Rahul Gandhi H-Files : कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा हरियाणा चुनाव में ‘वोट चोरी’ का ‘हाइड्रोजन बम’ फोड़ना एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। इसे ऐसे समय में उठाया गया है, जब बिहार में पहले चरण का मतदान सिर पर है और पश्चिम बंगाल में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) शुरू हो गया है। राहुल ‘संविधान खतरे में है’ के नैरेटिव पर विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं।
हरियाणा की हार को बनाया ‘धांधली’
पिछले साल हरियाणा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस ने अंतरकलह और जाट-विरोधी ध्रुवीकरण को वजह माना था। लेकिन अब राहुल गांधी ने इस हार को चुनावी धांधली का परिणाम बताया है। उन्होंने कर्नाटक और हरियाणा का हवाला देते हुए मतदाता सूचियों में ऑनलाइन हेराफेरी और फर्जी नाम (जैसे ब्राजीलियाई मॉडल) के उदाहरण पेश किए हैं।
बिहार चुनाव पर सीधा असर?
राहुल गांधी की रणनीति हरियाणा के मुद्दे को बिहार चुनाव में घसीट लाने की थी। उन्होंने मंच पर बिहार के कुछ लोगों को बुलाकर यह साबित करने की कोशिश की कि वहां भी नाम काटे जा रहे हैं। लेकिन, तेजस्वी यादव और बिहार कांग्रेस ने इस मुद्दे को आगे नहीं बढ़ाया।
तेजस्वी का पूरा फोकस एनडीए सरकार के खिलाफ एंटी-इंकम्बेंसी और अपने वादों पर रहा है। राहुल के ‘वोट चोरी’ के आरोप से यह खतरा था कि जनता का ध्यान तेजस्वी के वादों से हट सकता है, जो तेजस्वी कभी नहीं चाहेंगे।
PM मोदी के ‘घुसपैठिया’ नैरेटिव का जवाब
पीएम मोदी ने राहुल के ‘वोट चोरी’ अभियान को ‘घुसपैठिया बचाओ यात्रा’ कहकर पलटवार किया था। राहुल ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए ‘वोट चोरी’ को ‘संविधान और गरीबों के अधिकार’ की लड़ाई बना दिया, ताकि खुद को रक्षक के तौर पर स्थापित कर सकें।
SIR पर ममता बनर्जी से दूरी
बिहार के बाद पश्चिम बंगाल समेत 12 राज्यों में SIR प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। ममता बनर्जी भी इस मुद्दे पर सड़कों पर हैं, लेकिन उन्होंने अपनी लड़ाई में राहुल गांधी के लिए कोई जगह नहीं छोड़ी है।
बंगाल में बीजेपी, टीएमसी पर घुसपैठियों के नाम जोड़ने का आरोप लगाती रही है। ऐसे में ‘वोट चोरी’ का मुद्दा राहुल और ममता के लिए कॉमन है। लेकिन राहुल चाहते हैं कि उनके ‘हाइड्रोजन बम’ की गूंज बंगाल तक पहुंचे और जो मुस्लिम वोटबैंक उनसे छिटक कर ममता के पास गया था, वह वापस लौट आए। जबकि ममता बंगाल की सियासत में राहुल को कोई मौका नहीं देना चाहतीं।
राहुल ने खेला जोखिम भरा दांव
राहुल गांधी के इस दांव से तेजस्वी के लिए बिहार में जोखिम खड़ा हो गया है। हालांकि, राहुल का फायदा यह है कि वह इस मुद्दे को बार-बार उठाकर ‘इंडिया’ गठबंधन की एकजुटता का दिखावा कर रहे हैं। भले ही चुनाव आयोग ने कई बार उनके दावों का फैक्ट-चेक किया हो, लेकिन राहुल गांधी की लड़ाई बिहार में चंद सीटें जीतने से कहीं आगे की है।
मुख्य बातें (Key Points):
- राहुल गांधी ने ‘H-Files’ के जरिए हरियाणा की हार को ‘वोट चोरी’ बताकर बिहार चुनाव से जोड़ा।
- तेजस्वी यादव ने राहुल के इस नैरेटिव से दूरी बनाए रखी और अपने स्थानीय वादों पर फोकस किया।
- पश्चिम बंगाल में SIR के मुद्दे पर ममता बनर्जी भी लड़ रही हैं, लेकिन वह कांग्रेस को साथ नहीं ले रहीं।
- राहुल ‘वोट चोरी’ के मुद्दे पर ‘इंडिया’ गठबंधन को एकजुट करने और खुद को ‘संविधान का रक्षक’ साबित करने की कोशिश कर रहे हैं।






