‘संविधान हत्या दिवस’ घोषित करने पर भड़के शशि थरूर,

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नई दिल्‍ली,13 जुलाई (The News Air): कांग्रेस नेता और तिरुअनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में घोषित करने के लिए भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर हमला बोला। उन्होंने करीब 50 साल पहले इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल का बचाव करते हुए कहा कि यह अलोकतांत्रिक था, लेकिन असंवैधानिक नहीं था। थरूर ने जोर देकर कहा कि इसकी कोई हत्या नहीं हुई है।

अलोकतांत्रिक था, लेकिन असंवैधानिक नहीं

रिष्ठ कांग्रेस नेता ने एक एक्स पोस्ट में कहा, “किसी तारीख को “संविधान हत्या दिवस” ​​के रूप में घोषित करना थोड़ा विचित्र है। सबसे पहले, संविधान जीवित है और मतदाताओं द्वारा इसका पुरजोर समर्थन किया जा रहा है। कोई हत्या नहीं हुई है।” थरूर ने कहा, “उस तारीख (25 जून, 1975) को जो कुछ हुआ वह पूरी तरह से संविधान के प्रावधानों के अनुरूप था। यह अलोकतांत्रिक था, लेकिन असंवैधानिक नहीं था।”

सांसद ने आपातकाल का बचाव किया

तिरुवनंतपुरम के सांसद ने जून में एक अखबार का लेख साझा किया जिसमें उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगाए जाने का बचाव किया था। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार करना, प्रेस पर सेंसरशिप लगाना और उस दौरान उठाए गए कई कदम अलोकतांत्रिक थे, लेकिन दुख की बात है कि असंवैधानिक नहीं थे।” उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संसद के संयुक्त सत्र में दिए गए संबोधन के जवाब में टिप्पणी यह की, जिसमें उन्होंने आपातकाल की निंदा की थी।

गृह मंत्री अमित शाह ‘संविधान हत्या दिवस’ की घोषणा की

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की कि सरकार 25 जून यानी जिस दिन इमरजेंसी लागू की गई थी, उस दिन को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाएगी ताकि उस अवधि के कष्टों को सहन करने वालों को सम्मानित किया जा सके। कांग्रेस ने सरकार के इस निर्णय की आलोचना करते हुए इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सुर्खियां बटोरने का एक और पाखंडपूर्ण प्रयास बताया।कांग्रेस महासचिव (प्रभारी, संचार) जयराम रमेश ने कहा, “गैर-जैविक प्रधानमंत्री द्वारा पाखंड में सुर्खियां बटोरने का एक और प्रयास, जिन्होंने दस वर्षों तक अघोषित आपातकाल लागू रखा, जिसके बाद भारत की जनता ने उन्हें 4 जून, 2024 को एक निर्णायक व्यक्तिगत, राजनीतिक और नैतिक पराजय दी – जिसे इतिहास में मोदी मुक्ति दिवस के रूप में जाना जाएगा।”

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