्ण उद्यम पूंजी निवेश को आकर्षित किया।

    “पिछले महीने क्रिप्टो धन उगाहने का नेतृत्व बीटीसी माइनर्स ने किया था, इसमें नॉर्दर्न डेटा और फीनिक्स ग्रुप ने क्रमशः 600 मिलियन और 370 मिलियन डॉलर जुटाए थे।

    मेसारी ने एक्स पर लिखा, “उन सौदों को छोड़कर, बाकी क्रिप्टो उद्यम बाजार ने 98 सौदों पर 750 मिलियन डॉलर का कारोबार किया।”

    इस घटनाक्रम ने बाजार पर नजर रखने वालों को 2024 में बिटकॉइन की कीमत के बारे में भविष्यवाणियां करने के लिए प्रेरित किया है, कुछ का दावा है कि यह 160,000 डॉलर तक जा सकती है।

    इस वर्ष बिटकॉइन में 160 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, इससे इसके बाजार पूंजीकरण में लगभग 530 बिलियन डॉलर का इजाफा हुआ।

    बैंकलेस टाइम्‍स डॉट काॅॅम के एक विश्लेषण के अनुसार, सोलाना डिजिटल सिक्का बाजार जनवरी 2023 से 627 प्रतिशत बढ़ गया है, जो किसी भी क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक नया वार्षिक उच्च स्तर है।

  • इंडिया ब्लॉक ने 146 सांसदों के निलंबन के खिलाफ जंतर-मंतर पर किया विरोध प्रदर्शन

    इंडिया ब्लॉक ने 146 सांसदों के निलंबन के खिलाफ जंतर-मंतर पर किया विरोध प्रदर्शन

    नई दिल्ली, 22 दिसंबर (The News Air) संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान 146 विपक्षी सांसदों के निलंबन के खिलाफ इंडिया ब्लॉक के नेताओं ने शुक्रवार को यहां जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया और 13 दिसंबर को संसद में सुरक्षा उल्लंघन के मामले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बयान देने की मांग की।

    कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, अधीर रंजन चौधरी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार और सीपीआई के डी. राजा, सीपीएम के सीताराम येचुरी सहित सभी निलंबित सांसद जंतर मंतर पर एकत्र हुए।

    कांग्रेस के राज्यसभा सांसद सैयद नसीर हुसैन ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ”संसद निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था है, 700 से अधिक सांसद प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं।”

    उन्होंने कहा, “सरकार को सांसदों को निलंबित करने और सदन चलाने का कोई अधिकार नहीं है। यह सरकार पूरी तरह से तानाशाही और अलोकतांत्रिक है।”

    कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा, “क्या कभी इतने सारे सांसदों को निलंबित किया गया है? हमने केवल गृह मंत्री से बयान की मांग की थी।”

    सीपीआई (एम) नेता सीताराम येचुरी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “हमें उन लोगों से लोकतंत्र को बचाने की जरूरत है, जो वर्तमान में सत्ता में हैं। संसद में सुरक्षा उल्लंघन की घटना के लिए भाजपा को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।”

    संसद में सुरक्षा उल्लंघन पर गृह मंत्री से विस्तृत बयान की मांग को लेकर कम से कम 146 सांसदों को संसद के शीतकालीन सत्र से निलंबित कर दिया गया।

    13 दिसंबर को शून्यकाल की कार्यवाही के दौरान दो लोग लोकसभा की दर्शक दीर्घा से कूद गए और पीले रंग का धुआं भी फेंक दिया। दिल्ली पुलिस ने मामला दर्ज किया और जांच के सिलसिले में छह लोगों को गिरफ्तार किया।

  • ईडी ने झारखंड के सीएम सोरेन को मंगलवार को पूछताछ के लिए बुलाया

    ईडी ने झारखंड के सीएम सोरेन को मंगलवार को पूछताछ के लिए बुलाया

    नई दिल्ली, 11 दिसंबर (The News Air) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को 12 दिसंबर को पूछताछ के लिए बुलाया है। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

    झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के नेता सोरेन को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एजेंसी के सामने पेश होने के लिए कहा गया है।

