Amol Muzumdar Coach : रविवार को जब भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने पहली बार वर्ल्ड कप थामा, तब मैदान पर खड़े एक इंसान की आंखों में आंसू और चेहरे पर संतोष का भाव था। वह थे टीम के कोच अमोल मजूमदार। घरेलू क्रिकेट में 11,000 से ज्यादा रन बनाने के बावजूद भारत की जर्सी पहनने का उनका सपना अधूरा रह गया था, लेकिन इस जीत ने उनके सफर को मुकम्मल कर दिया।
कप्तान हरमनप्रीत कौर ने जीत के बाद जैसे ही अपने ‘गुरु’ मजूमदार के पैर छूए और गले लगकर रो पड़ीं, टीवी पर यह मंजर देख रहे हर क्रिकेट प्रेमी की आंखें नम हो गईं।
‘चक दे इंडिया’ के कबीर खान जैसी कहानी
इसी महीने 51वां जन्मदिन मनाने जा रहे मजूमदार की कहानी, शाहरुख खान की फिल्म ‘चक दे इंडिया’ के कोच कबीर खान की याद दिलाती है। कबीर खान की तरह ही मजूमदार ने टीम को विश्व कप जिताकर अपने अतीत के घावों पर मरहम लगाया है। जीत के बाद वह जश्न के बीच अपने जज्बातों को समेटते नजर आए, लेकिन उनके चेहरे पर सुकून साफ दिख रहा था।
‘हम हार नहीं रहे थे, बस चूक रहे थे’
दो साल पहले जब मजूमदार कोच बने थे, तब भारतीय महिला क्रिकेट कठिन दौर से गुजर रहा था। टीम के पास 10 महीने से कोई फुल-टाइम कोच नहीं था, गुटबाजी और अनुशासनहीनता की खबरें थीं। मजूमदार ने सबसे पहले टीम का भरोसा जीता और स्पष्ट संवाद रखा।
मजूमदार ने फाइनल के बाद कहा, “मैं खिलाड़ियों से यही कहता था कि हम हार नहीं रहे हैं। बस उस बाधा को पार करने से चूक जा रहे हैं। हम उन तीनों मैचों (लीग चरण में हार) में काफी प्रतिस्पर्धी रहे।”
‘नया तेंदुलकर’ जिसे नहीं मिला मौका
बतौर खिलाड़ी मजूमदार का सफर मलाल भरा रहा। 90 के दशक में उन्हें ‘नया तेंदुलकर’ कहा जाता था। वह 1994-95 में भारत ए के लिए राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली के साथ खेले, लेकिन उनके समकालीन सचिन, द्रविड़ और गांगुली तो लीजेंड बन गए, पर मजूमदार का भारत के लिए खेलने का सपना कभी पूरा नहीं हुआ।
उन्होंने मुंबई के लिए 1993-94 रणजी सत्र में डेब्यू पर 260 रन बनाए थे, जो उस समय एक वर्ल्ड रिकॉर्ड था।
’70 मिनट’ नहीं, बस एक रन ज्यादा
‘चक दे इंडिया’ के कोच कबीर खान ने फाइनल से पहले मशहूर ’70 मिनट’ वाली स्पीच दी थी, वहीं मजूमदार ने अपने खिलाड़ियों से सिर्फ इतना कहा कि इतिहास रचने के लिए बस एक रन अधिक बनाना है। ग्रुप चरण में लगातार तीन हार के बावजूद उन्होंने किसी खिलाड़ी पर ठीकरा नहीं फोड़ा और टीम पर विश्वास बनाए रखा। अंत में उनकी 15 जांबाज खिलाड़ियों ने उन्हें ‘गुरुदक्षिणा’ में वर्ल्ड कप ट्रॉफी देकर उनके भरोसे को सही साबित कर दिया।
मुख्य बातें (Key Points):
- अमोल मजूमदार के कोच रहते भारतीय महिला टीम ने पहली बार वनडे वर्ल्ड कप जीता।
- घरेलू क्रिकेट में 11,000+ रन बनाने के बावजूद मजूमदार कभी भारत के लिए नहीं खेल पाए।
- उनकी कहानी ‘चक दे इंडिया’ के कोच कबीर खान से मिलती-जुलती है।
- मजूमदार ने 2 साल पहले बिखरी हुई टीम को एकजुट किया और विश्वास जगाया, जिसकी परिणति विश्व कप जीत के रूप में हुई।






