CAG report : झारखंड विधानसभा में गुरुवार को भारत सरकार के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें वित्तीय अनियमितताओं को लेकर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार द्वारा वितरित ₹19125.88 करोड़ की राशि का कोई उपयोगिता प्रमाण पत्र (Utilization Certificate) जमा नहीं किया गया है, जिससे सरकारी धन के दुरुपयोग की आशंका बढ़ गई है।
₹114035.62 करोड़ की राशि का कोई प्रमाण नहीं!
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि ₹114035.62 करोड़ की राशि से संबंधित 42158 उपयोगिता प्रमाण पत्र अब तक जमा नहीं किए गए हैं। CAG का कहना है कि प्रमाण पत्रों का लंबित रहना निधि के दुरुपयोग और वित्तीय अनियमितता का संकेत देता है।
आकस्मिक विपत्र निकासी में भी गड़बड़ी के संकेत
CAG ने खुलासा किया है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान झारखंड के आठ विभागों ने ₹26.22 करोड़ की निकासी आकस्मिक विपत्रों (Contingent Bills) के माध्यम से की। रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2024 में ही ₹13.32 करोड़ निकाले गए, लेकिन वित्तीय वर्ष के अंत तक ₹21.54 करोड़ से जुड़े 25 आकस्मिक विपत्र जमा नहीं किए गए थे।
₹4536.39 करोड़ का गलत बजटीय प्रावधान
रिपोर्ट में यह भी उजागर हुआ कि झारखंड सरकार ने ₹4536.39 करोड़ का गलत बजटीय प्रावधान किया। इस राशि को राजस्व और पूंजीगत व्यय के तहत गलत तरीके से दर्ज किया गया। इसमें से ₹4433.60 करोड़ पूंजी परिसंपत्ति निर्माण के लिए, ₹36.27 करोड़ छात्रवृत्ति और नकद राहत, ₹50 करोड़ सहायता अनुदान और ₹16.52 करोड़ रखरखाव एवं मरम्मत से संबंधित थे।
स्वास्थ्य क्षेत्र में भी अनियमितता, 61% डॉक्टरों के पद खाली
CAG रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड के चिकित्सा विभाग की स्थिति भी दयनीय है। मार्च 2022 तक राज्य में 3,634 स्वीकृत पदों में से 2,210 पद खाली थे।
- स्टाफ नर्सों के 5,872 स्वीकृत पदों में से 3,033 पद रिक्त थे।
- पैरामेडिक्स के 1,080 पदों में से 864 पद खाली थे।
मेडिकल कॉलेजों में भी 45% पद खाली
राज्य के छह मेडिकल कॉलेजों में शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के 641 स्वीकृत पदों में से 286 पद खाली थे। रिपोर्ट में सरकार को निर्देश दिया गया है कि वह सभी स्वास्थ्य सुविधाओं में डॉक्टरों और स्टाफ की भारी कमी को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाए।
दवा और उपकरणों की खरीद पर सिर्फ 20% खर्च
CAG रिपोर्ट में स्वास्थ्य सेवाओं में घोर लापरवाही उजागर हुई है। 2016-22 के दौरान उपलब्ध ₹1395.67 करोड़ में से केवल ₹279.39 करोड़ का उपयोग दवाओं और उपकरणों की खरीद पर किया गया। रिपोर्ट में पाया गया कि झारखंड मेडिकल एंड हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट एंड प्रोक्योरमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (JMHIDPCL) द्वारा 77-88% दवाएं खरीदी ही नहीं गईं, जिससे सरकारी अस्पतालों में 66-94% तक आवश्यक दवाओं की कमी पाई गई।
22 में से सिर्फ 11 मोबाइल मेडिकल यूनिट सक्रिय
CAG ने खुलासा किया कि मार्च 2022 तक झारखंड में 22 मोबाइल मेडिकल यूनिट (MMU) में से केवल 11 ही कार्यरत थीं। रिपोर्ट के अनुसार, इनमें महिला चिकित्सक और रेडियोग्राफर उपलब्ध नहीं थे।
झारखंड सरकार को दिए गए सुझाव
CAG रिपोर्ट में झारखंड सरकार को सुझाव दिया गया है कि
- सभी लंबित उपयोगिता प्रमाण पत्रों को शीघ्र प्रस्तुत किया जाए।
- राज्य में वित्तीय अनियमितताओं की गहन जांच की जाए।
- खाली पदों को जल्द से जल्द भरा जाए और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किया जाए।
- दवा और चिकित्सा उपकरणों की खरीद में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।
CAG रिपोर्ट में उजागर हुई ये अनियमितताएं झारखंड सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती हैं। अगर समय रहते इन गड़बड़ियों को ठीक नहीं किया गया, तो इसका सीधा असर जनता की बुनियादी जरूरतों पर पड़ सकता है।