    यह छठी बार है, जब ईडी ने सोरेन को पूछताछ के लिए बुलाया है।

    सोरेन ने पहले वित्तीय जांच एजेंसी के सभी समन को नजरअंदाज कर दिया था।

    ईडी ने सोरेन को 8 अगस्त, 19 अगस्त और 1 सितंबर को समन जारी कर क्रमश: 14, 24 अगस्त और 9 सितंबर को उसके सामने पेश होने को कहा था। उसके बाद ईडी ने चौथा समन जारी किया और उन्हें 23 सितंबर को उनके सामने पेश होने के लिए कहा। पांचवें समन में उन्हें 4 अक्टूबर को उसके सामने पेश होने के लिए कहा गया।

  • दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर राघव चड्ढा बोले : यह घर नहीं, संविधान बचाने की लड़ाई है

    दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर राघव चड्ढा बोले : यह घर नहीं, संविधान बचाने की लड़ाई है

    नई दिल्ली, 18 अक्टूबर (The News Air) आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा ने मंगलवार को कहा कि यह किसी घर या दुकान को बचाने की लड़ाई नहीं है, बल्कि भारत के संविधान को बचाने की लड़ाई है।

    चड्ढा की यह प्रतिक्रिया दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा उनके आधिकारिक आवास के आवंटन को रद्द करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द करने के बाद आई है।

    सांसद ने कहा, “मैं ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द करने के लिए माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय को धन्यवाद देता हूं, जो मेरे खिलाफ था।”

    उन्होंने आगे कहा, “यह पहली बार है कि किसी राज्यसभा सदस्य को इस तरह से निशाना बनाया गया है। अब तक मैंने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को जवाबदेह ठहराते हुए संसद में दो भाषण दिए हैं। मेरे पहले भाषण के बाद मेरा आधिकारिक आवास रद्द कर दिया गया था। मेरे दूसरे भाषण के बाद एक सांसद के रूप में मेरी सदस्यता निलंबित कर दी गई।”

    चड्ढा ने आगे कहा कि उन्हें खुशी है कि अंत में सत्य और न्याय की जीत हुई।

    दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पटियाला हाउस अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें राज्यसभा सचिवालय को चड्ढा को राष्ट्रीय राजधानी में उनके आधिकारिक आवास से बेदखल करने की अनुमति दी गई थी।

  • चंद्रबाबू नायडू को अंगल्लू मामले में अग्रिम जमानत

    चंद्रबाबू नायडू को अंगल्लू मामले में अग्रिम जमानत

    अमरावती, 13 अक्टूबर (The News Air) आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को अंगल्लू हिंसा मामले में पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू को अग्रिम जमानत दे दी।

    अदालत ने तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) सुप्रीमो को एक लाख रुपये का निजी मुचलका भरने का निर्देश दिया।

    न्यायमूर्ति के. सुरेश रेड्डी, जिन्होंने गुरुवार को अपना आदेश सुरक्षित रखा था, ने शुक्रवार को फैसला सुनाया।

    4 अगस्त को अन्नमया जिले के अंगल्लू गांव में हुई हिंसक घटनाओं के सिलसिले में पुलिस ने नायडू और टीडीपी के अन्य नेताओं पर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया था।

    चित्तूर जिले के अंगल्लू और पुंगनूर शहर में घटनाएं तब हुईं, जब टीडीपी प्रमुख सिंचाई परियोजनाओं की स्थिति देखने के लिए क्षेत्र का दौरा कर रहे थे।

    नायडू के वकील पोसानी वेंकटेश्वरलु ने अदालत से कहा था कि मामले में आरोपी के रूप में नामित कुछ लोगों को उच्च न्यायालय ने पहले ही अग्रिम जमानत दे दी थी और उच्चतम न्यायालय ने भी इस आदेश में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया था।

    उन्होंने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ने अपनी रैली के लिए पुलिस की अनुमति ली थी और यह सत्तारूढ़ वाईएसआरसीपी के समर्थक थे, जिन्होंने काफिले पर पथराव किया।

    पुलिस विभाग की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता पोन्नावोलु सुधाकर रेड्डी ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि नायडू की टिप्पणी के कारण हिंसा हुई, जिसमें पुलिस कर्मी घायल हो गए।

    गौरतलब है कि चंद्रबाबू नायडू कथित करोड़ों रुपये के कौशल विकास घोटाला मामले में न्यायिक हिरासत में हैं, जिसमें सीआईडी ने उन्हें पिछले महीने गिरफ्तार किया था। वह वर्तमान में राजमुंदरी सेंट्रल जेल में बंद है।