पटना, 29 दिसंबर (The News Air) पटना में रविवार (29 दिसंबर) को गांधी मैदान पर BPSC अभ्यर्थियों का विरोध प्रदर्शन बेकाबू हो गया। जिला प्रशासन ने प्रदर्शन की इजाजत नहीं दी थी, इसके बावजूद हजारों अभ्यर्थी प्रशांत किशोर के नेतृत्व में गांधी मैदान में जमा हुए। शांतिपूर्ण प्रदर्शन का दावा करते हुए छात्र मुख्यमंत्री आवास की ओर बढ़ने लगे।
सीएम हाउस तक मार्च और बैरिकेडिंग तोड़ी : प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों का लक्ष्य मुख्यमंत्री आवास तक मार्च निकालना था। दोपहर से ही गांधी मैदान पुलिस छावनी में तब्दील हो गया था। शाम होते-होते प्रदर्शनकारी जेपी गोलंबर होते हुए सीएम हाउस की ओर बढ़ने लगे। जब पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, तो छात्रों ने बैरिकेडिंग तोड़ दी और सड़क जाम कर दिया।
लाठीचार्ज और हंगामे की स्थिति : पुलिस ने स्थिति को काबू में लाने के लिए लाठीचार्ज किया। लाठीचार्ज के बाद प्रदर्शनकारी और आक्रोशित हो गए। जेपी गोलंबर से लेकर डाकबंगला चौराहे तक का क्षेत्र हंगामे की चपेट में आ गया। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर जवाबी नारेबाजी की और रास्ते में गाड़ियों को रोकना शुरू कर दिया।
प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी गई थी : जिला प्रशासन ने पहले ही प्रदर्शन पर रोक लगाते हुए शनिवार को पत्र जारी किया था। इसके बावजूद छात्रों ने गांधी प्रतिमा के पास प्रदर्शन किया। प्रशांत किशोर ने भी जिला प्रशासन से शांतिपूर्ण छात्र संसद के लिए अनुमति मांगी थी, जो अस्वीकार कर दी गई थी।
स्थिति क्यों बिगड़ी?
- प्रशासन ने प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी थी।
- छात्रों ने बैरिकेडिंग तोड़कर सड़क जाम किया।
- बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों के सीएम हाउस की ओर बढ़ने से सुरक्षा खतरा बढ़ा।
- पुलिस द्वारा लाठीचार्ज के बाद प्रदर्शनकारी उग्र हो गए।
प्रशांत किशोर की भूमिका : प्रशांत किशोर ने प्रदर्शन में छात्रों का नेतृत्व किया। उनका कहना था कि यह प्रदर्शन छात्रों के अधिकारों के लिए है और शांतिपूर्ण तरीके से किया जाएगा। हालांकि, प्रशासन ने इसे अवैध करार दिया।
प्रशासन का रुख : जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया कि प्रदर्शन की इजाजत न देने का फैसला जनता की सुरक्षा और यातायात व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए लिया गया था। डाकबंगला चौराहे और आसपास के इलाकों में जाम की स्थिति बनने का खतरा था।