Panjab University Senate Syndicate Controversy : पंजाब यूनिवर्सिटी सेनेट-सिंडिकेट विवाद में एक बड़ा खुलासा हुआ है। यूनिवर्सिटी के पूर्व सेनेटर प्रोफेसर जगवंत सिंह ने दावा किया है कि इस पूरे विवाद की जड़ में पूर्व वीसी प्रोफेसर अरुण ग्रोवर की ‘निजी खुन्नस’ है। उन्होंने आरोप लगाया कि जब सिंडिकेट ने उनकी पत्नी की डेपुटेशन पर अड़ंगा लगाया, तो वीसी ने इस चुनी हुई लोकतांत्रिक संस्था को ही खत्म करने की ठान ली, जिसमें भाजपा नेता सतपाल जैन ने ‘बड़े सूत्रधार’ की भूमिका निभाई।
पंजाब यूनिवर्सिटी (PU) को बचाने के लिए छात्रों का संघर्ष (‘पंजाब यूनिवर्सिटी बचाओ मोर्चा’) जारी है। हालांकि विवादित नोटिफिकेशन वापस ले लिए गए हैं, लेकिन कई सालों से रुकी हुई सेनेट चुनावों को बहाल करने की मुख्य मांग अभी भी अधूरी है।
इस पूरे विवाद के पीछे की कहानी अब खुलकर सामने आ रही है। यूनिवर्सिटी के पूर्व सेनेटर और इस मामले में एक याचिकाकर्ता प्रोफेसर जगवंत सिंह ने एक इंटरव्यू में इस पूरी साजिश की परतें खोली हैं।
‘कैसे शुरू हुआ पूरा विवाद?’
प्रोफेसर जगवंत सिंह के मुताबिक, इस विवाद के बीज 2012-13 में ही पड़ गए थे, जब वह खुद सिंडिकेट के सदस्य थे। उस समय तत्कालीन वाइस-चांसलर प्रोफेसर अरुण ग्रोवर अपनी पत्नी को मुंबई से पंजाब यूनिवर्सिटी में तीन साल के लिए डेपुटेशन पर लाना चाहते थे।
उस वक्त यूनिवर्सिटी में डेपुटेशन की कोई नीति नहीं थी। प्रोफेसर जगवंत ने बताया कि उन्होंने खुद वीसी की पत्नी को लाने के लिए मेरिट के आधार पर समर्थन किया था, ताकि वीसी कैंपस में रहें और यूनिवर्सिटी को फायदा हो।
‘VC की ‘निजी खुन्नस’ बनी वजह’
लेकिन, सिंडिकेट के तत्कालीन प्रभावशाली गुट ने इस प्रस्ताव का विरोध किया और फैसला वीसी के खिलाफ गया। हालांकि बाद में सेनेट के जरिए उनकी पत्नी को ले आया गया, लेकिन प्रोफेसर जगवंत का दावा है कि इस “टकराव” और “निजी चोट” (Personal Hurt) के कारण प्रोफेसर ग्रोवर के मन में सेनेट-सिंडिकेट के प्रति “नफरत” पैदा हो गई।
प्रोफेसर जगवंत ने आरोप लगाया कि वीसी ग्रोवर ने तभी ठान लिया था कि वह इन लोकतांत्रिक संस्थाओं को रहने ही नहीं देंगे।
‘सतपाल जैन बने ‘बड़े सूत्रधार”
प्रोफेसर ग्रोवर की इस मंशा को नई शिक्षा नीति और ‘गवर्नेंस रिफॉर्म’ की बात कर रही केंद्र सरकार का साथ मिला। प्रोफेसर जगवंत ने आरोप लगाया कि इस पूरी साजिश के “बड़े सूत्रधार” (Main Architect) भाजपा नेता और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सत्यपाल जैन बने।
जैन, जो खुद 44 सालों से सेनेट से जुड़े हैं, रिफॉर्म कमेटी में भी थे। आरोप है कि उन्होंने ही इस पूरे बदलाव की रूपरेखा तैयार की, जिसका मकसद वीसी को ज्यादा ताकतवर बनाना और सेनेट-सिंडिकेट जैसी लोकतांत्रिक संस्थाओं को खत्म करना था।
‘कानूनी तौर पर गलत थे नोटिफिकेशन’
प्रोफेसर जगवंत ने खुलासा किया कि सरकार को अपने नोटिफिकेशन इसलिए वापस लेने पड़े क्योंकि वे गैर-कानूनी थे। उन्होंने ‘सहजधारी सिख’ मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की फुल बेंच के फैसले का हवाला दिया।
उस फैसले में साफ कहा गया था कि 1966 के रिऑर्गनाइजेशन एक्ट की धारा 72 के तहत केंद्र सरकार एग्जीक्यूटिव आर्डर से कोई भी ढांचागत बदलाव (Structural Change) नहीं कर सकती। इसके लिए संसद में एक्ट में संशोधन जरूरी है। यह जानते हुए भी “कानून के माहिरों” ने यह गैर-कानूनी काम किया।
‘हरियाणा का कोई हक नहीं’
इस मुद्दे को पंजाब बनाम हरियाणा बनाए जाने की कोशिशों पर भी प्रोफेसर जगवंत ने स्थिति साफ की। उन्होंने कहा कि 1966 के एक्ट के मुताबिक, हरियाणा का PU पर दावा केवल तब तक था जब तक वे अपने अलग संस्थान (जैसे कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी) नहीं बना लेते। अपना प्रबंध करने के बाद, हरियाणा की वापसी का कोई कानूनी रास्ता नहीं है।
‘अब 18 नवंबर पर टिकी निगाहें’
छात्रों का प्रदर्शन सेनेट चुनाव का शेड्यूल जारी करने की मांग को लेकर जारी है। प्रोफेसर जगवंत ने उम्मीद जताई है कि 18 नवंबर (सोमवार) को सूरजकुंड में होने वाली इंटर-स्टेट काउंसिल की मीटिंग में कोई हल निकल सकता है।
उन्होंने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री (भगवंत मान) को यह मुद्दा वहां उठाना चाहिए और हो सकता है कि गृह मंत्री अमित शाह इसका कोई समाधान दें।
प्रोफेसर जगवंत ने चेतावनी दी कि अगर इस बैठक में कोई हल नहीं निकलता है, तो यह माना जाएगा कि “बीजेपी पंजाब में कोई बड़ी शरारत करने की तैयारी कर रही है।”
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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प्रोफेसर जगवंत सिंह ने PU विवाद के लिए पूर्व VC अरुण ग्रोवर की ‘निजी खुन्नस’ को जिम्मेदार ठहराया।
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आरोप है कि 2013 में पत्नी की डेपुटेशन रुकने पर VC ने सेनेट-सिंडिकेट को खत्म करने की ठानी।
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बीजेपी नेता सत्यपाल जैन को इस पूरी योजना का “बड़ा सूत्रधार” बताया गया।
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सेनेट बदलाव के नोटिफिकेशन गैर-कानूनी थे, इसलिए सरकार को हाईकोर्ट के पुराने फैसले के कारण पीछे हटना पड़ा।
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18 नवंबर को सूरजकुंड में होने वाली इंटर-स्टेट काउंसिल की बैठक पर अब सबकी निगाहें टिकी हैं।






