चंडीगढ़ : एक तरफ जहां सरकार किसानों को धान के अवशेष जलाने से रोकने के लिए लगातार प्रयासरत है वहीं किसान सरकार की किसी भी अपील को दरकिनार करते हुए लगातार खेतों में धान के अवशेषों को आग लगा रहे हैं। जिसके चलते प्रदेश में प्रदूषण का स्तर भी बढ़ रहा है। हालात यह हैं कि उत्तर भारत में सबसे ज्यादा पंजाब में धान के अवशेषों को आग लगाने के मामले सामने आ रहे हैं।
15 सितंबर से 30 नवंबर तक खरीफ सीजन
15 सितंबर से 30 नवंबर तक खरीफ सीजन रहता है। अगर अब तक के रिकॉर्ड चेक करें तो 15 सितंबर से 7 अक्तूबर तक पराली जलाने के 214 मामले सामने आए हैं। 1 अक्तूबर को पंजाब में सबसे अधिक पराली जलाने के 26 मामले सामने आए थे। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने पराली जलाने के मामलों पर नजर रखने के लिए उड़नदस्ते की टीमें भी लगाई हुई हैं, ताकि इसे रोकने के लिए राज्यों को उचित दिशा-निर्देश जारी किए जा सकें।
सरकार ने यह योजना भी शुरू की
धान के अवशेषों को खेत में जलाने से रोकने के लिए प्रदेश सरकार लगातार प्रयासरत्त है। इसके लिए सरकार जहां प्रदेश के किसानों से सब्सिडी पर मशीनरी मुहैया करवाने में युद्ध स्तर पर प्रयास कर रही है। वहीं अब प्रदेश सरकार ने एक और बड़ा फैसला लेते हुए प्रदेश के किसानों को फसल अवशेषों का उचित प्रबंध करने के लिए उन्हें 80 प्रतिशत तक सब्सिडी पर ऋण मुहैया करवाने की पेशकश की है।
दरअसल यह स्कीम प्रदेश सरकार ने पराली जलाने से उत्पन्न खतरे से निपटने की प्रतिबद्धता के तहत चलाई है। जिसे पंजाब के सहकारी बैंकों ने ह्यफसली अवशेष प्रबंधन ऋण योजनाह्ण के नाम से शुरू किया है। मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि यह योजना पराली जलाने से होने वाले पर्यावरणीय प्रदूषण को कम करने में सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने यह भी कहा कि यह योजना किसानों को फसली अवशेषों के प्रबंधन का विकल्प चुनने के लिए प्रोत्साहित करने में सहायक होगी। भगवंत सिंह मान ने किसानों की भलाई को हर संभव तरीके से सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराते हुए किसानों से इस योजना का लाभ उठाने की अपील की।