Online Medicine Safety : आज के दौर में जब Quick Commerce Apps पर राशन से लेकर सुई तक सब कुछ मिनटों में मिल रहा है, वहीं अब इन प्लेटफॉर्म्स पर एक ऐसी सुविधा शुरू हुई है जिसने डॉक्टरों और जानकारों की नींद उड़ा दी है। बिना सही जांच और डॉक्टर से मिले बिना, केवल फोन पर बात करके धड़ल्ले से Prescription वाली दवाइयां बेची जा रही हैं, जो आपकी सेहत के साथ एक बड़ा खिलवाड़ हो सकता है।
सुविधा या जानलेवा लापरवाही?
आजकल घर का राशन खत्म होते ही हम तुरंत मोबाइल उठाते हैं और App पर Order कर देते हैं। 10-12 मिनट में सामान घर के दरवाजे पर होता है। लेकिन, अब बात राशन तक सीमित नहीं रही। इन ऐप्स पर अब वो दवाइयां भी आसानी से मिल रही हैं, जो कानूनन बिना डॉक्टर के Prescription (पर्चे) के नहीं मिलनी चाहिए। सुनने में यह जितना सुविधाजनक लगता है, असल में यह उतना ही खतरनाक है। सोशल मीडिया पर एक वायरल पोस्ट ने इस पूरी व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है।
वायरल पोस्ट ने खड़े किए गंभीर सवाल
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर नेहा मूलचंदानी नाम की एक यूजर ने 8 दिसंबर को अपना अनुभव साझा किया, जिसने सबको चौंका दिया। नेहा ने बताया कि उन्होंने Blinkit से कुछ दवाएं ऑर्डर करने की कोशिश की। ऐप ने उनसे Prescription अपलोड करने को कहा। चूंकि नेहा के पास पर्चा नहीं था, तो ऐप ने उन्हें तुरंत एक General Physician से कनेक्ट कर दिया। कुछ ही मिनटों में डॉक्टर का फोन आया और बिना मरीज को देखे, बिना कोई टेस्ट किए, उन्होंने नेहा को दवाएं सजेस्ट कर दीं। हैरानी की बात यह थी कि इनमें एक Antibiotic और एक Antifungal Cream शामिल थी। डॉक्टर ने ऐप पर ही डिजिटल पर्चा भी भेज दिया और दवा ऑर्डर हो गई।
डॉक्टरों ने कहा- यह ‘डिजिटल झोलाछाप’ इलाज है
इस पोस्ट के वायरल होते ही देश के नामी डॉक्टरों ने इस प्रक्रिया पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। सोशल मीडिया पर ‘द लिवर डॉक’ के नाम से मशहूर डॉ. सिरियाक एबी फिलिप्स ने इसे बेहद बेवकूफी भरा और खतरनाक बताया। उन्होंने साफ शब्दों में लिखा कि फोन पर फंगल इन्फेक्शन को Diagnose करना और वायरल कोल्ड के लिए Antibiotics देना मेडिकल साइंस का मजाक उड़ाना है। वहीं, बेंगलुरु की डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. दिव्या शर्मा ने इसे “क्वैक्री” यानी झोलाछाप इलाज का डिजिटलीकरण करार दिया। उन्होंने चिंता जताई कि स्टेरॉइड वाली क्रीम के गलत इस्तेमाल से मरीज ऐसी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं, जिन पर अब दवाइयां भी असर नहीं कर रही हैं।
पत्रकारों की पड़ताल में सामने आया सच
मामले की गंभीरता को देखते हुए इंडिया टुडे के पत्रकारों ने भी इस Service की पड़ताल की। उन्होंने भी बिना किसी पर्चे के एक ऐसी दवा ऑर्डर की जो बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं मिलनी चाहिए। App ने उन्हें डॉ. एमन नाम के एक शख्स से कनेक्ट किया। बिना किसी सवाल-जवाब या जांच के, डॉ. एमन ने दवा को Approve कर दिया। जब पत्रकार ने डॉक्टर से उनकी Qualifications और लोकेशन पूछी, तो उन्होंने जवाब देने से ही इनकार कर दिया। यह गोपनीयता इस पूरे सिस्टम पर बड़े सवाल खड़े करती है।
एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस का मंडराता खतरा
पारस हेल्थ, गुरुग्राम के इंटरनल मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ. आर.आर. दत्ता ने इस ट्रेंड को भविष्य के लिए खतरनाक बताया है। उनका कहना है कि Online सलाह लेना गलत नहीं है, लेकिन अगर डॉक्टर के पास मरीज की Medical History या एलर्जी की जानकारी नहीं है, तो यह जानलेवा हो सकता है। सबसे बड़ा खतरा Antibiotic Resistance का है। जब हम बिना जरूरत के एंटीबायोटिक्स खाते हैं, तो हमारे शरीर के बैक्टीरिया इन दवाओं के खिलाफ लड़ने की ताकत बना लेते हैं। नतीजा यह होता है कि जब सच में जरूरत होती है, तो ये दवाएं असर ही नहीं करतीं। ‘द लैंसेट’ जर्नल की एक स्टडी बताती है कि हर साल 50 लाख लोग सिर्फ इसलिए जान गंवा देते हैं क्योंकि उन पर दवाइयों ने काम करना बंद कर दिया है।
क्या है पूरा मामला (पृष्ठभूमि)
कोविड-19 महामारी के दौरान Tele-consultation (फोन या वीडियो पर डॉक्टर से सलाह) का चलन तेजी से बढ़ा था, जो दूरदराज के लोगों के लिए वरदान साबित हुआ। लेकिन, वह सुविधा डॉक्टर की राय लेने के लिए थी, न कि बिना जांच के गंभीर बीमारियों का इलाज करने के लिए। मौजूदा विवाद Blinkit जैसी ऐप्स द्वारा इस सुविधा के व्यावसायीकरण और सुरक्षा मानकों की अनदेखी को लेकर है, जहां डॉक्टर और मरीज के बीच का संवेदनशील रिश्ता महज एक ‘क्विक डिलीवरी’ प्रोसेस बनकर रह गया है।
मुख्य बातें (Key Points)
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Viral Post: नेहा मूलचंदानी ने खुलासा किया कि कैसे बिना जांच के उन्हें Antibiotics का पर्चा मिल गया।
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Doctors’ Warning: विशेषज्ञों ने इसे “डिजिटल झोलाछाप” इलाज बताया और स्टेरॉइड्स के गलत इस्तेमाल पर चिंता जताई।
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Investigation: पत्रकारों की जांच में डॉक्टर अपनी योग्यता और पहचान बताने में नाकाम रहे।
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Health Risk: डॉ. आर.आर. दत्ता के अनुसार, इससे Antibiotic Resistance का खतरा बढ़ता है, जिससे हर साल लाखों मौतें होती हैं।






