Caste Census को लेकर देश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है, खासकर बिहार (Bihar) में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने केंद्र सरकार की ओर से अगली जनगणना के साथ जातीय जनगणना (Caste Census) कराने का ऐलान किया है। यह निर्णय उस वक्त आया है जब कांग्रेस (Congress), राजद (RJD), समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और डीएमके (DMK) जैसे दल लगातार जाति आधारित जनगणना की मांग कर रहे थे। अब मोदी सरकार ने यह कदम उठाकर विपक्षी INDIA गठबंधन से उनका बड़ा चुनावी मुद्दा ही छीन लिया है।
विपक्ष लंबे समय से ‘जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी’ का नारा दे रहा था, जिसमें राहुल गांधी (Rahul Gandhi), अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) प्रमुख चेहरा बने हुए थे। कर्नाटक (Karnataka) में कांग्रेस सरकार द्वारा कराई गई रिपोर्ट को सदन में पेश न किए जाने से विवाद हुआ था, लेकिन केंद्र की भाजपा सरकार ने देशव्यापी जातीय गणना की घोषणा कर एक लंबी लकीर खींच दी है।
बिहार में भाजपा पहले ही महागठबंधन सरकार की जाति गणना का समर्थन कर चुकी है। वहां अत्यंत पिछड़ा वर्ग (Extremely Backward Classes) की जनसंख्या 4.70 करोड़ से अधिक और पिछड़ा वर्ग (Backward Classes) की जनसंख्या 3.54 करोड़ से अधिक है। कुल मिलाकर पिछड़ी जातियों की आबादी 63.14% है। वहीं अनुसूचित जाति (Scheduled Caste) की संख्या 2.56 करोड़ और अनारक्षित वर्ग (Unreserved Category) की जनसंख्या 2.02 करोड़ बताई गई है।
भाजपा के इस फैसले से बिहार चुनाव (Bihar Elections) में त्वरित लाभ मिलने की संभावना जताई जा रही है। इसके बाद पश्चिम बंगाल (West Bengal) और तमिलनाडु (Tamil Nadu) जैसे राज्यों में भी पार्टी इसे भुनाने की कोशिश कर सकती है। इस कदम ने विपक्षी दलों के संविधान और अंबेडकर नैरेटिव को भी कमजोर कर दिया है। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में PDA (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) के एजेंडे पर सियासत कर रहे अखिलेश यादव को भी इससे बड़ा झटका लग सकता है।
इस बीच केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने कैबिनेट मीटिंग के बाद प्रेस को बताया कि 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) ने मंत्रियों का समूह बनाकर इस पर विचार की बात कही थी, लेकिन 2011 में केवल सामाजिक-आर्थिक सर्वे (Socio-Economic Survey) हुआ और उसकी रिपोर्ट भी सार्वजनिक नहीं की गई। अब अनुच्छेद 246 (Article 246) के अंतर्गत जाति गणना कराना एक संवैधानिक प्रक्रिया बनती है, जिसे भाजपा सरकार आगे बढ़ा रही है।
इस कदम को भाजपा की तरफ से राजनीतिक स्ट्राइक माना जा रहा है, जिसने कांग्रेस को उसी के मुद्दे पर घेरने की कोशिश की है। जबकि कांग्रेस इसे अपनी जीत करार दे रही है। बहरहाल, जातीय जनगणना के ऐलान ने भारत की चुनावी राजनीति में नया समीकरण खड़ा कर दिया है।