कोटकपूरा गोलीकांड में चार्जशीट पेश: मुख्य आरोपी बनाए सुखबीर-पूर्व DGP जाएंगे हाईकोर्ट, केस क्वेशिंग…(The News Air)

चंडीगढ़ (The News Air) पंजाब के कोटकपूरा गोलीकांड मामले के आरोपी पूर्व डिप्टी CM सुखबीर सिंह बादल, पूर्व DGP सुमेध सिंह सैनी और पूर्व CM प्रकाश सिंह बादल अब हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। इनके अलावा मामले के अन्य आरोपी पुलिस अधिकारी भी हाईकोर्ट पहुंच सकते हैं। उनके पास फिलहाल केस प्रोसिडिंग की क्वेशिंग (रद्द) के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाने का रास्ता बचा है।

सुखबीर सिंह बादल, सुमेध सिंह सैनी और प्रकाश सिंह बादल हाईकोर्ट में केस क्वेशिंग के लिए CRPC-482 के तहत याचिका लगा सकते हैं, लेकिन इससे पहले उन्हें चालान की कॉपी हासिल करनी होगी, ताकि स्पष्ट हो सके कि मामले में उनकी क्या-क्या भूमिका दिखाई गई है। आरोपियों के पास फिलहाल यही एकमात्र विकल्प है। आरोपी सुखबीर बादल और पूर्व DGP सुमेध सिंह सैनी को मामले का मास्टरमाइंड बताया गया है। जबकि तत्कालीन CM प्रकाश सिंह बादल पर साजिश में मदद का आरोप है।

आरोपी पुलिस अफसर ले सकते हैं CRPC-197 का ग्राउंड

मामले के संबंध में एक सीनियर एडवोकेट ने बताया कि जिन पुलिस अफसरों के खिलाफ चालान पेश किया गया है, वह भी CRPC-197 का ग्राउंड ले सकते हैं, लेकिन यदि SIT ने आरोपी पुलिस अफसरों (लोक सेवक) के खिलाफ गृह सचिव से चालान पेश करने से पहले केस चलाने की मंजूरी ली होगी तो इसका आधार खत्म हो जाता है।

आरोप तय होने पर खत्म होगा केस क्वेशिंग का विकल्प

मामले में यदि तत्कालीन CM प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर सिंह बादल और सुमेध सिंह सैनी के खिलाफ आरोप तय कर दिए जाते हैं तो इनके पास हाईकोर्ट में केस क्वेशिंग का विकल्प लगभग खत्म हो जाएगा। क्योंकि आरोप तय होने के बाद आरोपियों को ऐसे अधिकांश मामलों में केस ट्रायल का सामना करना ही पड़ता है।

पुलिस अफसरों पर यह हैं आरोप

कुल 17 भागों की इस चार्जशीट में IG परमराज सिंह उमरानंगल, तत्कालीन DIG फिरोजपुर अमर सिंह चाहल और SSP मोगा चरनजीत सिंह शर्मा पर साजिश को अंजाम देने का आरोप है। इनके अलावा तत्कालीन SSP फरदीकोट सुखमंदर सिंह मान व SHO कोटकपूरा गुरदीप सिंह पर साजिश को अंजाम देने के अलावा तथ्यों को छिपाने और तोड़ने-मरोड़ने के आरोप हैं। गौरतलब है कि SIT ने फिलहाल साल 2018 की एफआईआर में ही चार्जशीट दाखिल की है।

यह कहती है CRPC-482

यदि कोई झूठी FIR लिखवा देता है और पुलिस अरेस्ट कर सकती है तो सीआरपीसी 482 के अनुसार केस रद्द (क्वेश) करवाया जा सकता है। वकील द्वारा एक एप्लिकेशन लगवा कर निष्पक्ष जांच की मांग की जा सकती है और इससे पहले अरेस्ट वारंट भी रद्द हो जाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने 31 जुलाई 2022 को गुजरात हाईकोर्ट के एक केस के संबंध में कहा है कि हाईकोर्ट के पास CRPC की धारा-482 के तहत निहित शक्ति है कि वह उस निर्णय/आदेश को वापस ले सकता है, जो इससे प्रभावित व्यक्ति को सुने बिना पारित किया गया हो।

यह है CRPC-197 की परिभाषा

यदि पुलिस अधिकारी (लोक सेवक) अपने आधिकारिक/सार्वजनिक कर्तव्य के निर्वहन में अपने अधिकार से कुछ हद आगे तक बढ़ते हैं तो ऐसे में उनके खिलाफ केस चलाने के लिए CRPC की धारा-197 के तहत मंजूरी की आवश्यकता होती है।

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