Supreme Court on Vijay Shah : मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के मंत्री विजय शाह (Vijay Shah) द्वारा कर्नल सोफिया कुरैशी (Colonel Sofia Qureshi) को ‘आतंकवादियों की बहन’ कहे जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मंत्री के गैरजिम्मेदार बयान को लेकर न सिर्फ सख्त टिप्पणी की, बल्कि उनके खिलाफ SIT (Special Investigation Team) से जांच कराने का आदेश भी दे दिया है। अदालत ने कहा कि ऐसे शब्दों से पूरा देश शर्मसार होता है और एक जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति को सोच-समझकर बोलना चाहिए।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने विजय शाह को फिलहाल गिरफ्तारी से राहत दे दी है, लेकिन साफ कहा कि ये राहत स्थायी नहीं है। अदालत ने साफ किया कि अगर जांच में आरोप सही पाए गए तो कानूनी कार्रवाई से मंत्री को कोई छूट नहीं मिलेगी।
इस पूरे प्रकरण की शुरुआत तब हुई जब मंत्री विजय शाह ने एक सार्वजनिक मंच से भाषण के दौरान कर्नल सोफिया कुरैशी (Sofia Qureshi) पर टिप्पणी करते हुए उन्हें ‘आतंकियों की बहन’ कह डाला। यह बयान न केवल समाज में भ्रांति और नफरत फैलाने वाला था, बल्कि एक सेना अधिकारी की छवि पर हमला भी माना गया।
सोफिया कुरैशी को भारतीय सेना की पहली महिला अधिकारी के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय सैन्य अभ्यासों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। उनके खिलाफ इस तरह के बयान ने ना सिर्फ लोगों की भावनाओं को आहत किया, बल्कि सरकार की नीतियों और नेताओं की सोच पर भी सवाल खड़े किए।
सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को बेहद गंभीरता से लेते हुए इस बात पर जोर दिया कि राजनीतिक नेताओं को अपने शब्दों की गंभीरता समझनी चाहिए। अदालत ने यह भी कहा कि यह मामला न केवल मानहानि बल्कि सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने वाला भी है। इसलिए इसकी स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच जरूरी है।
मंत्री विजय शाह के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि उनका बयान तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा कि जनप्रतिनिधि होने के नाते उनकी जिम्मेदारी और भी ज्यादा है।
इस फैसले से एक बार फिर यह स्पष्ट हो गया है कि न्यायपालिका ऐसे मामलों में संवेदनशीलता और निष्पक्षता के साथ कार्य करती है और किसी भी जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति को बिना तथ्यों के आरोप लगाने की इजाजत नहीं है। अब सभी की नजरें SIT की जांच पर टिकी हैं, जो यह तय करेगी कि मंत्री का बयान केवल एक राजनीतिक टिप्पणी था या फिर जानबूझकर किया गया अभद्र आरोप।






