Muthoot Microfin इस फाइनेंशियल ईयर में 9000 करोड़ रुपये जुटाएगी,

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मुथूट माइक्रोफिन इस फाइनेंशियल ईयर में 9,000 करोड़ रुपये जुटाना चाहती है। कंपनी यह पैसा एक्सटर्नल कमर्शियल बॉरोइंग (ईसीबी), बैंक और नॉन-कनवर्टिबल डिबेंचर के जरिए जुटा सकती है। मुथूट माइक्रोफिन के सीईओ सदाफ सईद ने यह बताया। कंपनी इस पैसा का इस्तेमाल नए ब्रांच खोलने सहित दूसरी जरूरतों के लिए करेगी। सईद ने कंपनी के प्लान के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मुथूट माइक्रोफिन ने बिहार में कम ब्रांच खोलने का प्लान बनाया है। इसकी वजह पोर्टफोलियो पर दबाव है। हालांकि, उन्होंने कहा कि ज्यादा दबाव नहीं है, लेकिन कंपनी तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और दूसरे राज्यों के मुकाबले बिहार में कम ब्रांच ओपन करेगी।

उन्होंने कहा कि पहली तिमाही में हमारा डिस्बर्समेंट कम रहा। इस दौरान कंपनी के सामने कुछ चुनौतियां रहीं। इसमें से एक आम चुनाव है, जिसके चलते हमने डिस्बर्समेंट कम किया। आम तौर पर पहली तिमाही थोड़ा सुस्त रहती है। इस बार जून तिमाही में खासकर देश के उत्तरी हिस्सों में गर्मा हवाओं का ज्यादा असर देखने को मिला। इसका असर संभावित नए ग्राहकों पर पड़ता है। फील्ड स्टाफ के लिए भी ट्रैवल करना मुश्किल हो जाता है।

मुथूट माइक्रोफिन के सीईओ ने कहा कि जनवरी से लेकर अब तक कंपनी ने करीब 1,000 रुपये जुटाए हैं। यह पैसा ईसीबी के जरिए जुटाया गया। उन्होंने कहा कि आगे कंपनी ईसीबी से और फंड जुटाने जा रही है। हमारी कोशिश इस फाइनेंशियल ईयर में ईसीबी के जरिए 2,500 करोड़ जुटाने की है। इसमें से 400 करोड़ रुपये जुटाने पर काम चल रहा है। उसके बाद हम 1,000 करोड़ रुपये जुटाएंगे।

उन्होंने कहा कि कंपनी ने बैंकों से करीब 70 फीसदी पैसा लिया है। इसमें से 48 फीसदी लंबी अवधि का लोन है। बाकी 22 फीसदी स्ट्रक्चर्ड इंस्ट्रूमेंट्स के रूप में है। बाकी 30 फीसदी पैसा हमने दूसरे तरीकों से जुटाया है। इनमें ईसीबी, एनसीडी और दूसरे इंस्ट्रूमेंट्स शामिल हैं। ग्रोथ के बारे में उन्होंने कहा कि हमने 25 फीसदी ग्रोथ का अनुमान लगाया है। यह केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक जैसे मुख्य मार्केट्स से आएगा।

सईद ने कहा कि हमने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भी बिजनेस शुरू किया है। इन दो राज्यों में MFI की मौजूदगी अपेक्षाकृत कम है। उत्तरपूर्वी राज्यों में बिजनेस के प्रदर्शन के बारे में उन्होंने कहा कि बिहार ऐसा राज्य है जहां एमएफआई के क्षेत्र में काफी गितिविधियां हैं। इसलिए हम थोड़ा अलग पड़ गए हैं।

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