राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस निबंध व भाषण  | National Technology Day Speech & Essay in Hindi

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National Technology Day Speech & Essay in Hindi

आदानप्रदान : शरुआती समय में आदान प्रदान चिठियों से होता था, जिसमें कई मौकों पर कम्युनिकेशकन में तो दिन महीने लग जाते थे। लेकिन टेलीफोन, मोबाइल, ई मेल, वीडियो कॉल जैसी सुविधाओं नें जैसे पूरी दुनियां को एक धागे में पिरो दिया है, आज लाखो किलोमीटर दूर बैठा व्यक्ति हमारा चेहरा देख कर Live Screen पर हम से बात कर सकता है, यह अद्भुत सुविधा भी Tech World कि ही देन है।

ब्रह्मांड में खोज : पॉपुलेशन दिन पर दिन बढ़ती जा रही है, जगह कम पड़ने की वजह से मनुष्य पृथ्वी के बाहर जीवन तलाश रहा है, बिना टेक्नॉलोजी के यह अभियान आगे बढ़ाना लगभग असंभव है। इस लिए विज्ञानजगत में भी यह अभिन्न अंग के समान है।

इंटरनेट के लाभ : इंटरनेट पर डेटिंग, जॉब, रिसर्च, एज्युकेशन, कम्युनिकेशन, एंटरटेनमेंट और ना जाने कितनी चीजें आज संभव है, कई लोगों का तो जैसे घर ही इंटरनेट की वजह से चलता है और इंटरनेट भी तो प्रौद्योगिकी के विशालकाय पेड़ की एक डाल ही तो है।

श्रम में कटौती : कुछ लोग टेक्नोलॉजी वाले मशीनों की खोज से खुश नहीं थे। शायद इस लिए क्यों की इसकी वजह से नौकरियां ख़त्म हो रही थीं। जो काम 10 मजदुर कर लेते वह एक अकेली मशीन करने लगी, और वह भी कम लागत पर, लेकिन इसका दूसरा पहलू भी है, सामान की लागत कम हुई, महंगाई घटी और शरीर तोड़ देने वाली अमानवीय मेहनत की जगह मशीनों को लगाया जाने लगा।

हाई टेक एज्युकेशन : पहले के ज़माने में शिक्षा हासिल करना बहुत महंगा था, विकल्प ना के बराबर थे। लेकिन आज Internet Technology नें गरीब और मध्यमवर्ग की इस बड़ी मुश्किल को आसान बना दिया है। किसी भी विषय पर ज्ञान चाहिए, उस पर कंटेंट टेक्स्ट और वीडियो फॉर्मेंट में आसानी से उप्लब्ध है। यह हकीकत में बहुत उपयोगी है।

कमाई के मौके : लिखने में अच्छे हैं तो ब्लॉग बना लो, बोलने में अच्छे हैं तो पॉडकास्ट बनाओ, क्रिएटिव स्किल्स है तो वीडियो बना लो, स्टोरीज, रिल्स, शॉर्ट्स, कोर्स, फनल, लाइव एज्युकेशन, काउंसिलिंग, आप घर बैठे क्या क्या नहीं कर सकते, ना तो दुकान डालनी, ना ही किराए का मकान लेना और ना ही तगड़ा निवेश करना, बस एक सामान्य स्मार्ट फोन, सस्ता 4G या 5G इंटरनेट और Basic Knowledge की स्किल, “इतना काफी है”, Tech World में Professional बनने के लिए।

आज से 50 साल पहले किसने सोचा था कि बिस्तर पर लेटे लेटे फोन पर उँगलियाँ चला कर बिना डिग्री के बिना एक्सपीरियंस के विदेशी करंसी में कमाई संभव है, यह सब श्रेय उन धुरंधरों को ही तो जाता है, जिन्होंने प्रौद्योगिकी के विकास के लिए दिन रात एक कीए और विश्व को इसकी अनमोल सौगाद दे दी। चूँकि कंप्यूटर, मोबाइल, इंटरनेट टेलि कोम्युनिकेशन यह सब टेक्नोलॉजी की ही तो देन है।

मोनोपॉली का अंत : पहले के समय में आर्बिट्रेज बहुत पॉपुलर था। एक देश या राज्य का सामान दूसरे राज्य या देश में बड़े मुनाफे पर बेचा जाता था। तब ट्रांसपोर्ट टेक्नोलॉजी भी विकसित नहीं थी, इसके अलावा इंफॉर्मेशन भी आसानी से शेयर कर पाना असंभव था। लेकिन आज एक फोन कॉल से भाव पता चल जाते हैं, मांग अनुसार फ्लाइट से सामान डिलीवर हो जाता है, वीडियो कॉल से मशीनरी और वस्तुओं की क्वालिटी उसी समय पता चल जाती है, रिव्यू मिल जाते हैं। इस लिए वर्ल्ड एक ओपन मार्केट बन चूका है। जिसमें मुनाफाखोरी अब बहुत कम हो पाती है।

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस – National Technology Day

टेक्नोलॉजी के नुकसान :

