नई दिल्ली, 28 मार्च (The News Air): 543 सीटों वाली लोकसभा में 84 सीटें अनुसूचित जातियों और 47 सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं। इन सीटों पर कभी कांग्रेस का दबदबा था। नब्बे का दशक खत्म होते-होते क्षेत्रीय दलों और बीजेपी की पकड़ मजबूत हुई। गणित कुछ ऐसा है कि रिजर्व्ड कैटिगरी के वोट बंटते हैं तो दूसरे वर्गों के वोटर निर्णायक हो जाते हैं। कैसे आरक्षित सीटों पर कांग्रेस का दबदबा खत्म हुआ और बीजेपी एवं क्षेत्रीय दलों का बढ़ा।
2014 के चुनाव में कैसा था हाल?
➤ 66 रिजर्व्ड सीटें बीजेपी ने 2014 में जीतकर रेकॉर्ड बना दिया।
➤ 40 एससी और 26 एसटी सीटें जीती थीं 2014 में बीजेपी उम्मीदवारों ने।
➤ 1991 के बाद किसी भी पार्टी को इतनी रिजर्व्ड सीटें नहीं मिली थीं।
➤ 7 एससी और 5 एसटी सीटें ही जीत सकी थी कांग्रेस 2014 के चुनाव में।
➤ 10 एससी और 2 एसटी सीटें जीतकर तीसरे नंबर पर रही थी तृणमूल कांग्रेस।
2019 के चुनाव में कितना आगे निकली बीजेपी?
➤ 77 आरक्षित सीटें 2019 चुनाव में जीतकर बीजेपी सबसे आगे रही।
➤ 46 एससी और 31 एसटी सीटें बीजेपी ने 2019 में हासिल कीं।
➤ 5 एससी और 4 एसटी सीटें ही कांग्रेस जीत सकी इस चुनाव में।
➤ एससी के लिए रिजर्वर्ड 5 सीटें जीतकर टीएमसी तीसरे नंबर पर रही।
➤ मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात और राजस्थान में सभी आरक्षित सीटें बीजेपी ने जीती थी।
➤ सबसे अधिक 17 एससी सीटों वाले उत्तर प्रदेश में 14 पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी।