Pakistan Hindu Temples: पाकिस्तान में हिंदू समुदाय की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। यहां अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों पर लगातार हमले होते रहते हैं। हालांकि, अब एक चौंकाने वाली खबर आई है। पाकिस्तान सरकार हिंदू मंदिरों और गुरुद्वारों के जीर्णोद्धार के लिए 1 अरब रुपये खर्च करने जा रही है। इसके तहत मंदिरों और गुरुद्वारों के सौंदर्यीकरण के लिए एक मास्टर प्लान तैयार किया गया है।
लेकिन क्या यह सच में अल्पसंख्यकों की स्थिति सुधारने की कोशिश है या सिर्फ दिखावा? क्योंकि पाकिस्तान में आजादी के बाद से लगातार हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया गया है। कई मंदिरों को या तो तोड़ दिया गया या फिर मदरसों, होटलों और रेस्टोरेंट में बदल दिया गया। अब बचे हुए मंदिरों की संख्या बेहद कम है।
आजादी के बाद पाकिस्तान में थे 428 मंदिर, अब सिर्फ 22 बचे
1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद पाकिस्तान में करीब 428 हिंदू मंदिर थे। लेकिन 1990 तक इनमें से 408 मंदिरों को या तो तोड़ दिया गया या फिर रेस्टोरेंट, होटल और मदरसों में बदल दिया गया। अब पूरे पाकिस्तान में सिर्फ 22 मंदिर ही बचे हैं।
इनमें सबसे ज्यादा 11 मंदिर सिंध (Sindh) में हैं, जबकि पंजाब (Punjab) और खैबर पख्तूनख्वा (Khyber Pakhtunkhwa) में 4-4 मंदिर बचे हैं। बलूचिस्तान (Balochistan) में सिर्फ 3 मंदिर ही मौजूद हैं।
कई मंदिरों को बदल दिया गया दूसरे संस्थानों में
स्थानीय लोगों के मुताबिक, पाकिस्तान में कई ऐतिहासिक मंदिरों को पूरी तरह मिटा दिया गया है। उदाहरण के लिए:
- कालीबाड़ी मंदिर (Kalibari Temple), डेरा इस्माइल खान – यहां एक ताजमहल होटल बना दिया गया।
- बन्नू जिले (Bannu District) का हिंदू मंदिर – इसे एक मिठाई की दुकान में तब्दील कर दिया गया।
- कोटाह शिव मंदिर (Kotah Shiv Temple) – अब इस मंदिर में एक स्कूल चलाया जा रहा है।
पाकिस्तान सरकार का नया मास्टर प्लान
अब पाकिस्तान सरकार मंदिरों और गुरुद्वारों के जीर्णोद्धार के लिए 1 अरब रुपये का मास्टर प्लान लेकर आई है। इसमें मंदिरों के सौंदर्यीकरण का दावा किया जा रहा है। हालांकि, धार्मिक अल्पसंख्यक संगठनों का कहना है कि यह सिर्फ दिखावा है। क्योंकि जिस देश में मंदिरों को तोड़ा जाता रहा हो, वहां इस तरह के निवेश का मकसद संदेह के घेरे में है।
पाकिस्तान में हिंदू मंदिरों की स्थिति बेहद चिंताजनक है। जहां कभी 428 मंदिर हुआ करते थे, अब सिर्फ 22 ही बचे हैं। अधिकतर मंदिरों को या तो तोड़ दिया गया या किसी और काम में इस्तेमाल किया जा रहा है। सरकार का नया मास्टर प्लान कितना कारगर होगा, यह देखने वाली बात होगी।