National Investigation Agency Powers को लेकर केंद्र सरकार ने लोकसभा में एक विस्तृत रिपोर्ट पेश कर दुश्मनों की नींद उड़ा दी है। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संसद में बताया कि कैसे मुंबई हमलों के बाद बनी यह एजेंसी अब विदेशों में छिपे दुश्मनों तक पहुंचने में सक्षम हो गई है और इसका ‘कन्विक्शन रेट’ यानी मुजरिमों को सजा दिलाने की दर दुनिया में सबसे बेहतर हो गई है।
क्या आपके मन में कभी यह सवाल आया है कि भारत की सुरक्षा व्यवस्था पिछले कुछ सालों में इतनी मजबूत कैसे हुई? इसका जवाब है राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) का सशक्तिकरण। सरकार की नई रिपोर्ट बताती है कि दुश्मनों की अब खैर नहीं है, क्योंकि एनआईए ने अपनी ड्यूटी निभाते हुए सुरक्षा के मानकों को पूरी तरह बदल दिया है।
क्या है एनआईए और कैसे करती है काम?
एनआईए यानी नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी, जिसकी स्थापना 26/11 मुंबई हमलों के बाद साल 2008 में की गई थी। इसका मुख्य काम आतंकवाद, नकली करेंसी, हथियारों की तस्करी और देश विरोधी गतिविधियों की कमर तोड़ना है। लेकिन अब यह एजेंसी पहले से कहीं ज्यादा हाईटेक और पावरफुल हो चुकी है।
2019 के बाद बदल गई तस्वीर
साल 2019 में हुए संशोधन के बाद एनआईए की ताकत कई गुना बढ़ चुकी है। अब यह एजेंसी केवल देश के भीतर ही नहीं, बल्कि जरूरत पड़ने पर विदेशों में जाकर भी मामलों की जांच कर सकती है। अब इसके दायरे में साइबर आतंकवाद, मानव तस्करी, बड़े धमाके, विस्फोटक, नकली नोट और आतंकी फंडिंग जैसे गंभीर अपराध भी शामिल कर लिए गए हैं।
मैनपावर और इंफ्रास्ट्रक्चर में भारी इजाफा
रिपोर्ट के मुताबिक, एनआईए का विस्तार अब पूरे देश में हो रहा है। आज देश भर में इसके 21 ब्रांच ऑफिस खुल चुके हैं। दिल्ली में हेड क्वार्टर के अलावा जम्मू और गुवाहाटी में दो जोनल ऑफिस भी काम कर रहे हैं। जांच की रफ्तार बढ़ाने के लिए मैनपावर को भी बढ़ाया गया है। एनआईए में कुल 10,901 पद स्वीकृत हैं और पिछले 5 सालों में 769 नए पद जोड़े गए हैं, जिससे जांच की सटीकता और गति दोनों बढ़ी है।
हाईटेक मॉडर्नाइजेशन और स्पेशल सेल
दुश्मन अगर डाल-डाल है, तो एनआईए पात-पात। एजेंसी ने ‘नेशनल टेरर डाटा फ्यूजन एंड एनालिसिस सेंटर’ जैसा नया डाटा सेंटर बनाया है। इसके अलावा साइबर आतंकी मामलों, मानव तस्करी, फाइनेंशियल एनालिसिस और विदेशी मामलों की जांच के लिए अलग-अलग विशेष सेल (Special Cells) का गठन किया गया है, जो बेहद बारीकी से काम करते हैं।
दुनिया में सबसे ज्यादा सजा दिलाने वाली एजेंसी
एनआईए की सबसे बड़ी उपलब्धि उसका ‘कन्विक्शन रेट’ है। रिपोर्ट बताती है कि एनआईए का कन्विक्शन रेट 92.44% है, जो इसे दुनिया की सबसे प्रभावी जांच एजेंसियों में से एक बनाता है। इसके लिए देश भर में 52 स्पेशल कोर्ट बनाए गए हैं। रांची, जम्मू और मुंबई में तो विशेष रूप से सिर्फ एनआईए मामलों की सुनवाई होती है।
जीरो टॉलरेंस: 23 संगठनों पर लगा ताला
सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति का असर साफ दिखता है। पिछले 5 सालों में एनआईए की जांच और सबूतों के आधार पर 23 संगठनों को गैर-कानूनी घोषित किया गया है। इनमें स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI), यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA), सिख फॉर जस्टिस और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) जैसे बड़े नाम शामिल हैं।
क्या है पृष्ठभूमि
एनआईए का गठन 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के बाद किया गया था, जब देश को एक ऐसी केंद्रीय एजेंसी की जरूरत महसूस हुई जो राज्यों की सीमाओं से परे जाकर आतंकवाद का मुकाबला कर सके। समय के साथ इसके अधिकार क्षेत्र को बढ़ाया गया ताकि बदलती चुनौतियों और आधुनिक अपराधों से निपटा जा सके।
मुख्य बातें (Key Points)
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एनआईए अब विदेशों में हुए आतंकी मामलों की भी जांच करने में सक्षम है।
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एजेंसी का कन्विक्शन रेट 92.44% है, जो वैश्विक स्तर पर बेहद प्रभावशाली है।
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पिछले 5 सालों में 769 नए पद जोड़कर मैनपावर को बढ़ाया गया है।
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देश भर में 52 स्पेशल कोर्ट्स के जरिए एनआईए मामलों की सुनवाई में तेजी लाई गई है।