टेक्नोलॉजी मनुष्य की मानसिक स्थिति को प्रभावित करती है। पहले हम 10 बातें एक साथ याद रखते थे, लेकिन आज 2 बातें भी याद करनी हो तो फोन निकाल कर स्टिकी नोट एप का इस्तमाल करना पड़ता है, पहले पुरे खानदान के लैंडलाइन नंबर मुह ज़ुबानी याद रहते थे लेकिन आज तो माँ बाप के नंबर भी टेलीफोन बुक में देखने पर याद रहते हैं। चिढ़चिढ़ा पन, सिर का दुखना, आँखों का दर्द, मोटापा और ना जाने क्या क्या परेशानियां इस से बढ़ चुकी है।

ट्रक, विमान, मशीन और अन्य उपकरण से ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है। जागरूकता फैलाने के लिए कितना भी प्रयास करें, लेकिन इन चीजों को कंट्रोल करना लगभग असंभव है। ज़हरीला धुंवा, लगातार शोर और कभी भी अकस्मात् का भय, यह ऐसे जोखिम है जिनसे कोई भी व्यक्ति अछूता नहीं है। इस तरह टेक्नॉलोजी के लाभ होने के साथ साथ नुकसान भी बहुत है।

National Technology Day Speech & Essay in Hindi

मोबाइल, इंटरनेट टावर और टीवी, ओडियो टेप जैसे संसाधन का अधिक उपयोग शारीरक हानि पहुंचाता है। ज़्यादा ईयर फोन लगाने से कान के परदे तक ख़राब हो जाते हैं, घर के आसपास लगे मोबाईल टावर नेटवर्क अच्छा देते हैं लेकिन कई गंभीर बीमारियों का कारण भी बनते हैं। लगातार घंटों तक टीवी से चिपका रहने वाला बच्चा मोटा और सुस्त बन जाता है, चश्मे तक लग जाते हैं। इंटरनेट पर कंपीटिशन हद से ज्यादा है, ऐसे में असफलता मिलने पर तनाव भी बढ़ जाता है।

टेक्नोलॉजी की मदद से सोशल मीडिया और इंटरनेट पर उपलब्ध अश्लील कंटेंट तक आसानी से पहुँच बच्चों पर बुरा असर डालती है। कुछ चीज़ें एक उम्र के बाद सीखना और आमझना अच्छा होता है लेकिन आज Techy World में ऐसा बीभत्स और वायोलेन्ट कंटेंट इतनी आसानी से उपलब्ध है कि कम उम्र के बच्चों को यह विचलित कर देता है, इस दूषण पर सरकार भी लगाम लगाने में पूरी तरह नाकाम ही रही है।

ऑनलाइन डाटा सर्वर की पर हैकिंग के खतरे से निजी गोपनियता पर खतरा बना रहता है। 20 या 50 रुपयों का बोनस और कैशबेक लेने के चक्कर में हम मुह उठा कर Pan, aadhar, address, bank और ना जाने क्या क्या details भर देते हैं, टेक्नोलॉजी की मदद से यह संवेदनशील डाटा ऑनलाइन सर्वर्स पर लंबे समय तक पड़ा रहता है, फिर कोई कबूतरबाज इन डाटा को हैकिंग की मदद से हासिल कर, फर्जी डॉक्युमेंट्स बनाने, जासूसी करने, डिजिटल तरीके से चोरी करने या टेलि मार्केटिंग कंपनियों को बेचने में उपयोग लेता है।

टेक्नोलॉजी का अधिक उपयोग और उस पर निर्भरता सहूलियत देने के बदले लोगों को अपना गुलाम बना रही है। जैसे की सुबह उठने पर कई लोग ब्रश हाथ में लेने के बदले फोन का नोटिफिकेशन चेक करते हैं, एक दिन बिजली जाने से फोन बंद रहे तो मुह सिंघाड़े जैसा बना कर बैठ जाते हैं, जैसे बीबी भाग गई हो या कोई उधारी देने वाला दूर का रिश्तेदार मर गया हो। एक दिन बस ट्रेन की हड़ताल हुई तो 2 KM पैदल चल कर घर जाने में दम निकल आता है, यह सब चीज़े साफ बताती हैं कि हम किस हद तक टेक्नोलॉजी के गुलाम बन चुके हैं।

National Technology Day Essay & Speech in Hindi QNA | FAQs

Q – टेक्नोलॉजी कौनसा उपकरण है?
A – यह कोई उपकरण नहीं एक प्रक्रिया है, जो लोगों का जीवन आसान बनाती है, इसके कुछ दुष्प्रभाव भी है।

Q – टेक्नोलॉजी को हिंदी में किस नाम से पुकारा जाता है?
A – इसे शुद्ध हिंदी में प्रौद्योगिकी कहा जाता है।

Q – टेक्नोलॉजी का उपयोग कैसे करना चाहिए?
A – इसपर निर्भर ना बनें, इसके बिना भी जीवन सुंदर है यह एहसास खुद को दिलाएं।

Q – प्रौद्योगिकी दिवस भारत में कब मनाया जाता है?
A – हर साल 11 मई के दिन भारत में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया जाता है।

Q – भारत में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाने का चलन किसने शुरू किया ?
A – यह शुभ कार्य भारत के पूर्व प्रधान मंत्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 1999 से शुरू किया था।

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