World Bank Inequality Report India के मुद्दे पर केंद्र सरकार और कांग्रेस (Congress) के बीच सीधा टकराव देखने को मिला है। कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने विश्व बैंक (World Bank) की रिपोर्ट को तोड़-मरोड़ कर यह भ्रामक दावा किया कि भारत दुनिया का चौथा सबसे समानता वाला समाज बन गया है, जबकि सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने सरकार की प्रेस रिलीज पर सवाल उठाते हुए कहा कि भारत वास्तव में दुनिया के सबसे असमान समाजों में से एक है और सरकार ने जनता को गुमराह करने के लिए आंकड़ों की बाजीगरी की है।
कांग्रेस के अनुसार, अप्रैल 2025 में विश्व बैंक ने भारत के लिए अपनी ‘पावर्टी एंड इक्विटी ब्रीफ (Poverty and Equity Brief)’ रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें भारत में गहराती आर्थिक असमानता और सरकारी आंकड़ों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए गए थे। इस रिपोर्ट के तीन महीने बाद, 5 जुलाई को सरकार ने एक प्रेस रिलीज के माध्यम से यह दावा किया कि भारत अब दुनिया के सबसे समानता वाले देशों में चौथे स्थान पर पहुंच गया है, जो कांग्रेस के अनुसार, पूरी तरह जमीनी सच्चाई से कटा हुआ और भ्रामक है।
जयराम रमेश का आरोप है कि सरकार ने दो अलग-अलग मानकों का प्रयोग कर यह आंकड़ा गढ़ा। भारत के लिए ‘उपभोग आधारित असमानता’ (Consumption-based Inequality) को आधार बनाया गया, जबकि अन्य देशों के लिए ‘आय आधारित असमानता’ (Income-based Inequality) को। उन्होंने कहा कि यह न केवल बौद्धिक बेईमानी है बल्कि सामान्य समझ के भी खिलाफ है क्योंकि उपभोग आधारित आंकड़े हमेशा आय आधारित असमानता से कम दिखते हैं, क्योंकि अमीर लोग अपनी आय का बड़ा हिस्सा खर्च नहीं करते।
कांग्रेस का कहना है कि यदि समान मानकों पर तुलना की जाए, तो भारत का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक है। 2019 में भारत 216 देशों में 176वें स्थान पर था, यानी भारत दुनिया के सबसे असमान देशों में से एक था। रमेश ने दावा किया कि पिछले 11 वर्षों में भारत में संपत्ति आधारित असमानता और बढ़ गई है, जिससे कुछ ही अमीर लोगों को भारी लाभ हुआ है।
कांग्रेस ने यह भी सवाल उठाया कि प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) ने किसके निर्देश पर यह भ्रामक प्रेस विज्ञप्ति जारी की। रमेश ने कहा कि इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए और स्पष्ट किया जाना चाहिए कि यह दावा किस विश्लेषण पर आधारित है। उन्होंने आगे कहा कि यह सिर्फ आंकड़ों की गलत व्याख्या नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि या तो सरकार में विश्लेषणात्मक प्रतिभा की कमी है या फिर ईमानदारी का अभाव है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि नीति आयोग (NITI Aayog) के अधिकारियों द्वारा भी मई 2025 में भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार को लेकर भ्रमित करने वाले बयान दिए गए थे। उन्होंने कहा कि सरकार का दुष्प्रचार की ओर झुकाव अब प्रशासनिक अधिकारियों में भी दिखने लगा है, जो लोकतंत्र और पारदर्शिता के लिए खतरनाक संकेत है।
कुल मिलाकर कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर सरकार को घेर लिया है और कहा है कि विश्व बैंक रिपोर्ट की गलत व्याख्या करके जनता को गुमराह किया जा रहा है। उन्होंने यह भी मांग की है कि पीआईबी को तुरंत यह भ्रामक प्रेस रिलीज वापस लेनी चाहिए और रिपोर्ट का सही विश्लेषण सामने लाना चाहिए।