Punjab Flood Relief Package : बाढ़ की विनाशकारी मार झेल रहे पंजाब (Punjab) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) द्वारा दिए गए 1600 करोड़ रुपए के राहत पैकेज ने एक नया सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। राज्य सरकार और विपक्षी दलों ने इस मदद को “ऊंट के मुंह में जीरा” बताते हुए नाकाफी करार दिया है, जबकि केंद्र इसे सिर्फ एक शुरुआती मदद बता रहा है। यह विवाद तब और गहरा गया जब पंजाब के एक मंत्री ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने उनकी बात को यह कहकर टाल दिया कि “शायद आपको हिंदी नहीं आती”।
क्यों भड़का है गुस्सा? : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने 9 सितंबर को बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण करने के बाद गुरदासपुर (Gurdaspur) में अधिकारियों से मुलाकात की और 1600 करोड़ के पैकेज की घोषणा की। लेकिन पंजाब सरकार, जिसने 20,000 करोड़ रुपए के नुकसान का शुरुआती अनुमान लगाकर केंद्र से मदद मांगी थी, इस घोषणा से बेहद निराश है।
कैबिनेट मंत्री बरिंदर गोयल (Barinder Goyal) ने साफ कहा कि राज्य ने 20,000 करोड़ के पैकेज के साथ-साथ 60,000 करोड़ के बकाए और डिजास्टर मैनेजमेंट फंड (Disaster Management Fund) के इस्तेमाल में छूट की मांग की थी, जिसे नजरअंदाज कर दिया गया। वहीं, मंत्री हरदीप सिंह मुंडियां (Hardeep Singh Mundian) ने प्रधानमंत्री की टिप्पणी को पंजाबियों का अपमान बताया। कांग्रेस प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग (Amarinder Singh Raja Warring) ने तंज कसते हुए कहा कि इससे ज्यादा पैसा तो कलाकारों और धार्मिक संस्थाओं ने राहत कार्यों में खर्च कर दिया है।
हालांकि, केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू (Ravneet Singh Bittu) ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि यह सिर्फ फौरी राहत है और नुकसान के पूरे आकलन के बाद और मदद दी जाएगी।
भारत में जब भी कोई प्राकृतिक आपदा आती है, तो राहत पैकेज की प्रक्रिया कई चरणों में होती है। सबसे पहले राज्य सरकार अपने आपदा राहत कोष (SDRF) से तत्काल मदद मुहैया कराती है। जब नुकसान बहुत बड़ा होता है, तो राज्य केंद्र से विशेष पैकेज की मांग करता है। इसके बाद केंद्र की एक टीम (Inter-Ministerial Central Team) प्रभावित इलाकों का दौरा कर नुकसान का जायजा लेती है और अपनी रिपोर्ट सौंपती है। प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 1600 करोड़ की राशि को इसी प्रक्रिया में एक अग्रिम या अंतरिम सहायता माना जा रहा है, जिसका उद्देश्य तत्काल राहत कार्यों को गति देना है। अंतिम पैकेज का निर्धारण केंद्रीय टीम की विस्तृत रिपोर्ट के बाद ही होता है।
कितना बड़ा है नुकसान का आंकड़ा? : पंजाब सरकार की 20,000 करोड़ की मांग खोखली नहीं है। बाढ़ ने राज्य के सभी 23 जिलों में तबाही मचाई है।
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गांव और लोग: 2,097 गांव पानी में डूब चुके हैं और 3.88 लाख से ज्यादा लोग सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं।
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खेती: करीब 1.92 लाख हेक्टेयर में खड़ी फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है।
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जान-माल: 15 जिलों में 52 लोगों की मौत हो चुकी है और 2.52 लाख से ज्यादा पशु प्रभावित हुए हैं, जिनमें हजारों की मौत हो चुकी है। पोल्ट्री उद्योग को भी भारी नुकसान पहुंचा है।
सिर्फ किसान नहीं, इंडस्ट्री भी बेहाल : वर्ल्ड एमएसएमई फोरम (World MSME Forum) के प्रेसिडेंट बंदिश जिंदल (Bandish Jindal) ने एक अहम मुद्दा उठाते हुए कहा कि सरकार का ध्यान सिर्फ किसानों पर है, जबकि इंडस्ट्री और छोटे व्यापारी भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। उन्होंने बताया कि सीमावर्ती इलाकों में ही 200 चावल मिल (Shallar) बाढ़ की चपेट में हैं। उन्होंने मांग की कि:
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इंडस्ट्री और दुकानदारों के बैंक लोन की किस्तें 6 महीने के लिए टाली जाएं।
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जरूरतमंदों के लोन माफ किए जाएं और खेतों की तरह इंडस्ट्री के नुकसान का भी सर्वे हो।
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इनकम टैक्स भरने की आखिरी तारीख 30 सितंबर से बढ़ाकर 30 दिसंबर की जाए, क्योंकि बाढ़ में व्यापारियों के रिकॉर्ड और कंप्यूटर खराब हो चुके हैं।
उनके मुताबिक, जो पंजाब केंद्र को सालाना 60,000 करोड़ का राजस्व देता है, उसे जरूरत के समय सिर्फ 1600 करोड़ देना बेहद निराशाजनक है।






