Medha Patkar Defamation Case: सोमवार को मानहानि मामले में नर्मदा बचाओ आंदोलन की कार्यकर्ता मेधा पाटकर को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने सजा का ऐलान कर दिया है। साकेत कोर्ट ने मानहानि मामले में मेधा पाटकर को 5 महीने की सजा सुनाई है। मेधा पाटकर पर दिल्ली के LG वीके सक्सेना ने 2001 में मानहानि का मुकदमा दायर किया था।
साकेत कोर्ट ने मानहानि मामले में मेधा पाटकर को 5 महीने की सजा और 10 लाख का जुर्माना भरने का आदेश सुनाया। कोर्ट ने जुर्माने की राशि को वीके सक्सेना को देने का निर्देश दिया था, लेकिन उन्होंने इनकार किर दिया। वीके सक्सेना के वकील ने जज से कहा कि मुआवजे की रकम हमको नहीं चहिए। इसपर कोर्ट ने कहा कि एक बार मुआवजे की रकम आपको मिल जाए, तो उसके बाद आप उस पैसे से जो करना चहिए करिए।
उम्र का हवाला देने वाली दलील खारिज
मेधा पाटकर के वकील ने कोर्ट में उनकी उम्र का हवाला दिया था। कोर्ट ने उम्र का हवाला देने वाली दलील को खारिज कर दिया। साकेत कोर्ट ने कहा कि वह मेधा पाटकर की उम्र को देखते हुए एक से दो साल की ज्यादा सजा नहीं दे रहे हैं। सजा का ऐलान होने के बाद मेधा पाटकर की तरफ से कोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की गई। जिसपर कोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 389(3) के तहत सजा को एक महीने के लिए निलंबित करने का आदेश दिया।
क्या है केस?
बता दें, मेधा पाटकर और दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना 2001 से इस केस को लड़ रहे थे। मेधा पाटकर ने अपने और नर्मदा बचाओ आंदोलन के खिलाफ विज्ञापन प्रकाशित करने पर वीके सक्सेना के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। उस वक्त वीके सक्सेना अहमदाबाद स्थित एनजीओ नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के प्रमुख थे। एक टीवी चैनल पर सक्सेना के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने और मानहानी बयान जारी करने के लिए वीके सक्सेना ने मेधा पाटकर के खिलाफ केस दर्ज कराया था। इसी मानहानि के केस में मेधा पाटकर को सजा हुई है।






