Nitish Kumar Oath बिहार की राजनीति में एक बेहद अहम और औपचारिक क्षण तब सामने आया जब नीतीश कुमार ने राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर अपनी जिम्मेदारी संभाली। एक गंभीर और गरिमामय समारोह में, उन्होंने भारत के संविधान के प्रति अपनी सच्ची श्रद्धा और निष्ठा का संकल्प लेते हुए पद और गोपनीयता की शपथ ली, जिसने वहां मौजूद हर शख्स का ध्यान अपनी ओर खींचा।
शपथ ग्रहण समारोह की शुरुआत एक औपचारिक अनुरोध के साथ हुई, जब माननीय राज्यपाल के समक्ष मुख्यमंत्री मनोनीत नीतीश कुमार को पद और गोपनीयता की शपथ लेने के लिए आमंत्रित किया गया। माहौल में शांति और गंभीरता थी, और इसी बीच नीतीश कुमार ने अपनी बुलंद आवाज़ में शपथ पढ़ना शुरू किया। उन्होंने ईश्वर की शपथ लेते हुए कहा, “मैं नीतीश कुमार, सत्य निष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा।”
अखंडता और संप्रभुता का संकल्प
शपथ के दौरान नीतीश कुमार ने देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने का भी वचन दिया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वे भारत की प्रभुता और अखंडता को अक्षुण्ण रखेंगे। एक मुख्यमंत्री के तौर पर अपनी जिम्मेदारियों का एहसास कराते हुए उन्होंने कसम खाई कि वे बिहार राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूरी श्रद्धा और शुद्ध अंतःकरण से करेंगे।
भय और पक्षपात मुक्त न्याय का वादा
अपने संकल्प को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने राज्य की जनता को आश्वस्त करने वाले शब्द कहे। उन्होंने शपथ ली कि वे भय, पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना, सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार ही न्याय करेंगे। यह हिस्सा उनके कार्यकाल के दौरान निष्पक्ष शासन की उम्मीद जगाने वाला था।
गोपनीयता की अहम शर्त
अंत में, पद की गोपनीयता बनाए रखने के लिए उन्होंने एक महत्वपूर्ण वचन दिया। नीतीश कुमार ने कहा कि जो भी विषय बिहार राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में उनके विचार के लिए लाया जाएगा या उन्हें ज्ञात होगा, उसे वे किसी भी व्यक्ति या व्यक्तियों को तब तक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संसूचित या प्रकट नहीं करेंगे, जब तक कि अपने कर्तव्यों के सम्यक निर्वहन के लिए ऐसा करना अपेक्षित न हो। “धन्यवाद” शब्द के साथ उन्होंने अपनी शपथ पूरी की और बधाइयों का दौर शुरू हो गया।
मुख्य बातें (Key Points)
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नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
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उन्होंने भारत के संविधान और देश की संप्रभुता के प्रति निष्ठा जताई।
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बिना किसी भय या पक्षपात के न्याय करने का संकल्प लिया।
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पद की गोपनीयता बनाए रखने का वचन दिया।






