अयोध्या, 27 दिसंबर (The News Air): अयोध्या के भव्य और दिव्य राम मंदिर में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने मंदिर के पुजारियों के लिए ड्रेस कोड लागू किया है। अब रामलला की सेवा में लगे पुजारी पीतांबरी वस्त्र, सफेद धोती और सिर पर पीले रंग की पगड़ी पहनेंगे। यह ड्रेस कोड 25 दिसंबर से लागू हो चुका है, जिससे राम मंदिर के पुजारियों की पहचान अब और स्पष्ट हो जाएगी।
ड्रेस कोड का उद्देश्य: श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मुताबिक, यह कदम मंदिर की गरिमा और भक्तों की सुविधा के लिए उठाया गया है। ड्रेस कोड लागू करने का उद्देश्य पुजारियों की एकरूपता बनाए रखना और पूजा-अर्चना की परंपरा को और भी भव्य बनाना है। इससे न केवल मंदिर का अनुशासन बढ़ेगा, बल्कि भक्तों के लिए पुजारियों की पहचान करना भी आसान हो जाएगा।
पुजारियों को मिले दो-दो सेट वस्त्र: राम मंदिर में वर्तमान में 14 पुजारी कार्यरत हैं, जिनमें मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास भी शामिल हैं। ट्रस्ट ने सभी पुजारियों को दो-दो सेट ड्रेस प्रदान की है। इस ड्रेस में पीली चौबंदी, सफेद धोती और पीली पगड़ी शामिल हैं। ट्रस्ट ने यह भी सुनिश्चित किया है कि सभी पुजारी निर्धारित ड्रेस में ही मंदिर में सेवा देंगे।
पुजारियों की ड्यूटी का बंटवारा: राम मंदिर में पूजा-अर्चना की जिम्मेदारी को व्यवस्थित रूप से निभाने के लिए पुजारियों को दो ग्रुपों में बांटा गया है। प्रत्येक ग्रुप में सात पुजारी हैं। एक ग्रुप सुबह की पूजा-अर्चना की जिम्मेदारी निभाएगा, जबकि दूसरा ग्रुप दोपहर से शाम तक के समय में रामलला की सेवा करेगा। इसके अतिरिक्त, इन पुजारियों को कुबेर टीला स्थित शिवालय और हनुमान मंदिर में भी पूजा करनी होती है।
पहले से ही प्रतिबंधित हैं मल्टीमीडिया फोन: ड्रेस कोड लागू करने से पहले, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने पुजारियों के लिए मल्टीमीडिया फोन का इस्तेमाल प्रतिबंधित कर दिया था। यह कदम भी मंदिर की गरिमा बनाए रखने और पूजा-अर्चना के दौरान किसी भी प्रकार की बाधा को रोकने के लिए उठाया गया था।
भक्तों की प्रतिक्रिया: भक्तों ने इस नए कदम का स्वागत किया है। उनका मानना है कि यह बदलाव न केवल मंदिर की परंपरा को संरक्षित करेगा, बल्कि पुजारियों की एकरूपता से श्रद्धालुओं को भी एक खास अनुभव मिलेगा। भक्तों ने ड्रेस कोड को रामलला की पूजा को और अधिक पवित्र और गरिमापूर्ण बनाने का एक प्रयास बताया।
ड्रेस कोड की परंपरा: ड्रेस कोड लागू करना भारतीय मंदिरों में एक सामान्य परंपरा है। यह न केवल धार्मिक अनुशासन का प्रतीक है, बल्कि यह मंदिरों के भीतर एक समर्पित माहौल को भी बनाए रखता है। राम मंदिर के पुजारियों के लिए पीतांबरी वस्त्र चुनने का उद्देश्य भगवान राम की भव्यता और उनकी सेवा में संलग्न पुजारियों की पवित्रता को प्रदर्शित करना है।
आगे की योजनाएं: ट्रस्ट ने यह भी संकेत दिया है कि भविष्य में भक्तों के लिए भी कुछ नियम और दिशानिर्देश जारी किए जा सकते हैं, ताकि रामलला के दर्शन को और भी सुव्यवस्थित बनाया जा सके। इसके अतिरिक्त, मंदिर प्रशासन पूजा-अर्चना से जुड़ी अन्य व्यवस्थाओं को भी अपग्रेड करने की योजना बना रहा है।
अयोध्या के राम मंदिर में लागू किया गया ड्रेस कोड एक महत्वपूर्ण पहल है, जो पुजारियों की एकरूपता और मंदिर की गरिमा को बढ़ाने में मदद करेगा। यह कदम न केवल धार्मिक अनुशासन को मजबूत करेगा, बल्कि श्रद्धालुओं को भी एक दिव्य और संगठित अनुभव प्रदान करेगा।