विदेशी फंडिंग का इस्तेमाल विकास परियोजनाओं में अड़ंगा डालने में कर रहा है NGO,

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विदेशी फंडिंग

नई दिल्ली, 16 अप्रैल (The News Air) केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के सामने गैर सरकारी संगठन ‘एनवायरनिक्स ट्रस्ट’ पर बड़ा आरोप लगाया। सरकार ने अदालत को बताया कि इस एनजीओ ने भारत में विकास की गति को रोकने के लिए विदेशी फंडिंग का इस्तेमाल किया है। केंद्र सरकार ने आगे बताया कि एनजीओ को 90% धन विदेशी स्रोतों से प्राप्त होता है। इसने कोयला, इस्पात और ताप विद्युत परियोजनाओं के खिलाफ आंदोलन किए जिसमें उन्हें विदेश से पैसे भेजे गए। आयकर छूट वापस लेने की चुनौती को खारिज करने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ एनजीओ की अपील का भी विरोध हुआ। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि एनजीओ के घोषित उद्देश्यों के अलावा अन्य उद्देश्य के लिए विदेशी धन का उपयोग करने के कारण, एफसीआरए के तहत विदेश से धन प्राप्त करने की अनुमति और आयकर भुगतान से छूट रद्द कर दी गई।

प्रदर्शन के लिए लेते हैं विदेशी ताकतों की मदद
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि आयकर विभाग की ओर से एनजीओ की कर योग्य आय का मूल्यांकन और पुनर्मूल्यांकन जारी रहेगा, लेकिन अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे इसकी आय से संबंधित साक्ष्यों के ऐसे मूल्यांकन के आधार पर अंतिम आदेश पारित न करें। कोर्ट ने साथ ही एनजीओ से मूल्यांकन कार्यवाही में पूरा सहयोग करने को कहा। एनजीओ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एस मुरलीधर की दलीलों का जवाब देते हुए मेहता ने कहा कि आयकर विभाग की ओर से दायर संक्षिप्त जवाबी हलफनामे से साफ पता चलता है कि एनवायरोनिक्स ट्रस्ट को भारत और विदेशों में सार्वजनिक परियोजनाओं को रोकने के लिए विदेशी संस्थाओं की ओर से वित्त पोषित किया जाता है। यह भी पाया गया है कि ट्रस्ट भुगतान के आधार पर परियोजनाओं के खिलाफ प्रदर्शनकारियों की व्यवस्था कर रहा है।
प्रति व्यक्ति 1,250 रुपये की राशि बैंक में ट्रांसफर

आयकर विभाग ने हलफनामे में कहा कि ट्रस्ट ने घरों में राहत पैकेज बांटने की आड़ में ओडिशा के एक गांव में विकास परियोजनाओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को वित्तपोषित किया है। ट्रस्ट ने अपने आईसीआईसीआई बैंक खाते से प्रति व्यक्ति 1,250 रुपये की राशि उन व्यक्तियों को हस्तांतरित की है जो उक्त विरोध प्रदर्शन में शामिल थे और इस संबंध में दर्ज एफआईआर में नामित थे। आयकर विभाग ने कहा कि व्हाट्सएप चैट से प्राप्त साक्ष्यों से पता चला है कि एनजीओ के प्रबंध ट्रस्टी श्रीधर राममूर्ति ने ‘प्रतिरोध संग्राम समिति’ के प्रशांत पैकरे को ट्रस्ट की तरफ से 711 लोगों के बैंक खातों में 1,250-1,250 रुपये हस्तांतरित करने के बारे में जानकारी दी थी और स्वीकार किया था कि ट्रस्ट ‘फेयर ग्रीन और ग्लोबल अलायंस II’ सहित विदेशी संस्थाओं के साथ काम करता है, जिसमें छह डच सदस्य संगठन शामिल हैं।

आईटी ने और क्या बताया?

आईटी ने कहा कि जो वुडमैन और ट्रस्ट के प्रबंध ट्रस्टी श्रीधर भारत में कोयला संयंत्रों के खिलाफ साजिश रचने और कुछ विदेशी नागरिकों और संस्थाओं की मदद से इन परियोजनाओं को नुकसान पहुंचाने की योजना बनाने में शामिल थे। इसमें कहा गया है कि ट्रस्ट ‘यूरोपीय जलवायु परिवर्तन’ के साथ मिलकर भारत में थर्मल पावर प्रोजेक्ट का विरोध कर रहा है। मेहता ने कहा कि 2022 में एनवायरोनिक्स ट्रस्ट के साथ-साथ सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च, ऑक्सफैम इंडिया, लीगल इनिशिएटिव फॉर फॉरेस्ट एंड एनवायरमेंट और केयर इंडिया सॉल्यूशन फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट जैसे अन्य ट्रस्टों के खिलाफ एक सर्वेक्षण किया गया था। इन संगठनों के एक-दूसरे के साथ घनिष्ठ संबंध हैं और उनके मुख्य व्यक्ति आपस में जुड़े हुए हैं। ये एनजीओ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपने घोषित उद्देश्यों से परे आंदोलन या मुकदमेबाजी में शामिल हैं।

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