नई दिल्ली (New Delhi) 16 जनवरी (The News Air) में रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence, MoD) और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (Bharat Dynamics Limited, BDL) के बीच ₹2,960 करोड़ की डील हुई है। यह डील भारतीय नौसेना (Indian Navy) के लिए मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (Medium-Range Surface-to-Air Missile, MRSAM) की आपूर्ति को लेकर है।
16 जनवरी 2025 को रक्षा सचिव श्री राजेश कुमार सिंह (Rajesh Kumar Singh) की उपस्थिति में यह समझौता हुआ। यह स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को बढ़ावा देने और भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
MRSAM: नौसेना के लिए क्यों खास है यह प्रणाली? : MRSAM प्रणाली को भारतीय नौसेना के युद्धपोतों पर लगाया जाएगा। यह उच्च तकनीक वाली प्रणाली हवा से आने वाले खतरों को प्रभावी ढंग से रोकने में सक्षम है।
- कई प्लेटफॉर्म्स पर उपयोगी: इसे नौसेना के मौजूदा और भविष्य के जहाजों पर तैनात करने की योजना है।
- सटीकता और सुरक्षा: यह प्रणाली दुश्मन के विमानों, हेलीकॉप्टरों और ड्रोन को लक्ष्य बनाने में बेहद सटीक है।
‘बाय (इंडियन)’ श्रेणी के तहत होगा उत्पादन : इस अनुबंध के तहत मिसाइलों का निर्माण पूरी तरह से भारत में बाय (इंडियन) श्रेणी के तहत होगा।
- स्वदेशी सामग्री का उपयोग: निर्माण में अधिकतर स्वदेशी सामग्री का उपयोग होगा, जिससे स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा।
- रोजगार सृजन: इस प्रोजेक्ट के जरिए करीब 3.5 लाख मानव-दिवस (Man-Days) का रोजगार विभिन्न MSME (Micro, Small and Medium Enterprises) में सृजित होगा।
रक्षा उद्योग में आत्मनिर्भरता का मील का पत्थर : ‘आत्मनिर्भर भारत’ (Aatmanirbhar Bharat) पहल के तहत रक्षा क्षेत्र में यह अनुबंध बड़ी उपलब्धि है।
- यह डील स्वदेशी सैन्य प्रौद्योगिकी (Indigenous Military Technology) को मजबूती देगी।
- भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता को वैश्विक मानकों तक ले जाने में मदद करेगी।
डील से जुड़े अहम पहलू:
- ₹2,960 करोड़ का निवेश: यह अनुबंध भारत की सुरक्षा और तकनीकी क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा कदम है।
- रक्षा सचिव का बयान: श्री राजेश कुमार सिंह ने इसे “भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने वाला ऐतिहासिक कदम” बताया।
- MSME के लिए अवसर: इस प्रोजेक्ट के जरिए छोटे और मध्यम उद्योगों को बड़ा फायदा होगा।
यह डील भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। इससे न केवल भारतीय नौसेना की क्षमताओं में इजाफा होगा, बल्कि स्वदेशी उद्योगों को भी मजबूती मिलेगी। ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन को साकार करने में यह समझौता मील का पत्थर साबित होगा।