The News Air: SEBI ने कंपनियों में कॉर्पोरेट गवर्नेंस को मजबूत बनाने के लिए एक अहम प्रस्ताव पेश किया है। इसे 21 फरवरी को पेश किया गया है। इसमें एक रेगुलेटरी फ्रेमवर्क की बात कही गई है, जिससे Perpetual Directorship पर रोक लग जाएगी। कुछ स्टेकहोल्डर्स इसका फायदा उठाते हैं। सूचीबद्ध कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में स्टेकहोल्डर को अपने सीट के लिए एप्रूवल हासिल करने की जरूरत पड़ सकती है। सेबी ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि यह हर पांच साल में एक बार होगा। इससे कंपनियों में कॉर्पोरेट गवर्नेंस को मजबूती मिलेगी।
कंपनियों के प्रमोटर्स और फाउंडर्स के बढ़ते विशेष अधिकार पर संस्थागत शेयरहोल्डर्स कई बार चिंता जता चुके हैं। सेबी ने उस एग्रीमेंट्स को रेगुलेट करने का भी प्रस्ताव दिया है, जिसके जरिए स्टेकहोल्डर को सूचीबद्ध कंपनियों के बोर्ड में स्थायी सीट मिलती है। सेबी ने कहा है कि अभी शेयरहोल्डर्स एग्रीमेंट के जरिए खास स्टेकहोल्डर्स को कंपनी में अपनी हिस्सेदारी काफी घट जाने के बाद भी नॉमिनेशन का अधिकार मिला हुआ है।
कंपनी के बोर्ड में ऐसी सीट मिलना जो रोटेशन के आधार पर रिटायर नहीं होता है एक तरह से स्टेकहोल्डर्स को स्थायी अधिकार मिलने जैसा है। ऐसे राइट्स के लिए सिर्फ आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन में सिर्फ एक क्लॉज शामिल करना होता है। इस राइट्स को लेकर सेबी ने सवाल खड़े किए हैं।
सेबी ने नए प्रस्ताव में किसी सूचीबद्ध कंपनी में ‘स्कीम ऑफ एग्रीमेंट’ के बाहर कंपनी के एसेट्स को बेचने और लीज पर देने के मामलों पर रोक लगाने के लिए संभावित उपायों की भी बात कही गई है। स्कीम ऑफ एग्रीमेंट फ्रेमवर्क का मकसद माइनॉरिटी शेयरहोल्डर्स के हितों की सुरक्षा करना है। इस प्रस्ताव पर 7 मार्च तक लोग अपनी राय बता सकते हैं।