High Cholesterol Real Cause : आज हर दूसरा व्यक्ति कोलेस्ट्रॉल की समस्या से जूझ रहा है और दवाइयां खाने को मजबूर है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कोलेस्ट्रॉल वास्तव में कोई बीमारी नहीं, बल्कि हमारे गलत खानपान, विशेषकर मांसाहार का नतीजा है? एक वीडियो में किए गए दावे के अनुसार, भगवान ने इंसान का शरीर मांस खाने के लिए बनाया ही नहीं है, और यही वो मुख्य कारण है जो हमें हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक जैसी जानलेवा बीमारियों की ओर धकेल रहा है।
इंसान और जानवर की बनावट में फर्क
वीडियो में एक बहुत ही वैज्ञानिक और तार्किक तुलना की गई है। दावा किया गया है कि जो प्राणी मांसाहारी होते हैं, जैसे कुत्ता, शेर या चीता, वे पानी को जीभ से चाटकर पीते हैं। उनकी जीभ लंबी होती है और आंतें छोटी होती हैं। वहीं, इंसान पानी को घूंट-घूंट करके पीता है, वह चाट नहीं सकता क्योंकि उसकी जीभ छोटी है और आंतें लंबी हैं।
शाकाहारी प्राणियों (जैसे हाथी, घोड़ा, गाय) की आंतें लंबी होती हैं, और इंसान की शारीरिक बनावट भी इन्हीं से मिलती है। इसलिए, वीडियो का संदेश साफ है—इंसान का शरीर कुदरती तौर पर केवल शाकाहार के लिए डिजाइन किया गया है।
ताकत का भ्रम और ‘हॉर्स पावर’ का सच
अक्सर लोग तर्क देते हैं कि मांस खाने से ताकत आती है, लेकिन वीडियो में इसे पूरी तरह खारिज किया गया है। मांस खाने से शरीर में सिर्फ मांस और फैट (चर्बी) बढ़ता है। जब फैट बढ़ता है, तो कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है, जो आगे चलकर हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट और ब्रेन हेमरेज का कारण बनता है।
ताकत का असली उदाहरण देते हुए मशीनों की शक्ति का जिक्र किया गया है, जिसे पूरी दुनिया ‘हॉर्स पावर’ (Horse Power) में नापती है। घोड़ा कभी मांस नहीं खाता, वह सिर्फ घास और चना खाता है। अगर मांस में ताकत होती, तो शक्ति का पैमाना ‘लायन पावर’ होता, न कि ‘हॉर्स पावर’।
सुशील कुमार और विश्व चैंपियनशिप का किस्सा
वीडियो में भारत के प्रसिद्ध पहलवान सुशील कुमार का एक दिलचस्प किस्सा सुनाया गया है। रूस में हुई विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में जब सुशील कुमार ने दुनिया के सबसे मजबूत माने जाने वाले पहलवान को पटखनी दी, तो उनसे उनकी डाइट पूछी गई।
सुशील कुमार ने बताया कि वह शुद्ध शाकाहारी हैं। वह दूध, बादाम, फल, सब्जियां और ‘घोड़े वाला चना’ खाते हैं। उन्होंने गर्व से कहा कि वह अंडा तक नहीं खाते। जिस पहलवान को उन्होंने हराया, वह रोज मांस खाता था। यह साबित करता है कि असली ताकत शाकाहार में है, मांसाहार में नहीं।
विश्लेषण: प्रकृति का चक्र और हमारा स्वास्थ्य
एक वरिष्ठ संपादक के रूप में, इस वीडियो का विश्लेषण करने पर यह समझ आता है कि यह केवल डाइट बदलने की सलाह नहीं है, बल्कि एक इको-सिस्टम (Ecosystem) को बचाने की चेतावनी है। वीडियो में बताया गया है कि जानवर, जैसे बकरी या भेड़, घास खाकर उसे कैल्शियम, आयरन और मैग्नीशियम से भरपूर खाद में बदलते हैं। यह खाद मिट्टी को उपजाऊ बनाती है, जिससे हमें पोषक तत्व मिलते हैं। जानवरों को मारकर खाने से हम इस प्राकृतिक चक्र को तोड़ रहे हैं, जिससे अंततः मानव स्वास्थ्य ही खतरे में पड़ रहा है।
मछली और नदी की सफाई का तर्क
वीडियो में मछली खाने वालों को भी चेतावनी दी गई है। तर्क दिया गया है कि ईश्वर ने मछलियों को नदी का पानी साफ करने के लिए बनाया है, न कि इंसानों का पेट भरने के लिए। अगर हम सारी मछलियां खा जाएंगे, तो नदियां विषैली हो जाएंगी और अंततः इंसान भी मर जाएंगे। मेंढक और कछुए जैसे जीव भी पानी की शुद्धता बनाए रखने के लिए हैं।
लंबी उम्र का राज
वीडियो में एक और चौंकाने वाला तथ्य रखा गया है। मांसाहारी जानवर जैसे शेर, कुत्ता या बिल्ली की उम्र बहुत कम (15-20 साल) होती है। वहीं, शाकाहारी जानवर जैसे हाथी और घोड़ा 100 साल तक जीते हैं। अगर इंसान लंबी और स्वस्थ जिंदगी चाहता है, तो उसे अपनी थाली से मांस को हटाना ही होगा।
जानें पूरा मामला (पृष्ठभूमि)
यह वीडियो स्वास्थ्य और आध्यात्मिकता के नजरिए से भोजन के प्रभाव को समझाता है। इसमें बताया गया है कि शरीर की हड्डियों के लिए जरूरी कैल्शियम और फास्फोरस का मुख्य स्रोत मिट्टी है, जो जानवरों के मल से समृद्ध होती है। जानवरों को भोजन समझकर खा लेना, भविष्य में कैल्शियम की कमी और कमजोर हड्डियों का कारण बन सकता है।
मुख्य बातें (Key Points)
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इंसान की शारीरिक बनावट (आंत और जीभ) शाकाहारी प्राणियों जैसी है।
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मांस खाने से फैट और कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है, जो हार्ट अटैक का कारण है।
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पहलवान सुशील कुमार शुद्ध शाकाहारी भोजन से विश्व चैंपियन बने।
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मछलियां पानी साफ करने के लिए हैं, उन्हें खाने से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ता है।






