Malegaon Blast Case : मालेगांव ब्लास्ट केस (Malegaon Blast Case) में हाल ही में विशेष एनआईए (NIA) कोर्ट द्वारा बरी की गईं भारतीय जनता पार्टी (BJP) की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर (Pragya Singh Thakur) ने बड़ा और सनसनीखेज दावा किया है। उन्होंने कहा है कि जांच एजेंसियों ने उन पर दबाव बनाया था कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi), उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath), राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) और अन्य वरिष्ठ नेताओं के नाम लें।
एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि उन्हें जबरन आरएसएस (RSS) से जुड़े चार लोगों के नाम लेने के लिए प्रताड़ित किया गया। उन्होंने बताया कि उनसे राम माधव, इंद्रेश कुमार समेत कई नेताओं के नाम लेने को कहा गया। प्रज्ञा ने कहा, “मेरे फेफड़े खराब हो गए, मुझे अस्पताल में अवैध रूप से रखा गया और मानसिक यातना दी गई। मुझे झूठ बोलने के लिए मजबूर किया गया, लेकिन मैंने किसी का नाम नहीं लिया। मैं गुजरात (Gujarat) में रहती थी, इसलिए मुझसे पीएम मोदी का नाम लेने को कहा गया, पर मैंने इंकार कर दिया।”
इससे पहले, एंटी टेररिस्ट स्क्वाड (ATS) के पूर्व सदस्य महबूब मुजावर (Mehboob Mujawar) ने भी इसी तरह के दावे किए थे। उन्होंने बताया था कि टीम के वरिष्ठ अधिकारियों ने उनसे मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। मुजावर ने कहा कि जांच को एक खास दिशा में मोड़ने और भगवा आतंकवाद की छवि बनाने की कोशिश हो रही थी।
गौरतलब है कि 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र (Maharashtra) के मालेगांव (Malegaon) शहर में हुए विस्फोट में छह लोगों की मौत हुई थी। लगभग 17 सालों की कानूनी प्रक्रिया के बाद मुंबई (Mumbai) की एनआईए कोर्ट ने प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित (Lt. Col. Prasad Shrikant Purohit) और पांच अन्य आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।
इस निर्णय के बाद प्रज्ञा ठाकुर और अन्य बरी हुए आरोपियों ने कांग्रेस (Congress) सरकार पर इस मामले को राजनीतिक साजिश के तहत घसीटने का आरोप लगाया है।






