क्या थी पूरी घटना, पहले जान लीजिए : 17 नवंबर, 2023 को एक एयरबस ए321 (वीटी-आईयूओ) को हैदराबाद के लिए 6ई-2113 और रायपुर के लिए 6ई-2206 के रूप में ए320 (वीटी-आईएसओ) के रूप में संचालित किया जाना था। 6ई-2113 को रनवे 27 से उड़ान की मंजूरी मिली और दोपहर 12.31 बजे यह डिपार्ट कर गया। पता चला कि इसने (ATC) के साथ संपर्क बनाया। ATC ने विमान को 8,000 फीट तक चढ़ने के लिए मंजूरी दे दी। हालांकि, 6ई-2113 को रनवे 29R के टेक-ऑफ पाथ के बजाय बाईं ओर मुड़ गया। उसी समय, 6E-2206 को मंजूरी मिल गई और रनवे 29R से 4,000 फीट की चढ़ाई के लिए वह विमान भी रवाना हो गया। जब रायपुर जाने वाला विमान (6E-2206) हवा में यातायात नियंत्रण (एटीसी) से बात कर रहा था, तब नियंत्रक ने इसे 4,000 फीट की ऊंचाई पर चढ़ने का निर्देश दिया।
आसमान में कैसे होता है ट्रैफिक कंट्रोल, पूरी बात समझिए : आपको सरल भाषा में पूरी बात समझाते हैं। एक एयर ट्रैफिक कंट्रोलर होता है जो विमान रडार के जरिए आसमान के ट्रैफिक पर नजर रखता है। एयर ट्रैफिक कंट्रोलर को अगर ऊंचे आसमान में कोई भी गड़बड़ी लगती है तो वह तुरंत पायलय को सूचि करता है। इसके बाद एयर ट्रैफिक कंट्रोल के जरिए सिक्योरिटी फोर्सेस को भी अलर्ट भेजा जाता है। एयर ट्रैफिक कंट्रोलर एक ब्रिज की तरह काम करता है। यह ब्रिज हवाईअड्डे के कर्मचारियों और पायलट के बीच बनती है। एयर ट्रैफिक कंट्रोलर हवाई अड्डे के स्टाफ को भी अलर्ट करता है।
अब मान लीजिए दो विमान आसमान में उड़ रहे हैं तो इन्हें आपस में टकराने से बचाने की जिम्मेदारी भी एटीसी यानी एयर ट्रैफिक कंट्रोलर की ही होती है। ATC में एंटीना, डिप्लेक्सर, फेज लॉक लूप रिसीवर और प्रोसेसिंग लगा होता है। इन्हीं से छोटी-छोटी वेव निकलती हैं। यही वेव प्लेन से टकराती हैं। वेव टकराने के बाद वापस ट्रैफिक कंट्रोल के पास जाती हैं। इस प्रक्रिया से यह पता चलता है कि आसमान में प्लेन सही दिशा में उड़ रहा है अथवा नहीं। जैसे ही प्लेन उल्टी दिशा या गलत दिशा की तरफ जाता है, तुरंत एयर ट्रैफिक कंट्रोल को सूचित किया जाता है। ऐसा कुछ इंडिगो के दो विमानों के साथ भी हुआ।