सुप्रीम कोर्ट से ईडी को झटका, मनी लॉन्ड्रिंग पर अपना पुराना आदेश रखा बरकरार

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सुप्रीम कोर्ट से ईडी को झटका, मनी लॉन्ड्रिंग पर अपना पुराना आदेश रखा बरकरार - supreme court money laundering pmla act hearing news

नई दिल्ली, 27 मार्च (The News Air) सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मनी लॉन्ड्रिंग का मामला तब नहीं बन सकता है जब तक कि आपराधिक साजिश पीएमएलए एक्ट से जुड़ा न हो। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ईडी की रिव्यू पिटिशन को खारिज करते हुए यह व्यवस्था दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपने फैसले को बरकरार रखा है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया था अहम फैसला

कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा था कि ईडी तब आपराधिक साजिश यानी आईपीसी की धारा-120 का इस्तेमाल कर पीएमएलए (मनी लॉन्ड्रिंग) का केस नहीं बना सकती है जब तक कि साजिश मनी लॉन्ड्रिंग से लिंक न हो। इस मामले में 29 नवंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी थी। इसके खिलाफ ईडी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए रिव्यू पिटिशन दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएस ओका और जस्टिस पंकज मित्तल ने अब ईडी की रिव्यू पिटिशन को खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 29 नवंबर के फैसले को रिव्यू करने के लिए ईडी की ओर से अर्जी दाखिल की गई थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि रिव्यू के लिए कोई ग्राउंड नहीं बनता है और जजमेंट में कोई खामी नहीं है ऐसे में अर्जी खारिज की जाती है।

IPC की धारा 120-बी पर निर्देश

मौजूदा मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने बेंगलूर के स्पेशल कोर्ट में याचिकाकर्ता के खिलाफ पीएमएलए का केस खारिज करने से मना कर दिया था। तब मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले में आरोपी के खिलाफ जो धाराएं लगाई गई थी वह आईपीसी की धाराएं थी और वह मनी लॉन्ड्रिंग के तहत होने वाले लगातार अपराध की श्रेणी में नहीं थे। ऐसे में ईडी आईपीसी की धारा-120 बी का इस्तेमाल कर पीएमएलए का केस नहीं चला सकती है। मौजूदा मामले में ईडी ने आरोपी के खिलाफ 7 मार्च 2022 को शिकायत दर्ज कराई थी। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज किया था।

मनी लॉन्ड्रिंग का लिंक जरूरी

सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी कि ईडी तब आपराधिक साजिश यानी आईपीसी की धारा-120 का इस्तेमाल कर पीएमएलए (मनी लॉन्ड्रिंग) का केस नहीं बना सकती है जब तक कि साजिश मनी लॉन्ड्रिंग से लिंक न हो। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएस ओका की अगुवाई वाली बेंच ने व्यवस्था दी है कि आपराधिक साजिश की धारा का इस्तेमाल उसी अपराध के लिए हो सकता है जिस अपराध के लिए साजिश रची गई हो। मामले में ईडी की ओर से दाखिल रिव्यू पिटिशन खारिज हो गई।

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