The News Air (चंडीगढ़) पंजाब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिद्धू कांग्रेस में ‘बेबस’ नज़र आने लगे हैं। बाबा बकाला रैली में पहुंचे सिद्धू ने पावरलेस होने का ख़ूब रोना रोया। सिद्धू ने कहा कि उनके पास एडमिनिस्ट्रेशन की ताक़त नहीं है। वह ऑर्गेनाइजेशन के प्रधान हैं, लेकिन तब भी अपनी मर्ज़ी से एक जनरल सेक्रेटरी भी नहीं लगा सकते।
इससे पहले कांग्रेस हाईकमान को सीधी धमकी देते थे कि अगर उन्हें फ़ैसले लेने की छूट नहीं दी तो ईंट से ईंट खड़का देंगे। उन्हें दर्शनी घोड़ा बनने का कोई शौक नहीं। सिद्धू का यह दर्द इसलिए छलका है, क्योंकि उन्होंने अपनी मर्ज़ी से ज़िला प्रधानों की लिस्ट तैयार कर भेजी थी, जिसे कांग्रेस हाईकमान ने रोक लिया।
सिद्धू के प्रधान नहीं, कांग्रेस ने अपने को-आर्डिनेटर लगाए
नवजोत सिद्धू ने अपनी मर्ज़ी से पंजाब कांग्रेस के 29 ज़िला यूनिटों के लिए एक ज़िला प्रधान और 2 वर्किंग प्रधान की लिस्ट भेजी थी। जब यह लिस्ट कांग्रेस के पंजाब इंचार्ज हरीश चौधरी तक पहुँची तो पता चला कि सिद्धू ने अकेले ही इसे तैयार किया। इसमें लोकल MLA और सीनियर नेताओं की राय नहीं ली। सिद्धू मेरिट का तर्क देते रहे, लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने लिस्ट रोक ली और इसकी जगह हर ज़िले में AICC के को-आर्डिनेटर लगाकर सिद्धू को झटका दे दिया।
CM से अब होम मिनिस्ट्री की तड़प
नवजोत सिद्धू भले ही पंजाब बचाने की बात करते हों, लेकिन कुर्सी और पॉवर की तड़प नहीं छिपा पाते। सिद्धू ने कहा कि जिनके हाथ में आज बागडोर है, उन्हें चिट्टा (नशा) बेचने और गोलमाल करने वालों को अंदर करना चाहिए।। मैं आज से नहीं, बल्कि साढ़े 4 साल से मांग रहा हूं कि 4 दिन की ताक़त मुझे दे दो। अगर जट्ट को ताक़त दी होती तो जीजा-साला देश छोड़ देते। सिद्धू का यह निशाना अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल और बिक्रम सिंह मजीठिया पर था। इससे पहले सिद्धू CM की कुर्सी को लेकर छटपटाहट दिखाते रहे।
राहुल गांधी ने सरकार विरोधी बयानबाज़ी से रोका
सूत्रों की मानें तो सिद्धू की इस बैचेनी की वजह राहुल गांधी भी हैं। सिद्धू लगातार CM चरणजीत चन्नी की सरकार पर वार कर रहे थे। उनके ऐलान को लॉलीपॉप तो कभी छुरलियां कह रहे थे। राहुल गांधी तक भी यह रिपोर्ट पहुँची कि सिद्धू की बयानबाज़ी से कांग्रेस की छवि ख़राब हो रही है। इसमें कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश चौधरी की भी अहम भूमिका बताई जा रही है। कुछ दिन पहले राहुल ने सिद्धू को दिल्ली तलब किया था, जहां उन्हें कहा गया कि वह सरकार के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी न करें।
AAP पर भी हमलावर होना पड़ा
सिद्धू और आम आदमी पार्टी की सियासी खिचड़ी ने कांग्रेस को चिन्ता में डाल रखा था। सिद्धू अभी तक अपनी ही सरकार को टारगेट कर रहे थे। इसके अलावा वह सिर्फ़ अकाली दल को निशाना बनाते थे। इससे कांग्रेस के भीतर भी संदेह था कि सिद्धू कहीं फिर कोई झटका न दे दें। AAP की तरफ़ से भी सिद्धू की तारीफ़ की जा रही थी। लेकिन राहुल गांधी से मुलाक़ात के बाद अब सिद्धू आप के ख़िलाफ़ भी हमलावर होने को मजबूर हुए हैं। सिद्धू को लेकर अक्सर चर्चा रही कि वह AAP का CM चेहरा हो सकते हैं। आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कुछ दिन पहले कहा कि सिद्धू उनके साथ आना चाहते थे।