Periods Leave: क्या भारत में जॉब करने वाली महिलाओं को ‘पीरियड्स लीव’ मिलने का ‘हक़’? SC ने दिया ये जवाब (The News Air)

नई दिल्ली (The News Air). जहां एक तरफ आज देश भर में महिलाओं और छात्रों की ‘पीरियड्स’ लीव (Periods Leave) कि मांग है। वहीं आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने देशभर की सभी कामकाजी महिलाओं और छात्रों को पीरियड्स लीव (Menstrual Pain Leave) दिए जाने की मांग वाली जनहित याचिका पर विचार करने से फ़िलहाल साफ़ इनकार कर दिया है। 

दरअसल अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, यह एक पॉलिसी मैटर है, इसलिए याचिकाकर्ता को केंद्र सरकार के पास जाना होगा और अपनी मांग के साथ ज्ञापन देना होगा।

जानकारी दें कि सुप्रीम कोर्ट में यह जनहित याचिका दिल्ली के ही रहने वाले शैलेंद्र मणि त्रिपाठी की ओर से दायर की गई थी। उनके द्वारा दायर की गई याचिका में मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 की धारा 14 के अनुपालन के लिए केंद्र और सभी राज्यों को निर्देश देने की भी मांग रखी गई थी।

बता दें  कि, भारत में पीरियड लीव की शुरुआत बिहार से हुई थी। दरअसल साल 1992 में लालू प्रसाद की सरकार महिलाओं के लिए स्पेशल लीव पॉलिसी लेकर आई। इसके तहत महिलाओं को 2 दिन की पेड पीरियड लीव मिलती है। इसके लिए महिलाओं ने बाकायदा 32 दिन का एक लंबा आंदोलन चलाया था, जिसके बाद उन्हें यह हक मिला।

वहीं बिहार में नियम बनने के 7 साल बाद 1997 में मुंबई स्थित मीडिया कंपनी कल्चर मशीन ने 1 दिन की छुट्टी देने की शुरुआत की थी। इसके बाद साल 2020 में फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो ने पीरियड लीव देने का ऐलान किया था।

हाल-फिलहाल भारत में 12 कंपनी ही पीरियड लीव दे रही हैं जिसमें बायजू, स्विगी, मलयालम मीडिया कंपनी मातृभूमि, बैजू, वेट एंड ड्राई, मैगज्टर जैसी कंपनी शामिल हैं। वहीं केरल सरकार ने भी इसी साल जनवरी में छात्राओं को ध्यान में रखकर हर यूनिवर्सिटी में पीरियड और मैटरनिटी लीव देने का ऐलान किया है। अब केरल की छात्राओं को पीरियड के दौरान 2 दिन की छुट्टी मिलती है।

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