नई दिल्ली, 17 सितंबर,(The News Air): सेबी ने रजिस्टर्ड इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स (आईए) और रिसर्च एनालिस्ट्स (आरए) के लिए फीस कलेक्शन प्लेटफॉर्म शुरू करने का ऐलान किया है। इस प्लेटफॉर्म के जरिए आईए और आरए अपने क्लाइंट्स से फीस का पेमेंट ले सकेंगे। मार्केट रेगुलेटर ने कहा है कि अभी इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल वैकल्पिक होगा। इसका मतलब है कि क्लाइंट्स के लिए इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करना अनिवार्य नहीं होगा। यह प्लेटफॉर्म 1 अक्टूबर से काम करने लगेगा।
इस पेमेंट प्लेटफॉर्म के बारे में काफी चर्चा हो रही है। अनुमान है कि रजिस्टर्ड आरए (Research Analysts) और आईए (Investment Advisors) इस प्लेटफॉर्म पर अपने क्लाइंट्स का रजिस्ट्रेशन कर सकेंगे। क्लाइंट डिटेल को वैलिडेट कर सकेंगे। हर क्लाइंट को नेट बैंकिंग, डेबिट कार्ड, NEFT, UPI सहित पेमेंट के सभी तरीकों का इस्तेमाल करने की सुविधा मिलेगी। क्लाइंट्स से मिलने वाले पैसे को आईए और आरए के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
सेबी काफी समय से अनरजिस्टर्ड निवेश सलाहकारों पर शिकंजा कसने की कोशिश कर रहा है। ऐसे निवेश सलाहकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और इंटरनेट के जरिए निवेशकों को अपना शिकार बनाते हैं। वे अक्सर निवेशकों को बहुत ज्यादा रिटर्न का वादा करते हैं। वे जल्द मुनाफा का दावा कर निवेशकों को अपनी स्कीम बेचते हैं। सेबी का मानना है कि ऐसे की निवेशक हैं, जो रजिस्टर्ड और अनरजिस्टर्ड निवेश सलाकार के बीच फर्क नहीं कर पाते हैं। हालांकि, सेबी की वेबसाइट पर रजिस्टर्ड इंटरमीडियरीज की डिटेल है। लेकिन, ज्यादातर निवेशक इस पर ध्यान नहीं देते हैं।
कुछ जालसाज खुद को रजिस्टर्ड इनवेस्टमेंट एडवाइजर बताते हैं और फिर निवेशकों के साथ फ्रॉड करते हैं। वे दूसरों के नाम से खोले गए बैंक अकाउंट में निवेशकों से फीस के पैसे मंगाते हैं। जब सेबी की जांच शुरू होती है तो वे बैंक अकाउंट से पैसे निकालकर गायब हो जाते हैं। ऐसे में क्लाइंट्स के पैसे को रिकवर करना मुश्किल हो जाता है। सेबी के फीस पेमेंट प्लेटफॉर्म शुरू हो जाने से फ्रॉड के ऐसे मामलों में कमी आएगी। इस प्लेटफॉर्म पर रजिस्टर्ड आरए और आईए को अपने फीस स्ट्रक्चर के बारे में बताना होगा। वे इस प्लेटफॉर्म पर ऐसी सेवाओं के बारे में नहीं बता सकेंगे, जिन्हें देने का अधिकार उनके पास नहीं है।