अजीत पवार के साथ हैं नवाब मलिक, NCP की बैठक में लिया हिस्सा,

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Maharashtra Nawab Malik

मुंबई, 04 जुलाई (The News Air): महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नवाब मलिक को लेकर फिर से विवाद खड़ा हो सकता है। पिछले साल जमानत पर बाहर आने के बाद मालिक के विधानसभा में सत्तापक्ष की तरफ बैठने को लेकर खूब विवाद हुआ था। तब बीजेपी नेता और राज्य के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने पत्र लिखकर आपत्ति जताई थी। उस घटनाक्रम के छह महीने बाद नवाब मलिक पहली बार एनसीपी की बैठक में शामिल हुए। अजीत पवार की अध्यक्षता वाली इस बैठक में विधान परिषद चुनावों की रणनीति को लेकर चर्चा हुई। विधान परिषद की 11 सीटों के चुनाव के लिए महायुति ने नौ कैंडिडेट खड़े किए हैं। इनमें दो कैंडिडेट अजीत पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) से है। इनमें राजेश विटेकर और शिवाजीराव गर्जे को उम्मीदवार बनाया है। नवाब मलिक की इंट्री पर महायुति ने जहां अभी प्रतिक्रिया नहीं दी है तो वहीं महाविकास आघाडी ने सवाल उठाए हैं।

तब दोनों पक्षों के नेता मिले थे

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक वीडियो में मलिक को अन्य विधायकों और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठे दिखाया गया। जिससे उनके राजनीतिक गठबंधन के बारे में और अटकलें तेज हो गईं। अब यह माना जा रहा है कि वे अजीत पवार के साथ हैं, हालांकि नवाब मलिक को बेल मिलने पर उनसे एनसीपी के दोनों खेमों के नेताओं ने मुलाकात की थी। दिग्गज एनसीपी नेता और एमवीए सरकार में मंत्री रहे नवाब मलिक एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े से टकराव को लेकर खूब चर्चा के रहे थे। राज्य में सरकार बदलने के बाद मलिक की मुश्किलें बढ़ी थीं। इसके बाद उन्हें मनी लांड्रिंग के आरोपों में ईडी ने अरेस्ट किया था। काफी महीनों तक जेल में रहने के बाद मलिक को हेल्थ ग्राउंड पर जमानत मिली थी।

बीजेपी के रुख का इंतजार

नवाब मलिक फडणवीस के विरोध के बाद वह सुर्खियों में आ गए थे। फड़नवीस ने लिखा कि विधानसभा के सदस्य के रूप में, उन्हें कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार है। हम उनके प्रति कोई व्यक्तिगत शत्रुता नहीं रखते हैं, लेकिन उन पर जो आरोप लगे हैं, उन्हें देखते हुए हमारा मानना है कि उन्हें महायुति में शामिल करना अनुचित होगा। फडणवीस ने तब कहा था कि मलिक जमानत पर हैं, लेकिन उनके खिलाफ लगे आरोपों से उन्हें बरी नहीं किया गया है। पार्टी की सदस्यता का फैसला करना आपका विशेषाधिकार है, लेकिन यह सुनिश्चित करना हर गठबंधन सहयोगी का कर्तव्य है कि इन फैसलों से महायुति को नुकसान न हो। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना का कहना है कि मलिक का मुद्दा एनसीपी का आंतरिक मामला है।

एनसीपी की क्या है दलील?

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने खुलासा किया कि मलिक को बैठक में औपचारिक रूप से आमंत्रित किया गया था। एनसीपी के एक अंदरूनी सूत्र ने खुलासा किया कि वह अस्वस्थ थे और इसलिए बैठकों से बचते रहे। इस अवधि के दौरान, वह अपने निर्वाचन क्षेत्र कार्यालय में भी उपलब्ध नहीं थे, लेकिन पिछले सप्ताह से वह सक्रिय हो गए हैं। अब देखना यह है कि नवाब मलिक की अजीत पवार में एंट्री पर बीजेपी क्या स्टैंड लेती है? मालिक के खिलाफ भ्रष्टाचार और दाऊद इब्राहिम से संपर्क को लेकर बीजेपी ने ही मोर्चा खोला था।

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