Frozen Russian Assets के मुद्दे पर रूस और पश्चिमी देशों के बीच की तल्खी अब एक नए और खतरनाक मोड़ पर आ गई है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूरोपीय संघ (European Union) को खुली चेतावनी देते हुए साफ कर दिया है कि अगर उन्होंने यूक्रेन की मदद के लिए रूस की जब्त की गई संपत्तियों का इस्तेमाल किया, तो इसके परिणाम बेहद गंभीर होंगे। पुतिन ने इसे सीधे तौर पर ‘डकैती’ करार दिया है और कहा है कि लुटेरों को अपनी करनी का फल भुगतना ही पड़ेगा।
‘यह मदद नहीं, डकैती है’
एक मैराथन प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, जो चार घंटे से अधिक समय तक चली, पुतिन ने यूरोपीय संघ के मंसूबों पर पानी फेरते हुए कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि यूक्रेन को वित्तीय सहायता देने के लिए अगर रूस की ‘जमे हुए परिसंपत्तियों’ (Frozen Assets) का उपयोग करने की मंजूरी दी जाती है, तो यह अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत चोरी और डकैती के समान होगा। उनका कहना था कि यूरोपीय संघ इस योजना को इसलिए आगे नहीं बढ़ा सका क्योंकि वे जानते थे कि इसके नतीजे कितने भयानक हो सकते हैं।
यूरो की साख पर बट्टा लगेगा
पुतिन ने सिर्फ धमकी नहीं दी, बल्कि इसके आर्थिक दुष्प्रभावों का भी विश्लेषण किया। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यूरोपीय संघ यूक्रेन को 90 अरब यूरो का कर्ज देने या मदद करने के लिए रूसी पैसे का इस्तेमाल करता है, तो इससे पूरी दुनिया के निवेशकों का भरोसा टूट जाएगा। इसका सीधा असर ‘यूरो’ (Euro) की विश्वसनीयता पर पड़ेगा और वैश्विक बाजार में यूरोप की छवि को भारी नुकसान पहुंचेगा। उनका तर्क स्पष्ट था—अगर आप किसी देश का पैसा जब्त करके दूसरे को देंगे, तो कोई भी भविष्य में आप पर भरोसा नहीं करेगा।
ट्रंप की कोशिशें और युद्ध के 4 साल
वीडियो रिपोर्ट के मुताबिक, रूस और यूक्रेन के बीच छिड़े इस युद्ध को 4 साल हो चुके हैं, लेकिन शांति के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। एक तरफ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार शांति स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं और रूस को धमकियां भी दे रहे हैं, लेकिन इसका पुतिन पर कोई असर नहीं हो रहा है। इसके विपरीत, पुतिन का गुस्सा और भड़क गया है। उन्होंने झुकने के बजाय अब सीधे यूरोपीय संघ को ही आंख दिखा दी है। ट्रंप की कोशिशें फिलहाल नाकाम होती दिख रही हैं क्योंकि मॉस्को का रुख अब और ज्यादा आक्रामक हो गया है।
मैदान-ए-जंग में रूस की बढ़त
आर्थिक मोर्चे के साथ-साथ पुतिन ने सैन्य मोर्चे पर भी अपनी ताकत का बखान किया। उन्होंने दावा किया कि रूसी सेना ने युद्ध के पूरे मोर्चे पर ‘रणनीतिक बढ़त’ हासिल कर ली है। उनके अनुसार, यूक्रेन की सेना हर क्षेत्र में पीछे हट रही है और रूस अपने सभी सैन्य उद्देश्यों को हासिल करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब यूक्रेन को पश्चिमी देशों से मिल रही मदद पर सवाल उठ रहे हैं।
विश्लेषण: आर्थिक युद्ध का नया अध्याय
व्लादिमीर पुतिन का यह बयान महज एक चेतावनी नहीं, बल्कि एक सोची-समझी ‘जियो-इकोनॉमिक’ रणनीति का हिस्सा है। पुतिन जानते हैं कि पश्चिमी देशों की अर्थव्यवस्था ‘विश्वास’ (Trust) पर टिकी है। ‘डकैती’ शब्द का इस्तेमाल करके उन्होंने यूरोपीय संघ को नैतिक और कानूनी धर्मसंकट में डाल दिया है। अगर यूरोप रूसी संपत्ति का उपयोग करता है, तो चीन और खाड़ी देश अपनी संपत्ति यूरोप से हटा सकते हैं, जिससे बैंकिंग सिस्टम हिल सकता है। पुतिन ने युद्ध को अब हथियारों से आगे ले जाकर बैंकों और करेंसी की विश्वसनीयता पर केंद्रित कर दिया है।
क्या है पृष्ठभूमि
रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान पश्चिमी देशों ने रूस की अरबों डॉलर की संपत्ति जब्त (Freeze) कर ली थी। यूरोपीय संघ इस पैसे का इस्तेमाल यूक्रेन के पुनर्निर्माण और हथियार खरीदने में करना चाहता है। इसी योजना के विरोध में पुतिन ने यह 4 घंटे लंबी प्रेस कॉन्फ्रेंस की और स्पष्ट किया कि ऐसा करना ‘रेड लाइन’ पार करने जैसा होगा।
मुख्य बातें (Key Points)
-
Vladimir Putin ने यूरोपीय संघ को रूसी संपत्ति का उपयोग करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी।
-
पुतिन ने रूसी संपत्ति के इस्तेमाल को ‘दिनदहाड़े डकैती’ करार दिया।
-
चेतावनी दी गई कि ऐसे कदम से यूरो (Currency) की विश्वसनीयता और निवेशकों का भरोसा खत्म हो जाएगा।
-
पुतिन ने दावा किया कि 4 साल से चल रहे युद्ध में रूसी सेना अब रणनीतिक रूप से जीत रही है।






