शुभ मुहूर्त और तिथि का गणित
हिंदू पंचांग के मुताबिक, सफला एकादशी की तिथि की शुरुआत 14 दिसंबर की रात 08 बजकर 46 मिनट पर हो रही है। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 15 दिसंबर को रात 10 बजकर 09 मिनट पर होगा। उदया तिथि और पंचांग के नियमों को देखते हुए, सफला एकादशी का व्रत 15 दिसंबर को ही रखा जाएगा। यह समय ईश्वर की आराधना और आत्म-शुद्धि के लिए सर्वश्रेष्ठ है।
विष्णु जी के साथ शिव पूजा का भी महत्व
धार्मिक मान्यताओं में एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है, लेकिन सफला एकादशी पर उनके आराध्य भगवान शिव की पूजा का भी विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन शिव जी का जलाभिषेक और पूजन करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। शिवलिंग पर कुछ खास चीजें अर्पित करने से जीवन की कई परेशानियां दूर हो सकती हैं।
दरिद्रता दूर करने के लिए बेलपत्र
भगवान शिव को बेलपत्र सबसे ज्यादा प्रिय है। अगर आप आर्थिक तंगी या दरिद्रता से जूझ रहे हैं, तो सफला एकादशी के दिन शिवलिंग पर 11 या 21 बेलपत्र श्रद्धापूर्वक चढ़ाएं। माना जाता है कि ऐसा करने से भोलेनाथ बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं और घर से गरीबी का नाश होता है। यह छोटा सा उपाय परिवार में समृद्धि लाने में मददगार साबित हो सकता है।
सफलता के लिए गन्ने का रस
जीवन में मिठास और करियर में तरक्की कौन नहीं चाहता? गन्ने को सुख और सफलता का प्रतीक माना गया है। यदि आप कार्यक्षेत्र में बड़ी कामयाबी हासिल करना चाहते हैं, तो इस एकादशी पर शिवलिंग का अभिषेक गन्ने के रस से करें। शिवलिंग पर धीरे-धीरे रस चढ़ाएं और मन ही मन अपनी सफलता की कामना करें। इससे आपके करियर की बाधाएं दूर हो सकती हैं।
शनि दोष और मानसिक शांति के उपाय
अगर मन में क्रोध अधिक रहता है या घर में कलह है, तो शिवलिंग पर सफेद चंदन का लेप लगाना चाहिए। इससे मन शांत होता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। वहीं, चूंकि यह एकादशी पौष महीने में आती है, इसलिए काले तिल का दान और प्रयोग बहुत लाभकारी है। जल में काले तिल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करने या सीधे तिल अर्पित करने से शनि दोष शांत होता है।
अन्न की कमी नहीं होने देंगे ये उपाय
अखंडित चावल यानी अक्षत को पूर्णता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। पूजा के दौरान शिवलिंग पर एक मुट्ठी अक्षत चढ़ाने से जीवन में कभी भी अन्न की कमी नहीं होती। यह उपाय घर के भंडार भरे रखने के लिए किया जाता है।
व्रत और विष्णु पूजन की विधि
व्रत के नियमों की शुरुआत एक दिन पहले यानी दशमी तिथि की शाम से ही हो जाती है, जब व्रती को सात्विक भोजन करना चाहिए। एकादशी की सुबह स्नान आदि के बाद हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें। श्रीहरि को पीले वस्त्र, पीले फूल और तुलसी दल अर्पित करें। पूजन में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना अत्यंत शुभ होता है। अंत में केला, मिठाई और पंचामृत का भोग लगाकर आरती करें।
मुख्य बातें (Key Points)
-
व्रत की तारीख: सफला एकादशी का व्रत 15 दिसंबर को रखा जाएगा।
-
शिव पूजन: शिवलिंग पर 11 या 21 बेलपत्र चढ़ाने से दरिद्रता दूर होती है।
-
करियर उपाय: गन्ने के रस से अभिषेक करने पर कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है।
-
शनि शांति: शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाने से शनि दोष का प्रभाव कम होता है।
-
विष्णु पूजा: पीले फूल, तुलसी और पंचामृत के भोग से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।






