India Retail Inflation : भारत (India) में महंगाई को लेकर एक राहत भरी खबर सामने आई है। मार्च महीने में खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation Rate) गिरकर 6 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है। खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में कमी के कारण महंगाई में यह गिरावट दर्ज की गई है, जो उपभोक्ताओं के लिए राहत भरी मानी जा रही है।
देश में खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation) मार्च 2025 में घटकर 3.34 प्रतिशत पर आ गई है, जो कि फरवरी 2025 में 3.61 प्रतिशत थी। जनवरी 2025 में यह दर 4.31 प्रतिशत थी जबकि पिछले साल मार्च 2024 में 4.85 प्रतिशत दर्ज की गई थी। यह गिरावट मुख्यतः सब्जियों और प्रोटीन से भरपूर खाद्य उत्पादों की कीमतों में कमी के कारण हुई है। मंगलवार को सरकार द्वारा जारी किए गए आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई।
खाने-पीने की चीजों से संबंधित महंगाई दर, जिसे फूड इन्फ्लेशन (Food Inflation) कहा जाता है, मार्च में गिरकर 2.69 प्रतिशत पर आ गई, जो फरवरी में 3.75 प्रतिशत और मार्च 2024 में 8.52 प्रतिशत थी। यह फूड इन्फ्लेशन नवंबर 2021 के बाद सबसे कम स्तर पर है, जो दर्शाता है कि उपभोक्ताओं को अब रोजमर्रा की जरूरतों की चीजें सस्ती कीमतों पर मिल रही हैं।
भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India – RBI) अपनी मौद्रिक नीति (Monetary Policy) तैयार करते समय खुदरा महंगाई दर (CPI-Based Inflation) को प्रमुख संकेतक के रूप में देखता है। हाल ही में RBI ने रेपो रेट (Repo Rate) में 0.25 प्रतिशत की कटौती करते हुए इसे 6 प्रतिशत कर दिया है। इसके साथ ही वित्त वर्ष 2025-26 के लिए खुदरा महंगाई का औसत चार प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है। पहले, दूसरे, तीसरे और चौथे तिमाही के लिए अनुमानित दरें क्रमशः 3.6%, 3.9%, 3.8% और 4.4% हैं, जिसमें जोखिम संतुलित माने जा रहे हैं।
थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index – WPI) आधारित महंगाई दर में भी राहत मिली है। मार्च 2025 में यह घटकर 2.05 प्रतिशत पर आ गई है, जो कि बीते 6 महीनों का सबसे निचला स्तर है। इससे पहले सितंबर 2024 में यह दर 1.91 प्रतिशत पर थी। फरवरी 2025 में WPI आधारित महंगाई दर 2.38 प्रतिशत दर्ज की गई थी। हालांकि वार्षिक आधार पर मार्च 2024 में यह दर 0.26 प्रतिशत थी, जो अब बढ़कर 2.05 प्रतिशत हो चुकी है।
सरकार द्वारा जारी यह आंकड़े बाजार अनुमानों से बेहतर साबित हुए हैं और इससे संकेत मिलता है कि मौद्रिक नीति के तहत लिए गए निर्णयों का असर अब दिखाई दे रहा है। आने वाले समय में यदि यही रुझान बरकरार रहता है तो महंगाई के दबाव से आम जनता को और राहत मिल सकती है।