Axiom-4 Space Mission के तहत भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला (Shubhanshu Shukla) समेत चार सदस्यीय दल ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station – ISS) से अपनी वापसी की यात्रा शुरू कर दी है। सोमवार, 14 जुलाई को भारतीय समयानुसार शाम 4:35 बजे उन्होंने ड्रैगन ग्रेस (Dragon Grace) अंतरिक्ष यान के ज़रिए पृथ्वी की ओर प्रस्थान किया। 22.5 घंटे की यह यात्रा उन्हें मंगलवार को भारतीय समयानुसार दोपहर 3:01 बजे कैलिफोर्निया (California) के तट पर ले आएगी, जिसे स्प्लैशडाउन (Splashdown) कहा जाता है।
वापसी से पूर्व कमांडर पैगी व्हिटसन (Peggy Whitson), पोलैंड (Poland) के मिशन विशेषज्ञ स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीवस्की (Slawosz Uznanski-Wisniewski), हंगरी (Hungary) के टिबोर कापू (Tibor Kapu) और मिशन पायलट शुभांशु शुक्ला ने ड्रैगन ग्रेस यान में प्रवेश किया। भारतीय समयानुसार दोपहर 2:37 बजे ISS से यान का हैच बंद कर दिया गया और अपराह्न 4:35 बजे कक्षीय प्रयोगशाला से सफलतापूर्वक अनडॉकिंग कर ली गई।
इस पूरे प्रस्थान की नासा (NASA) द्वारा लाइव स्ट्रीमिंग की जा रही है। जैसे ही यान ISS से अलग हुआ, ड्रैगन ने सुरक्षा दूरी बनाने के लिए इंजन संचालन की प्रक्रिया शुरू की। इसके बाद पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश से पहले हीट शील्ड (Heat Shield) को सक्रिय किया गया, जो लगभग 1,600 डिग्री सेल्सियस के तापमान से यान को सुरक्षा प्रदान करेगा।
लैंडिंग प्रक्रिया में पैराशूट दो चरणों में तैनात किए जाएंगे—पहले 5.7 किमी की ऊंचाई पर स्टैबिलाइजेशन पैराशूट (Stabilization Parachute) और फिर लगभग 2 किमी की ऊंचाई पर मुख्य पैराशूट (Main Parachute) खुलेगा। यह प्रणाली यान को सुरक्षित रूप से कैलिफोर्निया तट के पास समुद्र में लैंड कराने में मदद करेगी, जिसके बाद उसे एक विशेष जहाज द्वारा रेस्क्यू किया जाएगा।
गौरतलब है कि Axiom-4 मिशन की शुरुआत 25 जून को हुई थी, जब फाल्कन-9 रॉकेट (Falcon-9 Rocket) फ्लोरिडा (Florida) से उड़ान भरकर ISS की ओर रवाना हुआ था। यह मिशन न सिर्फ भारत बल्कि पोलैंड और हंगरी के लिए भी एक ऐतिहासिक क्षण है, क्योंकि यह चार दशकों के बाद इन देशों की अंतरिक्ष में वापसी का प्रतीक है।
शुभांशु शुक्ला की इस ऐतिहासिक यात्रा से भारत ने एक बार फिर अंतरिक्ष अनुसंधान में अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज की है। अब सभी की निगाहें मंगलवार को होने वाली लैंडिंग पर टिकी हैं।