Russia Ukraine War Update – करीब चार साल से चल रहे रूस और यूक्रेन के विनाशकारी युद्ध में अब एक ऐतिहासिक मोड़ आ गया है। हजारों जानों की बर्बादी और शहरों के खंडहर में तब्दील होने के बाद, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने पहली बार सुलह के संकेत दिए हैं। जेलेंस्की अब नाटो (NATO) की सदस्यता की अपनी पुरानी जिद छोड़ने को तैयार हो गए हैं। उनके इस एक बयान ने पूरी दुनिया में शांति की उम्मीद जगा दी है, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने अमेरिका और यूरोप के सामने एक ऐसी शर्त भी रख दी है, जिस पर अब मास्को और वाशिंगटन की नजरें टिकी हैं।
रूस और यूक्रेन के बीच चल रही यह जंग अब अपने सबसे नाजुक और निर्णायक दौर में पहुंच चुकी है। फाइनेंशियल टाइम्स (Financial Times) से बातचीत में राष्ट्रपति जेलेंस्की ने सार्वजनिक तौर पर स्वीकार किया कि वे नाटो की सदस्यता की मांग को छोड़ने के लिए तैयार हैं। यह वही मुद्दा था जिसे लेकर यह पूरा युद्ध शुरू हुआ था। हालांकि, जेलेंस्की ने साफ किया है कि यह समझौता तभी संभव होगा जब यूक्रेन को अमेरिका और यूरोपीय देशों से मजबूत और कानूनी सुरक्षा की गारंटी मिलेगी।
कागजी वादे नहीं, ‘अनुच्छेद 5’ जैसी सुरक्षा चाहिए
जेलेंस्की ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि उन्हें सिर्फ कागजी वादे नहीं चाहिए। वे चाहते हैं कि सुरक्षा गारंटी नाटो के Article 5 जैसी हो। इसका मतलब यह है कि अगर भविष्य में रूस दोबारा हमला करता है, तो अमेरिका और यूरोप के सभी सहयोगी देश यूक्रेन की रक्षा के लिए बाध्य हों और उसे अकेला न छोड़ें। जेलेंस्की चाहते हैं कि यह सुरक्षा कागज पर नहीं, बल्कि जमीन पर दिखाई दे।
ट्रंप के दूत और सीजफायर की तैयारी
यह बड़ा बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका की ओर से शांति समझौते की कोशिशें अचानक तेज हो गई हैं। डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ और उनके दामाद जेरेड कुशनर इस समय यूरोप में मौजूद हैं। वे रूस-यूक्रेन शांति फॉर्मूले पर लगातार बैठकें कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स का दावा है कि अमेरिका चाहता है कि मौजूदा फ्रंट लाइन पर ही सीजफायर (Ceasefire) हो जाए और यूक्रेन कुछ इलाकों पर समझौता कर ले।
पुतिन की शर्तें और जर्मनी में अहम बैठक
भले ही जेलेंस्की नरम पड़ गए हों, लेकिन रूस का रुख अब भी सख्त है। व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) की मांग साफ है कि यूक्रेन नाटो से पूरी तरह दूरी बनाए, डोनबास के विवादित इलाकों से अपनी सेना हटाए और यूक्रेन की धरती पर कोई नाटो सैनिक न हो। इस बीच, जर्मनी के स्टटगार्ट (Stuttgart) में यूक्रेनी और अमेरिकी सैन्य अधिकारियों की एक अहम बैठक होने वाली है, जहां इस सुरक्षा गारंटी को ठोस रूप दिया जा सकता है।
मिसाइल हमलों के बीच शांति की तलाश
फिलहाल यूक्रेन और रूस के बीच सीधी बातचीत नहीं हो रही है। यूक्रेन का आरोप है कि रूस जानबूझकर मिसाइल और ड्रोन हमलों के जरिए युद्ध को लंबा खींच रहा है और आम नागरिकों को निशाना बना रहा है। वहीं, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी अमेरिकी प्रस्तावों को फिर से तैयार करने में जुटे हैं ताकि यूक्रेन को एक गरिमापूर्ण शांति मिल सके। अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या रूस इस सीजफायर को मानेगा और क्या डोनाल्ड ट्रंप वाकई इस युद्ध को रुकवा पाएंगे?
क्या है पृष्ठभूमि
रूस ने यूक्रेन पर हमला इसलिए किया था क्योंकि यूक्रेन नाटो में शामिल होना चाहता था, जिसे रूस अपनी सुरक्षा के लिए खतरा मानता है। पिछले 4 सालों से जारी इस युद्ध ने वैश्विक अर्थव्यवस्था और शांति को हिला कर रख दिया है। अब जेलेंस्की का नाटो की जिद छोड़ना युद्ध विराम की दिशा में पहला बड़ा कदम माना जा रहा है।
मुख्य बातें (Key Points)
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जेलेंस्की नाटो सदस्यता की मांग छोड़ने को तैयार, लेकिन सुरक्षा की कानूनी गारंटी मांगी।
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अमेरिका चाहता है कि मौजूदा फ्रंट लाइन पर सीजफायर हो और युद्ध रुके।
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डोनाल्ड ट्रंप के दूत यूरोप में शांति फॉर्मूले पर काम कर रहे हैं।
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रूस की शर्त है कि यूक्रेन की जमीन पर कोई नाटो सैनिक मौजूद न हो।






