The News Air – (चंडीगढ़) पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने डेरा सच्चा सौदा सिरसा मुखी राम रहीम की याचिका मंज़ूर कर ली है। राम रहीम ने रणजीत हत्याकांड में उम्रकैद की सज़ा को चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने राम रहीम पर CBI कोर्ट द्वारा लगाए 31 लाख के जुर्माने पर भी फ़िलहाल रोक लगा दी है।
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राम रहीम को अक्टूबर महीने में ही पंचकूला की सीबीआई कोर्ट ने उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी। राम रहीम पर 31 लाख का जुर्माना भी लगाया गया था। राम रहीम के साथ चार और आरोपियों को भी सज़ा सुनाई गई थी।
19 साल बाद मिली थी सज़ा
कुरुक्षेत्र के रहने वाले रणजीत सिंह डेरा सच्चा सौदा के मैनेजर थे। 10 जुलाई 2002 को रणजीत सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसकी पुलिस जांच से असंतुष्ट रणजीत सिंह के बेटे जगसीर सिंह ने जनवरी 2003 में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी थी, जिसमें पूरे मामले की CBI जांच की मांग की थी।
हाईकोर्ट ने जांच सीबीआई को सौंप दी है। शुरू में इस मामले में राम रहीम का नाम नहीं था। 2003 में जांच सीबीआई को सौंपने के बाद 2006 में ड्राइवर खट्टा सिंह के बयान के बाद राम रहीम को इसमें नामज़द किया गया। 2007 में कोर्ट ने आरोपियों पर चार्ज फ्रेम किए थे, जिसके बाद अक्टूबर 2021 में सज़ा सुनाई गई।
गुमनाम चिट्ठी की वजह से हुआ था मर्डर
रणजीत सिंह डेरा सच्चा सौदा की प्रबंधन समिति के सदस्य भी थे। उसी दौरान डेरा प्रमुख के ख़िलाफ़ एक गुमनाम चिट्ठी बाहर आई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि डेरे के भीतर डेरा मुखी द्वारा साध्वियों का यौन शोषण किया जाता है। उस वक़्त यह शक किया गया कि वह लेटर रणजीत ने ही अपनी बहन से लिखवाया था, जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भेजा गया था।