MGNREGA New Bill 2025 को लेकर देश की सियासत में एक नया भूचाल आ गया है। ग्रामीण भारत की तस्वीर बदलने वाली सबसे बड़ी रोजगार गारंटी योजना ‘मनरेगा’ अब इतिहास बनने जा रही है। केंद्र सरकार संसद में एक ऐसा नया विधेयक लाने की तैयारी कर चुकी है, जो न केवल मनरेगा की जगह लेगा बल्कि इस योजना से ‘राष्ट्रपिता’ महात्मा गांधी का नाम भी हमेशा के लिए हटा देगा। इस नए प्रस्ताव ने विपक्ष, खासकर कांग्रेस को सरकार पर हमला बोलने का एक और बड़ा मौका दे दिया है।
केंद्र सरकार मनरेगा (MGNREGA) को निरस्त कर एक नया ग्रामीण रोजगार ढांचा लागू करने जा रही है। इस नए विधेयक का नाम ‘विकसित भारत – गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन ग्रामीण 2025’ (Viksit Bharat – Guarantee for Employment and Livelihood Mission (Rural) 2025) रखा गया है। इसे संक्षेप में ‘वीबी-जी राम जी’ (VB-G RAM G) कहा जाएगा। सरकार का तर्क है कि इस विधेयक का उद्देश्य ग्रामीण विकास का एक नया ढांचा स्थापित करना और लोगों को सशक्त बनाना है।
गांधी का नाम हटाने पर प्रियंका का हमला
योजना के नए नाम से महात्मा गांधी का नाम हटाए जाने की खबर सामने आते ही सियासी घमासान शुरू हो गया है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए तीखा हमला बोला है। उन्होंने पूछा है कि आखिर सरकार को महात्मा गांधी के नाम से इतनी नफरत क्यों है? यह मुद्दा संसद के शीतकालीन सत्र में गरमाना तय माना जा रहा है। सरकार ने भी विपक्ष के हमलों से निपटने के लिए अपनी तैयारी कर ली है।
अब 100 नहीं, 125 दिन मिलेगा काम
नए विधेयक में रोजगार को लेकर बड़े दावे किए गए हैं। जहां मनरेगा में साल भर में 100 दिन के रोजगार की गारंटी थी, वहीं इस नए कानून के तहत हर ग्रामीण परिवार को साल में 125 दिनों के रोजगार की संवैधानिक गारंटी (Constitutional Guarantee) दी जाएगी। इसके अलावा, काम पूरा होने के एक हफ्ते या 15 दिनों के भीतर भुगतान करना अनिवार्य होगा। अगर तय समय में पेमेंट (Payment) नहीं होता है, तो बेरोजगारी भत्ता देने का भी प्रावधान रखा गया है। यह योजना उन परिवारों को मिलेगी जिनके युवा सदस्य अकुशल शारीरिक कार्य (Unskilled Manual Work) करने के लिए तैयार हैं।
राज्यों की जेब पर पड़ेगा भारी बोझ
इस नए बिल में फंडिंग (Funding) के पैटर्न में भी बड़ा बदलाव किया जा रहा है, जिससे राज्य सरकारों की चिंता बढ़ सकती है। अब तक मनरेगा के तहत मजदूरी की पूरी लागत केंद्र सरकार वहन करती थी और सामग्री का 75% हिस्सा देती थी। लेकिन नए प्रस्ताव के मुताबिक, अब योजना के खर्च का 60% केंद्र सरकार देगी और 40% हिस्सा राज्य सरकारों को वहन करना होगा। इसका सीधा मतलब है कि राज्यों पर वित्तीय बोझ बढ़ने वाला है।
बीजेपी ने सांसदों को जारी किया व्हिप
इस बिल को पास कराने के लिए बीजेपी (BJP) ने पूरी कमर कस ली है। पार्टी ने अपने सभी सांसदों के लिए व्हिप (Whip) जारी किया है और उन्हें निर्देश दिया है कि वे 15 से 19 दिसंबर तक लोकसभा (Lok Sabha) में अनिवार्य रूप से मौजूद रहें। सांसदों को बांटे गए मसौदे से ही इस नाम बदलने की योजना का खुलासा हुआ है।
जानें पूरा मामला
मनरेगा की शुरुआत 2005 में यूपीए (UPA) सरकार ने की थी और 2 अक्टूबर 2009 को इसका नाम बदलकर ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम’ रखा गया था। इसका मकसद गांवों में गरीबी कम करना और पलायन रोकना था। अब सरकार इसे बदलकर नया कानून ला रही है, जिससे महात्मा गांधी का नाम हट जाएगा, जिसे लेकर राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर तीखी बहस छिड़ गई है।
मुख्य बातें (Key Points)
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मनरेगा की जगह अब ‘वीबी-जी राम जी’ (VB-G RAM G) नाम से नया कानून लाया जाएगा।
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नए कानून में 100 की जगह 125 दिनों के रोजगार की गारंटी मिलेगी।
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योजना के खर्च में अब 40% हिस्सेदारी राज्य सरकारों को उठानी होगी।
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महात्मा गांधी का नाम हटाने पर विपक्ष ने सरकार को घेरा है।






