नई दिल्ली, 26 सितंबर,(The News Air): तिरुपति लड्डू विवाद के बाद मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने की मांग मुखर हो रही है. विश्व हिंदू परिषद के बाद अब और भी लोग इसके खिलाफ आवाज उठा रहे है. बुधवार को मथुरा में पत्रकारों से बात करते हुए शंकराचार्य अधोक्षजानंद देव तीर्थ ने प्रसाद में मिलावट की घटना की निंदा की और मंदिरों के संचालन के लिए अलग बोर्ड की मांग की. शंकराचार्य ने कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि मंदिरों का प्रशासन सरकारों के हाथों में न हो, बल्कि उसके लिए एक अलग बोर्ड हो.
शंकराचार्य असम के गुहावाटी से चतुर्मास करके मथुरा के गोवर्धन धाम पहुंचे थे. तिरुपति के लड्डू को लेकर उठे विवाद पर शंकराचार्य ने कहा कि यह लोगों की धार्मिक भावनाओं पर सीधा हमला है. दोषियों को बख्शा नहीं जाना चाहिए. मंदिरों के संचालन के लिए अलग बोर्ड की मांग करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को धर्माचार्यों और जानकार व्यक्तियों को शामिल करते हुए एक अलग बोर्ड बनाना चाहिए और मंदिर चलाने वाले संप्रदाय के एक व्यक्ति को इसका कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए.
तिरुपति लड्डू को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया कि पिछली वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान ‘प्रसादम’ में घटिया सामग्री और जानवरों के फैट का इस्तेमाल किया गया था.
योगी आदित्यनाथ की तारीफ
शंकराचार्य अधोक्षजानंद ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उस फैसले कि तारीफ की जिसमें कहा गया था कि ढाबा मालिकों के अपने दुकान पर अपने नाम का बोर्ड लगाना होगा. जिससे ग्राहकों को यह जानने में कोई भ्रम ना हो कि दुकान का मालिक किस धर्म का है. उत्तर प्रदेश सरकार ने यह फैसला कावड़ यात्रा के दौरान लिया था. अधोक्षजानंद ने कहा कि जिस तरह से उत्तर प्रदेश सरकार ने मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और गहन जांच का आदेश दिया है.उससे अब घटिया प्रसाद देवताओं को चढ़ाए जाने की संभावना बहुत हो गई है.






