नई दिल्ली (The News Air): सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को शिवसेना पर भारत के चुनाव आयोग के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। जिसका अर्थ है कि पार्टी का नाम और धनुष-बाण का प्रतीक एकनाथ शिंदे के गुट के पास रहेगा। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के आदेश के खिलाफ उद्धव ठाकरे की याचिका पर एकनाथ शिंदे खेमे को नोटिस जारी कर इस पर जवाब दाखिल करने को कहा है। जिसके बाद इस याचिका पर दोबारा सुनवाई की जाएगी।
EC के आदेश पर रोक लगाने से इनकार
उद्धव ठाकरे गुट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम राहत के लिए आग्रह किया और यथास्थिति आदेश पारित करने का आग्रह किया। लेकिन शीर्ष अदालत ने इससे इंकार कर दिया। बेंच ने कहा, “कुछ ऐसा है जो आदेश का एक हिस्सा है जिस पर हम निर्णय ले सकते हैं। हम इस स्तर पर आदेश पर रोक नहीं लगा सकते हैं। सीजेआई ने कहा, “वे ईसीआई के समक्ष सफल हुए हैं। आगे की कोई भी कार्रवाई चुनाव आयोग के आदेश पर आधारित नहीं है। फिर आपको (उद्धव गुट) कानून के अन्य उपायों का पालन करना होगा।”
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की 3-न्यायाधीशों की पीठ ने ठाकरे गुट द्वारा चुनाव आयोग के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें एकनाथ शिंदे गुट को आधिकारिक शिवसेना के रूप में मान्यता दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे के गुट को मिले अस्थायी नाम और चुनाव निशान का इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई है। वहीं, कोर्ट ने शिंदे पक्ष अभी ऐसा कोई व्हिप नहीं जारी करने को कहा, जिसे न मानने से उद्धव समर्थक सांसद और विधायक अयोग्य हो जाएं। इस मामले पर अगली सुनवाई 3 हफ्ते बाद होगी।