Ram Rahim Parole को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका को खारिज कर दिया गया है। यह याचिका शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) द्वारा दायर की गई थी, जिसमें डेरा सच्चा सौदा (Dera Sacha Sauda) प्रमुख गुरमीत राम रहीम (Gurmeet Ram Rahim) को बार-बार Parole और Furlough पर रिहा किए जाने का विरोध किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी व्यक्ति विशेष को निशाना बनाकर जनहित याचिका दायर नहीं की जा सकती।
“राजनीतिक कारणों से दायर की गई याचिका” – मुकुल रोहतगी
SGPC ने अपनी याचिका में दावा किया कि हरियाणा सरकार (Haryana Government) बार-बार राम रहीम को पैरोल देकर कानून का उल्लंघन कर रही है। वहीं, राम रहीम की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी (Mukul Rohatgi) ने दलील दी कि यह याचिका राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण दायर की गई है।
उन्होंने SGPC पर सवाल उठाते हुए कहा,
“अगर याचिकाकर्ता खुद को धार्मिक संगठन बताता है, तो फिर वह राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता की बात कैसे कर सकता है?”
इस पर SGPC के वकील ने तर्क दिया कि जब राम रहीम खुद को धार्मिक व्यक्ति मानते हैं, तो उन पर राजनीतिक द्वेष का आरोप क्यों लगाया जा रहा है?
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई (Justice Bhushan Ramkrishna Gavai) और जस्टिस मनोज मिश्रा (Justice Manoj Mishra) की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि हाई कोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि सरकार नियमों के अनुसार परोल की मांग पर विचार कर सकती है।
SGPC ने दलील दी कि पिछले साल राम रहीम की रिहाई हाई कोर्ट के आदेशों के खिलाफ थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि ऐसा है, तो राज्य सरकार के खिलाफ हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की जा सकती है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
गंभीर अपराधों के बावजूद मिल रही है बार-बार Parole
गुरमीत राम रहीम को हत्या और रेप जैसे जघन्य अपराधों के लिए सजा सुनाई जा चुकी है।
- 2017: दो महिला शिष्यों से रेप के मामले में 20 साल की सजा।
- 2019: पत्रकार रामचंद्र छत्रपति (Ram Chander Chhatrapati) की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा।
इसके बावजूद, हरियाणा सरकार लगातार उसे Parole और Furlough देकर जेल से बाहर आने का मौका देती रही है।
राम रहीम को अब तक मिली पैरोल:
- अक्टूबर 2022
- जनवरी 2023
- जुलाई 2023
इससे SGPC और अन्य संगठनों ने सरकार की Parole नीति पर सवाल उठाए हैं।
“हरियाणा सरकार राजनीतिक लाभ के लिए Parole दे रही” – SGPC
SGPC और अन्य संगठनों का आरोप है कि हरियाणा सरकार राम रहीम को राजनीतिक फायदे के लिए बार-बार जेल से बाहर लाने की अनुमति दे रही है। SGPC का कहना है कि अगर कोई आम कैदी होता, तो उसे इतनी बार Parole नहीं मिलती।
हालांकि, सरकार का तर्क है कि सभी कैदियों को कानून के तहत समान अधिकार दिए जाते हैं और Parole देने का निर्णय जेल नियमों के अनुसार लिया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि Ram Rahim Parole मामले में कोई भी व्यक्ति विशेष टारगेट नहीं किया जा सकता। अगर किसी को सरकार की पैरोल नीति से आपत्ति है, तो उसे हाई कोर्ट में चुनौती दी जानी चाहिए। अब देखना होगा कि SGPC इस फैसले के खिलाफ क्या अगला कदम उठाती है।