The News Air- ब्रोकरेज हाउस मॉर्गन स्टेनली ने बीएसई सेंसेक्स के साल के अंत में 62000 पर पहुंचने के अपने टारगेट को बनाए रखा है। ब्रोकरेज हाउस का कहना है कि घरेलू बाजार के ढ़ाचे में कुछ सकारात्मक फंडामेंटल बदलाव हुए हैं। इसके चलते भारतीय बाजार ग्लोबल उथल-पुथल और कच्चे तेल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के बावजूद मजबूती दिखाते नजर आए हैं।
यूएस फेड द्वारा पिछले 4 साल में पहली बार की गई ब्याज दरों में बढ़ोतरी और यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बावजूद घरेलू बेंचमार्क इंडेक्स मार्च में खत्म तिमाही में काफी हद तक सपाट रहे हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से पूरी दुनिया में कमोडिटी की कीमतों में भारी उछाल देखने को मिला । क्रूड ऑयल की कीमतें पिछले 8 साल में पहली बार 100 डॉलर प्रति बैरल के पार जाती नजर आई।
मॉर्गन स्टेनली ने अपने नोट में कहा है कि भारतीय इक्विटी बाजार ने काफी हद तक तेल की कीमतों में आपूर्ति में आई मुश्किल की वजह से आई बढ़त के झटके को बर्दाश्त कर लिया है जिससे इस बात का संकेत मिलता है कि भारतीय बाजार के ढ़ांचे में कई सकारात्मक बदलाव हुए हैं।
मॉर्गन स्टेनली ने अपने हाल में जारी नोट में ऐसे कारणों को हाइलाईट किया है जिनकी वजह से भारतीय बाजार ग्लोबल मैक्रो इकोनॉमिक अनिश्चितताओं के बावजूद मजबूती से टिके रहे हैं।
1. चुनावी नतीजे और सरकारी की नीतियां
मॉर्गन स्टेनली का मानना है कि हाल में आए 5 राज्यों के चुनावी नतीजों से सरकार को अपनी आर्थिक सुधार नीतियों को आगे बढ़ाने का मेनडेट (जनादेश) मिला है। सरकार अब देश में प्राइवेट इन्वेस्टमेंट बढ़ाने, ग्रोथ को प्रोत्साहित करने, रोजगार पैदा करने की अपनी नीतियों को आगे से बढ़ा सकती है।
2 -प्रॉफिट साइकिल और डोमेस्टिक इन्वेस्टर
मॉर्गन स्टेनली का कहना है कि इस बात के संकेत नजर आ रहे हैं कि इंडिया इंक 15 साल के ठहराव के बाद एक नए प्रॉफिट ग्रोथ साइकिल में प्रवेश कर रहा है। इसकी वजह से डोमेस्टिक इन्वेस्टरों की तरफ से बाजार में लगातार खरीदारी भी देखने को मिल रही है। मॉर्गन स्टेनली का यह भी कहना है कि FPI की सेलिंग, पोर्टफोलियो री-बैलेसिंग हो सकती है। इसके लिए कोई दूसरा नकारात्मक कारण नहीं है।
3. मजबूत FDI और कैपेक्स पर फोकस
मॉर्गन स्टेनली का कहना है कि सरकार द्वारा विदेशी निवेश के लिए दिए जाने वाले तमाम इंसेन्टिव के चलते भारत को लेकर मल्टीनेशनल कंपनियों में काफी अच्छा रुझान देखने को मिल रहा है। इस समय भारत को लेकर मल्टीनेशनल कंपनियों के सेटिमेंट में हुआ सुधार अपने ऑल टाईम हाई पर नजर आ रहा है। जिसके चलते देश में भारी मात्रा में FDI आता नजर आ रहा है। इससे आगे चलकर देश में कंपनियां द्वारा नया कैपेक्स साइकिल शुरु होता नजर आ सकता है जिससे देश में ग्रोथ को पुश मिलेगा।
4. विदेशी निवेश
मॉर्गन स्टेनली ने अपने इस रिपोर्ट मे कहा है कि फॉरेन पोर्टफोलियो निवेश की तुलना में फ़ॉरेन डायरेक्ट निवेश (सीधा विदेशी निवेश) में बढ़त इस बात का संकेत है कि भारत के करेंट अकाउंट डेफिसिट फंडिंग में अहम बदल हो रहे हैं। मॉर्गन स्टेनली का यह भी कहना है कि भारत का करेंट अकाउंड अब ग्लोबल कैपिटल मार्केट की स्थितियों पर पहले की तुलना में काफी कम निर्भर है। जिससे सरकार को नीतिगत फैसले लेने में आसानी हो रही है।
5. नीतियों में लचीलापन
मॉर्गन स्टेनली का कहना है कि भारत के करेंट अकाउंट की फॉरेन पोर्टफोलियो फ्लो पर घटती निर्भरता ने सरकार को अपनी नीतियों में फेरबदल के लिए पहले की तुलना में ज्यादा स्वतंत्रता दे रही है। उदाहरण के तौर पर देखें तो इसके पहले 2013 में यूएस बॉन्ड यील्ड में बढ़त और क्रूड ऑयल में आई तेजी की वजह से रुपया औंधे मुंह गिर गया था। लेकिन इस बार हमें ऐसा कुछ होता नहीं नजर आया। मॉर्गन स्टेनली ने अपने इस नोट में कहा है कि भारत सरकार इस समय सामान्य से ज्यादा वित्तीय घाटे के दौर में काम कर रही है लेकिन इसके बावजूद इसको घटाने की कोई तत्काल जरुरत नजर नहीं आ रही है। यहां तक की आरबीआई को अपनी नरम मौद्रिक नीति के रूख से पीछे हटने की जरुरत नहीं महसूस हुई है । वहीं यूएस फेड अपनी ईजी मनी पॉलिसी से बाहर आता नजर आ रहा है।