CAG Report के सामने आने के बाद दिल्ली की राजनीति में नया मोड़ आ गया है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता (Rekha Gupta) ने यह रिपोर्ट विधानसभा में पेश की, हालांकि इस दौरान आम आदमी पार्टी (AAP) के सदस्य तीन दिन के निष्कासन की वजह से सदन में मौजूद नहीं थे। रिपोर्ट के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) और AAP आमने-सामने आ गई हैं।
नेता विपक्ष आतिशी (Atishi) ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रिपोर्ट के हवाले से केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कैग (CAG) रिपोर्ट के मुताबिक नई शराब नीति पारदर्शी थी और इसमें कालाबाजारी (Black Marketing) रोकने के स्पष्ट उपाय थे। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि इस नीति से दिल्ली सरकार का राजस्व (Revenue) बढ़ना चाहिए था।
नई शराब नीति को बताया पारदर्शी
आतिशी ने CAG रिपोर्ट के 8वें चैप्टर का हवाला देते हुए कहा कि नई नीति पूरी तरह से पारदर्शी थी। उन्होंने दावा किया कि अगर यह नीति सही तरीके से लागू की जाती तो दिल्ली का राजस्व काफी हद तक बढ़ सकता था। आतिशी ने उदाहरण देते हुए बताया कि जब यही नीति पंजाब (Punjab) में लागू की गई तो वहां 2021 से 2025 के बीच 65 प्रतिशत तक राजस्व में वृद्धि दर्ज की गई।
2000 करोड़ का घाटा: किसकी जिम्मेदारी?
CAG रिपोर्ट का हवाला देते हुए आतिशी ने कहा कि नई शराब नीति अगर सही तरीके से लागू होती, तो दिल्ली सरकार का राजस्व 4,108 करोड़ रुपये से बढ़कर 8,911 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता था। इसके लागू न होने से सरकार को करीब 2,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
आतिशी ने इसके लिए तीन प्रमुख संस्थाओं को जिम्मेदार ठहराया:
- दिल्ली के उपराज्यपाल (LG)
- सीबीआई (CBI)
- प्रवर्तन निदेशालय (ED)
उनका कहना है कि इन संस्थाओं की वजह से नई शराब नीति लागू नहीं हो पाई, जिससे सरकार को नुकसान हुआ। उन्होंने यह भी मांग की कि CAG रिपोर्ट के आधार पर इन सभी के खिलाफ जांच शुरू की जाए और एफआईआर (FIR) दर्ज की जाए।
BJP-AAP के बीच सियासी घमासान
CAG रिपोर्ट के आधार पर आम आदमी पार्टी ने बीजेपी पर सीधा हमला बोला है। आतिशी ने आरोप लगाया कि उपराज्यपाल ने नई नीति के कार्यान्वयन में अड़चन डाली, वहीं CBI ने एक साल पूरा होने से पहले एफआईआर दर्ज कर दी और ED ने नीति खत्म होने से पहले ही ईसीआईआर (ECIR) दायर कर दी।
निष्कर्ष: दिल्लीवालों का नुकसान कौन करेगा पूरा?
आतिशी ने कहा कि अब यह दिल्ली की जनता के सामने बड़ा सवाल है कि जब नई शराब नीति से 2000 करोड़ रुपये का राजस्व बढ़ सकता था, तो इसे लागू क्यों नहीं किया गया? उन्होंने यह भी जोड़ा कि जिसने भी नीति को रोकने की कोशिश की है, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
CAG रिपोर्ट का यह खुलासा दिल्ली की राजनीति में एक नई बहस की शुरुआत कर सकता है और आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सियासी घमासान और तेज़ हो सकता है।