स्‍वाति मालीवाल ने 4 पेज का लेटर लिख केजरीवाल से मांगा जवाब, कहा-

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स्‍वाति मालीवाल

नई दिल्ली, 02 जुलाई (The News Air) स्वाति मालीवाल कथित मारपीट वाले मामले के बाद से ही आम आदमी पार्टी (आप) के खिलाफ लगातार हमलावर हैं। उन्होंने अब दिल्ली सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए ‘आप’ के मुखिया अरविंद केजरीवाल को चार पेज का लेटर लिखा है। स्वाति ने केजरीवाल सरकार पर महिला आयोग को कमजोर संस्थान बनाने का आरोप लगाया है। बजट कम करने के साथ-साथ उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री से कई सवालों का जवाब मांगा है।

स्वाति का केजरीवाल सरकार पर कई आरोप

स्वाति मालीवाल ने ‘एक्स’ पर चार पन्नों का लेटर शेयर किया है। उन्होंने लिखा, ‘जबसे मैंने दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है, तबसे दिल्ली सरकार के मंत्रियों और अफसरों ने आयोग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पिछले 6 महीने से किसी को सैलरी नहीं दी गई है, बजट 28.5 प्रतिशत कम कर दिया है, 181 हेल्पलाइन वापस ले ली गई है और अध्यक्ष और 2 मेंबर की पोस्ट भरने के लिए कोई कार्य नहीं किया गया है।’

महिलाओं से क्यों दुश्मनी: मालीवाल

राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने पोस्ट में आगे लिखा, ‘दलित मेंबर की पोस्ट 1.5 साल से खाली पड़ी है! मेरे जाते ही हर संभव कोशिश की जा रही है महिला आयोग को फिर से एक कमजोर संस्थान बनाने की। महिलाओं से दिल्ली सरकार क्यों दुश्मनी निकाल रही है? मैंने अरविंद केजरीवाल जी को पत्र लिखकर उनसे जवाब मांगा है।’

लेटर में पांच आरोप

स्वाति मालीवाल ने केजरीवाल को लिखे पत्र में बताया कि दिल्ली महिला आयोग कुछ चुनौतियों से गुजर रहा है। उन्होंने बिन्दुवार पांच बातों का जिक्र किया है। पहला, 181 महिला हेल्पलाइन को वापस लेना। दूसरा, महिला आयोग के फंड को कम करना। तीसरा, आयोग के बजट को कम करना। चौथा, महिला आयोग से कर्मचारियों को हटाना और पांचवां, लीडरशिप पोस्ट नहीं भरना।

अदालत ने याचिका पर दिल्‍ली पुलिस से मांगा जवाब

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी सहयोगी बिभव कुमार की याचिका को विचारणीय माना, जिसमें मुख्यमंत्री आवास पर स्वाति मालीवाल पर कथित हमले के सिलसिले में उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी गई है। अदालत ने याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब भी मांगा है। न्यायमूर्ति स्वर्णकांता शर्मा ने मामले में एक नोटिस जारी किया, जिन्होंने 31 मई को बिभव की याचिका की विचारणीयता के विषय पर आदेश सुरक्षित रखा था।

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