The News Air- अपनी बेबाकी के कारण हमेशा चर्चाओं में रहने वाले नवजोत सिंह सिद्धू अब साइलेंट नज़र आ रहे हैं। 6 फरवरी से पहले सिद्धू सूबे में अपने ‘पंजाब मॉडल’ के साथ प्रचार कर रहे थे। मंच पर खड़े होकर मंत्री पद और टिकट बांट रहे थे। वहीं, अब सिद्धू अपने विधानसभा क्षेत्र अमृतसर ईस्ट तक ही सिमट गए हैं। यह पहली बार है कि नवजोत अपने हलक़े में डोर-टु-डोर प्रचार कर रहे हैं। उन्हें प्रचार के लिए भी अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी रहे नेताओं का सहारा लेना पड़ रहा है।
कांग्रेस ने पंजाब में 6 फरवरी को चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री चेहरा बनाया था। इस ऐलान के साथ ही सूबे, ख़ासकर कांग्रेस में राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल गए। इस घोषणा से पहले प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रधान नवजोत सिद्धू पंजाब में कांग्रेस के स्टार प्रचारक थे और उन्होंने पूरे राज्य में प्रचार की कमान संभाल रखी थी। वह 54 विधानसभा हलक़ों में प्रचार कर चुके थे। साथ ही इन राजनीतिक रैलियों में अपने विरोधियों के साथ पार्टी में राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर निशाना साध रहे थे। वहीं कई रैलियों के मंच से उन्होंने अपने चहेतों को मंत्री और पार्टी का उम्मीदवार बनाने का ऐलान भी किया। साथ ही रैलियों और मीडिया के सामने सिद्धू पंजाब मॉडल की ही बात करते रहे।
18 साल में पहली बार कड़ी टक्कर
अमृतसर ईस्ट सीट पर 18 साल में पहली बार नवजोत सिद्धू को कड़ी टक्कर मिल रही है। उनके सामने शिरोमणि अकाली दल के माझा के जरनैल बिक्रम सिंह मजीठिया हैं। मजीठिया ने सिद्धू का चैलेंज स्वीकारते हुए अपनी पारंपरिक सीट मजीठा छोड़ दी और अब अमृतसर ईस्ट सीट पर ही चुनाव लड़ रहे हैं। मजीठा सीट से अब बिक्रम मजीठिया की पत्नी गुनीव कौर शिरोमणि अकाली दल के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं।
पंजाब मॉडल नहीं अमृतसर ईस्ट पर फोक्स
पंजाब में कांग्रेस का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित होने के बाद से नवजोत सिद्धू अपनी सीट अमृतसर ईस्ट तक सिमट गए हैं। उन्होंने अपने पंजाब मॉडल की बात करना बंद कर दिया है और दूसरे हलक़ों में प्रचार करने भी नहीं जा रहे हैं। इसके लिए वह तर्क दे रहे हैं कि पार्टी का सीएम चेहरा ही चुनाव कैंपेनिंग की अगुवाई करता है। पिछली बार कैप्टन थे और स्वभाविक है कि इस बार चन्नी कमान संभाल रहे हैं। हालांकि उनका कहना है कि पार्टी प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते जो ज़िम्मेदारी उनकी है उसे पूरा करेंगे। पार्टी उन्हें नहीं कहेगी तो वह प्रचार करने दूसरे हलक़े में नहीं जाएंगे।
जीत के लिए भूले राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता
नवजोत सिद्धू क्रिकेट छोड़ राजनीति में आने के बाद ज़्यादा चर्चा में हैं। पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह और अब चरणजीत सिंह चन्नी के साथ उनकी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता है। लुधियाना के सांसद रवनीत बिट्टू के साथ नवजोत सिद्धू का 36 का आंकड़ा रहा। इसके बावज़ूद सांसद बिट्टू गुरुवार को अमृतसर ईस्ट सीट पर नवजोत सिद्धू के लिए प्रचार करने पहुंचे। बिट्टू ने सबसे पहले रूठे कांग्रेसियों को मनाने का प्रयास किया। इनमें से कुछ नेताओं को बिट्टू प्रचार के लिए साथ लाने की कोशिश करते नज़र आए।
बिट्टू ने सिद्धू के साथ रैली को भी संबोधित किया और उनके लिए वोट मांगे। हालांकि, बिट्टू के इस तरह अमृतसर पहुंचने के कई सियासी मायने लगाए जा रहे हैं। सियासी गलियारों में चर्चा है कि सिद्धू राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता भूलकर अब अपनी जीत सुनिश्चित करना चाहते हैं।
दूसरों को जिताने का दावा करने वाले अपनी जीत के लिए चिंतित
नवजोत सिद्धू 6 फरवरी से पहले दूसरे हलक़ों में जाकर प्रचार कर रहे थे और कांग्रेस के स्टार प्रचारक थे। वही पार्टी प्रत्याशियों को जिताने का दावा कर रहे थे। अब उनकी सीट पर बिक्रम मजीठिया के आने के बाद समीकरण बदल गए हैं। ऐसे में सिद्धू पहली बार अपनी जीत के लिए संघर्ष करते दिख रहे हैं। 18 साल में यह पहली बार है कि नवजोत सिद्धू अमृतसर ईस्ट हलक़े में डोर-टु-डोर प्रचार कर रहे हैं। वह शहर से बाहर निकले भी हैं तो सिर्फ़ वैष्णो देवी ही गए। इसके अलावा उनका अभी तक कोई भी बड़ा कार्यक्रम पंजाब के अन्य हिस्सों में नहीं हुआ है और न ही आने वाले दिनों में शेड्यूल है।
स्पीच से भी पंजाब मॉडल ग़ायब
वहीं 6 फरवरी से पहले पंजाब मॉडल की रट लगाने वाले नवजोत सिद्धू की स्पीच से भी यह अब ग़ायब है। पहले के संबोधन में सिद्धू हमेशा पंजाब मॉडल की बात करते नज़र आए हैं। वहीं, 6 फरवरी के बाद के इंटरव्यू में सिद्धू कहते सुने गए कि इस समय दूल्हे चन्नी हैं और उन्हें ही अब सब कुछ देखना है। बागडोर अब चन्नी के हाथ में ही है। उनकी स्पीच में सिर्फ़ अमृतसर ईस्ट हलक़े के विकास की ही बात हो रही है। सिद्धू यह कहते भी नहीं चूके कि पंजाब के लोग बदलाव चाहते हैं और यह बदलाव उन्हें नवजोत सिद्धू और आम आदमी पार्टी में दिख रहा है।