जालंधर (Jalandhar) 25 जनवरी (The News Air): पंजाब के जालंधर में गणतंत्र दिवस (Republic Day) से एक दिन पहले दल खालसा (Dal Khalsa) द्वारा खालिस्तान की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शनकारियों ने भारत के संविधान को नकारते हुए ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए। यह विरोध मार्च बाबा साहिब बीआर अंबेडकर चौक (Nakodar Chowk) पर समाप्त हुआ।
इस दौरान, पुलिस सुरक्षा में मौजूद रही लेकिन प्रदर्शनकारियों पर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की गई। प्रदर्शनकारी ‘Punjab is not India’ (पंजाब भारत का हिस्सा नहीं है) लिखी हुई टी-शर्ट पहनकर आए थे और उन्होंने देश विरोधी नारे भी लगाए।
प्रदर्शन में उठी खालिस्तान की मांग
प्रदर्शन में शामिल खालिस्तान समर्थकों ने कहा कि वे भारत के संविधान को स्वीकार नहीं करते। उनका दावा था कि यह संविधान सिखों के साथ अन्याय करता है। उन्होंने घोषणा की कि गुरु ग्रंथ साहिब (Guru Granth Sahib) ही उनका सर्वोच्च ग्रंथ है, और किसी अन्य संविधान को वे मान्यता नहीं देंगे।
प्रदर्शनकारियों ने यह भी आरोप लगाया कि पिछले 70 वर्षों में भारतीय संविधान में 150 से अधिक बार संशोधन किए गए, लेकिन सिखों को उनके अधिकार नहीं दिए गए।
देश-विरोधी नारे और पुलिस की निष्क्रियता
प्रदर्शन के दौरान, खालिस्तान समर्थकों ने हाथ में खालिस्तान के झंडे लिए हुए थे और भारत के प्रतीकों पर क्रॉस वाले पोस्टर लहराए। उन्होंने जोर देकर कहा कि ‘खालिस्तान’ बनाकर रहेंगे।
हैरानी की बात यह रही कि पुलिस सुरक्षा में प्रदर्शन जारी रहा, लेकिन इस दौरान किसी भी तरह की रोकथाम या गिरफ्तारी नहीं की गई। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस मूकदर्शक बनी रही और विरोध प्रदर्शन को शांतिपूर्वक खत्म होने दिया।
खालिस्तान समर्थकों का तर्क
प्रदर्शनकारियों ने कहा,
- “भारत का संविधान सिखों के लिए कभी मददगार नहीं रहा। यह सिर्फ हमारे समुदाय के अपमान का कारण बना।”
- “हमारे लिए सिर्फ गुरु ग्रंथ साहिब सर्वोपरि हैं।”
- “भारत सरकार सिखों के अधिकारों को दबाती रही है।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने सिख नेताओं को घर से बाहर निकलने तक नहीं दिया।
क्या है दल खालसा की भूमिका?
दल खालसा (Dal Khalsa) खालिस्तान समर्थक संगठन है, जो सिखों के लिए अलग राष्ट्र की मांग करता है। गणतंत्र दिवस से पहले इस संगठन ने भारत विरोधी भावनाओं को बढ़ावा देने के लिए इस प्रदर्शन का आयोजन किया।
संगठन ने प्रदर्शन के जरिए यह संदेश देने की कोशिश की कि भारतीय संविधान को खारिज करते हुए, वे खालिस्तान की मांग को लेकर अडिग हैं।
पंजाब में बढ़ता खालिस्तान का प्रभाव?
हाल के वर्षों में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों में वृद्धि देखी गई है।
- विदेशी फंडिंग: खालिस्तान समर्थकों को विदेशों से फंडिंग मिल रही है, जिससे इन आंदोलनों को बल मिल रहा है।
- सोशल मीडिया प्रचार: सोशल मीडिया के माध्यम से खालिस्तान समर्थक अपनी विचारधारा का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं।
- सरकार की चुनौती: भारत सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह बढ़ती गतिविधि एक बड़ी चुनौती बन चुकी है।
पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल
स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों ने इस घटना में पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठाए हैं।
- कानून-व्यवस्था पर असर: देश विरोधी नारे लगने और झंडे लहराने के बावजूद, पुलिस का कोई कार्रवाई न करना चिंता का विषय है।
- राजनीतिक दबाव? कुछ लोग इसे राजनीतिक दबाव का नतीजा मानते हैं, जहां प्रशासन इन गतिविधियों को रोकने में असमर्थ है।
जालंधर में दल खालसा का प्रदर्शन देश के लिए चिंता का विषय है। भारतीय संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ इस तरह के विरोध प्रदर्शन भारत की अखंडता को चुनौती देते हैं। पुलिस और प्रशासन को इस मुद्दे पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि देश की सुरक्षा और एकता सुनिश्चित हो सके।