16 फरवरी की औद्योगिक/क्षेत्रीय हड़ताल और ग्रामीण बंद का समर्थन करें

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नई दिल्ली, 7 फरवरी (The News Air) श्रमिकों, किसानों, छात्रों, युवाओं, महिलाओं, कृषि श्रमिकों, सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों और सामाजिक आंदोलनों के विभिन्न मंचों ने संयुक्त रूप से कॉर्पोरेट मुनाफे को बढ़ाने के लिए बेरोजगारी बढ़ाने वाली, निर्वाह-योग्य मजदूरी से नीचे की मजदूरी देने और गरिबों की आजीविका छीनने वाली केंद्र सरकार की नीतियों का विरोध करने के लिए आम जनता से एकजुट होने की अपील की है। यह अपील 16 फरवरी 2024 की राष्ट्रव्यापी औद्योगिक/क्षेत्रीय हड़ताल और ग्रामीण बंद के समर्थन में जारी की गई है, जिसका आह्वान एसकेएम, सीटीयू, स्वतंत्र/क्षेत्रीय महासंघों और एसोसिएशन के संयुक्त मंच द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है।

आम जनता से की गई अपील में मोदी की गारंटी के रूप में किए गए झूठे वादों को उजागर करने और आजीविका के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया गया है। इस अपील को संबंधित प्लेटफार्मों और संगठनों द्वारा घर-घर अभियान के माध्यम से घरों में, कारखानों में और कार्यस्थलों पर वितरित किया जाएगा।

आम जनता के सभी तबकों के संयुक्त मंच ने केंद्र सरकार से रोजगार पैदा करने, वर्तमान में रिक्त पदों पर भर्ती करने, बढ़ती महंगाई को नियंत्रित करने, गारंटीकृत खरीद के साथ एमएसपी@सी2+50% सुनिश्चित करने, कृषि इनपुट की लागत कम करने, किसानों और मजदूर परिवारों के लिए व्यापक ऋण माफी की घोषणा करने की मांग की। उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों का निजीकरण और बिक्री बंद करने, मजदूर विरोधी 4 श्रम संहिता रद्द करने, ठेका कार्यों को खत्म करने, न्यूनतम वेतन बढ़ाकर 26000 रूपये प्रति माह करने, शिक्षा और स्वास्थ्य का निजीकरण बंद करने, नई शिक्षा नीति 2020 को रद्द करने, पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने, खुदरा व्यापार में कॉर्पोरेट प्रवेश को रोकने की भी मांग की है। इन संगठनों ने महिलाओं, आदिवासियों, दलितों, अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के खिलाफ बड़े पैमाने पर जन प्रतिरोध का निर्माण करने की आम जनता से अपील की है। 3 अक्टूबर 2021 को लखीमपुर खीरी में किसानों के नरसंहार के मुख्य साजिशकर्ता, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को बर्खास्त करने और उन पर मुकदमा चलाने की भी मांग की है। इन संगठनों ने आम जनता से
सांप्रदायिक आग को बुझाने, लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमले का विरोध करें तथा भारतीय गणराज्य के धर्मनिरपेक्ष व लोकतांत्रिक चरित्र की रक्षा करने की भी अपील की है। उन्होंने फिलिस्तीनियों पर यूएस-इजरायल युद्ध को समाप्त करने की, नरसंहार और युद्ध अपराध के लिए इजराइल पर मुकदमा चलाने की भी मांग की है। उन्होंने गरीब भारतीय लोगों को इजराइल में रोजगार के लिए भर्ती करना बंद करने की भी मांग केंद्र सरकार से की है।

अपील में इन संगठनों ने याद दिलाया है कि पिछले साल 24 अगस्त को एसकेएम और सेंट्रल ट्रेड यूनियनों ने उक्त उल्लेखित सभी मुद्दों के खिलाफ एकजुट संघर्ष की नींव रखी थी। 26-28 नवंबर, 2023 को सभी राज्यों की राजधानियों में महापड़ाव आयोजित किए गए थे और इस वर्ष 26 जनवरी को देश के लगभग 500 जिलों में विशाल ट्रैक्टर-वाहन रैलियां आयोजित की गईं।

अपील में बताया गया है कि आरएसएस के प्रति वफादार लोगों को छोड़कर, ट्रेड यूनियनों, महिलाओं, छात्रों, युवाओं, छोटे व्यापारियों और सामाजिक आंदोलनों और बौद्धिक समूहों के सभी मंचों ने भाजपा सरकार की कॉर्पोरेट-सांप्रदायिक नीतियों के खिलाफ किसानों और मजदूरों के आंदोलन के साथ हाथ मिला लिया है और उसे दंडित करने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि जब तक वर्तमान भाजपा शासन की जनविरोधी नीतियों को परास्त नहीं किया जाता, तब तक संघर्ष जारी रहेगा और आजीविका के मुद्दों पर केंद्रित जन आंदोलन को मजबूत किया जाएगा।

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