New Delhi: देश की समुद्री सुरक्षा को लेकर क बड़ा कदम उठाया गया है। सुरक्षा कारणों को देखते हुए देश को जल्द ही एक नया वॉरलार्ड् मिलने वाला है। बता दें कि कोलकाता में स्थित गार्डेन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) द्वारा एक ऑटोनॉमस अंडरवाटर व्हीकल (Autonomous Underwater Vehicle – AUV) बनाया गया है। यह व्हीकल पानी के अंदर खुद से चलने वाली रोबोटिक पनडुब्बी है।
GRSE ने ट्विट कर बताया कि, स्वदेशी ऑटोनॉमस अंडरवाटर व्हीकल (AUV) को बंगाल की खाड़ी में उतारा जाएगा। इसे कई अत्याधुनिक तकनीकों से लैस किया गया है। ताकि समुद्र में दुशमनों द्वारा रची जा रही किसी भी तरह की साजिश का पता लगया जा सके। अगर AUV समुद्र में निगरानी के लिए उतरती है तो दुश्मन की नापाक चाल से पहले ही सूचना मिल जाएगी।
इसकी सहायता से समुद्री निगरानी रीयल टाइम में की जा सकेगी। समुद्री निगरानी को मैरीटाइम सर्विलांस (Maritime Surveillance) कहते हैं। इसलिए अब इस काम में ड्रोन्स या AUV मदद करते हैं। जब किसी देश की समुद्री सीमा ज्यादा बड़ी हो तो सिर्फ लहरों के ऊपर से निगरानी करना आसान नहीं होता और कई दुशमनी गतिविधियों का पता लगाना मुश्ल हो जीती है। इस लिए दुशमनों पर निगरानी रखने और उनके मंसूबों का पता लगाने के लिए समुंद्र के अंदर निगरानी करना जरूरी हो जाता है।
भारत में विकसित AUV सुरक्षा कारणों के साथ कई माध्यमों के लिहाज से सेना और सुरक्षा के लिए बेहद किफायती है। यह समुंद्र के अंदर लंबे समय तक गश्त लगाने में सक्षम है। इसके साथ ही ये AUV पनडुब्बी खुद-ब-खुद चल सकती है। इससे सेना का समुंद्र में बड़े जहाजों, तकनीकों, यंत्रों और जवानों को तैनात करने का खर्च बचेगा। इस AUV में एडवांस सेंसर्स, कटिंग एज कैमरा, रडार और इंफ्रारेड टेक्नोलॉजी लगी है। जो इसे हर तरह की निगरानी और जासूसी के लिए सक्षम बनाता है।